पटना: जातीय जनगणना (Cast Census) को लेकर बिहार की सियासत गरमा गई है. बीजेपी (BJP) के अलावे सभी पार्टियां मुखर दिख रही हैं. केंद्र सरकार से इंकार के बाद एनडीए (NDA) के सहयोगी और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से अपील की है कि राज्य सरकार अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना करवाए, वीआईपी (VIP) भी इसके लिए आर्थिक मदद करेगी.
ये भी पढ़ें: केंद्र के रुख से JDU नाराज, बोली- 'जातीय जनगणना पर समझौता नहीं, सत्ता से ज्यादा जनहित जरूरी'
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने कहा कि बहुत आशा और उम्मीद से सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में हम लोग लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पास गए थे, लेकिन केंद्र की ओर से जो बातें सामने आ रही है वह बेहद निराशाजनक है.
मुकेश सहनी ने कहा कि सभी लोगों का यह मानना है कि जातीय जनगणना से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा कि किस वर्ग के लोग कितने पिछड़े हुए हैं. किस वर्ग में कितना विकास हुआ है, ये तमाम बातें सामने आ जाएंगी. इससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. जिस तरह से एससी-एसटी के लिए हम लोग अलग से योजना बनाकर उसे लाभ दे रहे हैं, अगर जातीय जनगणना हो जाएगी तो सब कुछ स्पष्ट होगा और समाज के वैसे वर्ग के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ देने की कोशिश हमारी सरकार करेगी ताकि उनके जीवन का स्तर भी ठीक हो पाएगा.
ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी ने देश के 33 नेताओं को लिखा पत्र
मंत्री ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार से इसे न कराने का फैसला लिया गया हो, लेकिव इसको लेकर वे जल्द ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सीएम से मुलाकात कर मांग करेंगे कि राज्य सरकार अपने खर्चे पर बिहार में जातीय जनगणना करवाए,
मुकेश सहनी ने कहा कि इसमें ज्यादा खर्च नहीं होगा. हम अपनी पार्टी की तरफ से 4 करोड़ रुपए और अपने पर्सनल फंड से 1 करोड़ रुपये राज्य सरकार को देने के लिए तैयारी हैं. उन्होंने कहा कि कुल 5 करोड़ रुपए मैं और मेरी पार्टी जातीय जनगणना के लिए देने को तैयार हैं.
ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर बोले अश्विनी चौबे- PM का फैसला ही सर्वमान्य, तो BJP अध्यक्ष ने कहा 'ये प्रैक्टिकल नहीं'
आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'