पटना: बिहार में धान खरीद की समय सीमा 31 मार्च से घटाकर 31 जनवरी कर दी गई है. इससे पहले सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 30 लाख टन से बढ़ाकर 45 लाख टन कर दिया था. लक्ष्य बढ़ाकर समय सीमा घटाने को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष ने सरकार पर बिचौलियों के जरिए किसानों की धान खरीद और इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
समय सीमा कम किए जाने पर विपक्ष ने उठाए सवाल
बिहार में धान खरीद को लेकर एक बार फिर बवाल मचा है. सरकार ने 31 मार्च तक धान खरीद का लक्ष्य रखा था. 31 मार्च तक सरकार 45 लाख टन धान पैक्सों के जरिए खरीदने वाली थी. इस बीच सरकार की तरफ से यह भी दावा किया गया कि हम काफी तेजी से किसानों की धान खरीद रहे हैं. अब अचानक सरकार ने धान खरीद की समय सीमा 31 मार्च से घटाकर 31 जनवरी कर दी है.
इसपर विपक्ष सवाल उठा रहा है. विपक्ष का सवाल है कि इतने कम समय में किसानों की धान खरीद का लक्ष्य कैसे पूरा होगा.
"सरकार को किसानों की धान खरीद में कोई दिलचस्पी नहीं है. किसानों का धान बिचौलियों के हाथ चला जाता है. किसान ओने-पौने दाम में अपना धान बेच रहे हैं. आखिरी के 7 दिनों में बिचौलिए फैक्स में एमएसपी पर धान बेचकर मालामाल हो जाएंगे."- शक्ति यादव, राजद नेता
"नीतीश कुमार पूरी तरह केंद्र सरकार के रास्ते पर चल रहे हैं. केंद्र सरकार किसानों को कॉरपोरेट घरानों के हाथों में सौंप रही है. उसी रास्ते पर नीतीश कुमार किसानों को बर्बाद करने पर तुले हैं. उन्हें धान खरीद से कोई मतलब नहीं है. धान खरीद का लक्ष्य बिहार में कभी पूरा नहीं होता."- राजेश राठौड़, कांग्रेस नेता
धान खरीद के लक्ष्य के करीब पहुंची सरकार
"सरकार ने 45 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था. सरकार उस लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है. पहली बार यह हो रहा है कि सरकार समय से पहले लक्ष्य के अनुसार धान खरीद पाई. विपक्ष के पास कहने के लिए कुछ नहीं है. वे सिर्फ बात बना रहे हैं."- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जदयू