पटना: कोरोना महामारी के चलते रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर गए श्रमिक बड़ी संख्या में घर लौटने को विवश हुए हैं. काम-धंधा बंद होने के चलते उनके सामने घर लौटने के अलावा कोई चारा न था. बिहार सरकार ऐसे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत कुछ और है.
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पटना के मखनिया कुआं के रहने वाले मनोज कुमार दिल्ली में गार्ड का काम करते थे. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया तो उन्हें वापस आना पड़ा. यहां आने के बाद उन्होंने श्रम विभाग की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन 18 दिन बाद भी उन्हें कोई काम नहीं मिला.
15 दिन से भटक रहा हूं, नहीं मिल रहा काम
मनोज ने कहा- "15 दिन से मैं पटना में यहां-वहां भटक रहा हूं, लेकिन कोई काम न मिला. 2 मई को पटना आया था. काम पाने के लिए श्रम संसाधन विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन कॉल तक नहीं आया. अब चिंता इस बात की है कि अपने परिवार को कहां से खिलाऊंगा. मजदूरी वाले काम के लिए भी रोज इधर-उधर भटक रहा हूं, लेकिन वह काम भी नहीं मिल रहा है. नीतीश कुमार सिर्फ बोलते हैं कि आइए बिहार में काम मिलेगा, 15-20 दिन से घूम रहा हूं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है.
एक माह हो गए, न मिला रोजगार
पटना के राजीव नगर के टुनटुन सिंह दिल्ली में एक मॉल में मैनेजर के पद पर काम कर रहे थे. कोरोना के चलते उन्हें अप्रैल में घर लौटना पड़ा. टुनटुन ने पटना आते ही रजिस्ट्रेशन करा लिया, लेकिन रजिस्ट्रेशन कराने के एक महीना बाद भी उन्हें कोई काम नहीं मिला.
टुनटुन ने कहा "डेढ़ माह से मैं पटना में हूं. लॉकडाउन की वजह से मेरा काम छूट गया. लगभग एक माह हो गए बिहार सरकार के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराए, लेकिन अभी तक कोई कॉल नहीं आया. कोई मदद नहीं मिली."
यह कहानी घर लौटने को मजबूर एक या दो प्रवासी की नहीं है. हजारों प्रवासी कोरोना महामारी के चलते घर लौटने को विवश हुए. प्रवासियों ने काम पाने के लिए बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग के वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन रोजगार न मिला.
सरकार ने किया था रोजगार देने का वादा
गौरतलब है कि कोरोना के दूसरे लहर से प्रभावित होने वाले प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का वादा बिहार सरकार ने किया था. इसके लिए श्रम संसाधन विभाग की वेबसाइट पर मजदूरों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना था. सरकार का दावा था कि मजदूरों को 22 से अधिक योजनाओं का लाभ मिलेगा. मनरेगा से लेकर अन्य योजनाओं की मदद से मजदूरों को काम दिया जाएगा.
ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, भवन निर्माण विभाग सहित ऐसे अन्य विभागों को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर का इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे. कहा गया था कि जैसे-जैसे लोग आएंगे, उन्हें जरूरत या उनके स्किल के मुताबिक रोजगार मुहैया कराया जाएगा.
9.5 लाख श्रमिकों ने कराया है रजिस्ट्रेशन
गौरतलब है कि 9.5 लाख प्रवासी श्रमिकों ने श्रम विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया है. श्रम संसाधन विभाग ने प्रयास किया है कि वैसे श्रमिक जिन्होंने विभाग के पोर्टल पर निबंधन कराया है उनकी खोज कर रोजगार मुहैया कराया जाए. जिन लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो पाया है उनको दूसरे विभागों के तालमेल से रोजगार दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
श्रम विभाग के अधिकारी कर रहे मजदूरों की पहचान
ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से श्रम विभाग के अधिकारी मजदूरों की पहचान कर उनकी परेशानियों का समाधान भी कर रहे हैं. श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है वे बिहार में अभी आए हैं या नहीं. मनरेगा से लेकर सभी विभागों की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि बिहार लौट रहे मजदूरों को काम मिले.
रोजगार के लिए दिया जा रहा पैसा
उद्योग विभाग से समन्वय बनाकर श्रम संसाधन विभाग श्रमिकों को रोजगार या व्यवसाय करने के लिए पैसा भी मुहैया करा रहा है. श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा का यह भी कहना है कि आधे से ज्यादा लोगों को अलग-अलग विभाग में रोजगार मुहैया कराया गया है. कई लोग अपना व्यवसाय करके दूसरों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं.
श्रमिकों को मिलेगा मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ
"बाहर से जो श्रमिक आ रहे हैं उनका स्किल मैपिंग कराया जा रहा है. पंचायत स्तर पर 9.5 लाख लोगों का स्किल मैपिंग कराया गया है. बहुत सारे लोगों ने अपना काम भी यहां शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ भी सभी श्रमिकों को मिलेगा. इस योजना से अपना रोजगार शुरू करने वाले श्रमिकों को 10 लाख रुपए तक का लोन मिलेगा. इसमें 5 लाख रुपए अनुदान होगा."- जीवेश कुमार मिश्रा, मंत्री, श्रम संसाधन विभाग
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