पटना: यूपी चुनाव परिणाम में मुकेश सहनी (Mukesh Sahni VIP Party Boat Sink In UP Election) की नाव डूब गई है. बिहार सरकार में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी. पहली बार यूपी में चुनाव लड़ने उतरी वीआईपी ने 50 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इधर, वीआईपी सुप्रीमो और बिहार के मंत्री मुकेश सहनी चुनाव परिणाम से हतोत्साहित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि निषादों के हक और अधिकार की रक्षा की लड़ाई जारी रहेगी.
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दूसरी कई पार्टियों से बेहतर प्रदर्शन : बिहार के पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री सहनी ने कहा कि पार्टी पहली बार यूपी में चुनाव लड़ रही थी और 15 से अधिक सीटों पर कांग्रेस से अधिक वोट मिले हैं, जो पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में निषाद समाज के हक-अधिकारों की लड़ाई में लाखों के संख्या में माता, बहनों और युवाओं का समर्थन प्राप्त हुआ. उन्होंने इसके लिए सभी युवा साथियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि दिन-रात एक करके हक-अधिकारों की रक्षा हेतु लड़ाई में सभी शामिल रहे.
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लोग लड़ते हैं हम पर राज करने के लिए, हम लड़ते हैं अपना अस्तित्व और हक-अधिकार के लिए।
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उत्तर प्रदेश में निषाद समाज के हक-अधिकारों की लड़ाई में लाखों के संख्या में माता बहनों का समर्थन प्राप्त हुआ। इस कारवां में जुड़े सभी युवा साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद.... pic.twitter.com/vjFrOXno17
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उत्तर प्रदेश में निषाद समाज के हक-अधिकारों की लड़ाई में लाखों के संख्या में माता बहनों का समर्थन प्राप्त हुआ। इस कारवां में जुड़े सभी युवा साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद.... pic.twitter.com/vjFrOXno17
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'लड़ाई जारी रहेगी' : 'कुछ लोग लड़ते हैं हम पर राज करने के लिए, हम लड़ते हैं अपना अस्तित्व और हक-अधिकार के लिए. उन्होंने यूपी के लोगों को भरोसा देते हुए कहा कि जब तक निषाद समाज के आरक्षण सहित हक-अधिकार नहीं मिलेगा तब तक हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी.''
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जब तक निषाद समाज के आरक्षण सहित हक-अधिकार नहीं मिलेगा तब तक हमारी लड़ाई आखरी साँस तक जारी रहेगी।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
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जब तक निषाद समाज के आरक्षण सहित हक-अधिकार नहीं मिलेगा तब तक हमारी लड़ाई आखरी साँस तक जारी रहेगी।
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जब तक निषाद समाज के आरक्षण सहित हक-अधिकार नहीं मिलेगा तब तक हमारी लड़ाई आखरी साँस तक जारी रहेगी।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
सहनी ने योगी को दी बधाई : हरिवंश राय बच्चन की कविता का सहारा लेते हुए सहनी ने कहा, 'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता का मत सर्वोपरि है. वे जनादेश का सम्मान करते है. उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा एवं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी. पंजाब में आम आदमी पार्टी को मिली सफलता के लिए अरविंद केजरीवाल को भी बधाई और शुभकामनाएं दी.
बिहार में सहनी को मंत्री पद से हटाने की मांग : बता दें कि उत्तर प्रदेश में पार्टी की जीत के बाद बिहार में बीजेपी ने नीतीश कुमार सरकार में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाने की मांग की है. दरअसल, सहनी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुखर नेताओं में से एक थे और उन्होंने राज्य के लोगों से भगवा पार्टी को वोट देने से बचने की अपील की थी.
2020 की बिहार विधानसभा के दौरान सहनी के वीआईपी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो बीजेपी ने अपने कोटे से दी थी. वीआईपी 4 सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन सहनी चुनाव हार गए. अपने एक विधायक के निधन के बाद वीआईपी के पास विधानसभा में केवल तीन विधायक हैं.
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बिहार में NDA को VIP की जरूरत : नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को वीआईपी के समर्थन की जरूरत है. इसलिए, उन्हें एमएलसी के रूप में चुना गया और उन्हें पशुपालन और मत्स्य पालन का पोर्टफोलियो दिया गया. हालांकि, उत्तर प्रदेश में उनकी भूमिका ने बीजेपी को नाराज कर दिया है. पार्टी विधायक हरि भूषण ठाकुर उन लोगों में शामिल हैं जो चाहते हैं कि उन्हें कैबिनेट से हटाया जाए. ठाकुर ने कहा, वह देश का एक बड़ा राजनीतिक चेहरा बनने के लिए उत्तर प्रदेश गए थे। अब, वह सभी सीटें हार गए हैं. अब, उन्हें नैतिक आधार पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा.
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एमएलसी सीट बचाने की चुनौती : फिलहाल, सहनी ने कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना ही उनका प्रमुख लक्ष्य है. ऐसे में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दावा करने वाले मुकेश सहनी पर अब बिहार में मंत्री पद बचाने के लिए एमएलसी सदस्य बनने की चुनौती है. सहनी को बीजेपी ने एमएलसी चुनाव में एक भी सीट नहीं दी है.
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