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Matka Filter: RO को भूल जाइये.. मिट्टी के मटकों से तैयार देसी फिल्टर से पीजिये शुद्ध पानी, कीमत मात्र ₹350

'हर घर नल का जल' योजना के तहत सरकार की कोशिश है प्रत्येक व्यक्ति को शुद्ध पेयजल पहुंचाना लेकिन इसके बावजूद अभी भी लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है. हालांकि सरकार की इस सोच को साकार करने के लिए सहगल फाउंडेशन ने एक नायाब 'खोज' की है. जिसके तहत महज 350 रुपये में मिट्टी के मटकों से फिल्टर तैयार किया है, जो सस्ता, टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. पढ़ें पूरी खबर..

मिट्टी के मटकों से फिल्टर
मिट्टी के मटकों से फिल्टर
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Published : Aug 6, 2023, 6:32 AM IST

Updated : Aug 6, 2023, 7:10 AM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अक्सर शुद्ध पेयजल की समस्या रहती है. वहीं शहरी इलाकों में भी गरीब तबके के लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. अमीर और मध्यम आय वाले लोगों को फिर भी फिल्टर और आरओ के माध्यम से शुद्ध पानी मिल जाता है लेकिन कम आय और गरीब परिवार के लिए यह समस्या बेहद गंभीर है. इसी को ध्यान में रखते हुए सहगल फाउंडेशन ने एक ऐसा फिल्टर तैयार किया है, जिसकी कीमत बहुत कम है. किफायती होने के बावजूद यह फिल्टर न केवल पानी को शुद्ध करता है, बल्कि उस पानी में नेचुरल फिल्टरेशन के साथ जरूरी मिनरल्स भी मिलता है.

ये भी पढ़ें: VIDEO: गया की टीचर ने बनाया मटके वाला कूलर, 500 रुपये में दे रहा AC को टक्कर

सिरेमिक पॉर्ट फिल्टर से तैयार हुआ है फिल्टर: सिरेमिक पॉर्ट फिल्टर (सीपीएफ) के तहत यह देसी फिल्टर काम करता है. यह नई टेक्नोलॉजी सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसमें बिजली की जरूरत नहीं है. मात्र ₹350 में इस फिल्टर को गरीब से गरीब लोग भी खरीदारी कर सकते हैं. यह कुम्हार के द्वारा बनाया गया है. इसे मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और धान का भूसी से तैयार कराया गया है. आरओ और वाटर फिल्टर की तरह ही यह पानी की अशुद्धियों को छानता है. पानी में आयरन जीवाणु और आर्सेनिक को छानता है और शुद्ध पानी स्टोरेज करता है.

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न बिजली न मेंटेनेंस की जरूरत: सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी का फिल्टर एक बार इंस्टॉल करने के बाद 3 साल चलता है. न बिजली के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क लगता है और न इस पर मेंटेनेंस खर्च लगता है. फिल्टर की कीमत ₹350 रखा गया है और बकेट के साथ ₹550 में बेचा जाता है. फिल्टर की क्षमता 9 लीटर है और घंटे में ढाई से 3 लीटर पानी को फिल्टर करता है. फिलहाल यह वैशाली और समस्तीपुर में उपलब्ध है लेकिन कोशिश होगी कि आने वाले समय में पूरे बिहार में इस उपलब्ध कराया जाए.

"सहगल फाउंडेशन पिछले 5 सालों से पानी पर कम कर रहा है. पिछले साल जल कल वाटर फिल्टर टेक्नोलॉजी को डिवेलप किया था, लेकिन इसकी कीमत ज्यादा होने के कारण सभी लोग नहीं खरीद पा रहे थे. ऐसे में गरीब लोगों को ध्यान में रखते हुए मिट्टी फिल्टर टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी पसंद किया जा रहा है. इसमें न बिजली की जरूरत है और ना मेंटेनेंस की"- सुमित कुमार, सदस्य, सहगल फाउंडेशन

मिट्टी के मटकों से फिल्टर
मिट्टी के मटकों से फिल्टर तैयार

मिट्टी का आरओ तैयार करने वाला सहगल फाउंडेशन: यह एक गैर सरकारी संगठन है, जो भारत के ग्रामीण विकास की दिशा में काम करता है. बिहार समेत कई राज्यों में महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा के लिए भी काम करता है. इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के मकसद से इस किफायती वाटर फिल्टर को तैयार किया गया है. हमसब जानते हैं कि शुद्ध पेयजल से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है. ऐसे में यह फिल्टर काफी कारगर साबित हो सकता है.

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अक्सर शुद्ध पेयजल की समस्या रहती है. वहीं शहरी इलाकों में भी गरीब तबके के लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. अमीर और मध्यम आय वाले लोगों को फिर भी फिल्टर और आरओ के माध्यम से शुद्ध पानी मिल जाता है लेकिन कम आय और गरीब परिवार के लिए यह समस्या बेहद गंभीर है. इसी को ध्यान में रखते हुए सहगल फाउंडेशन ने एक ऐसा फिल्टर तैयार किया है, जिसकी कीमत बहुत कम है. किफायती होने के बावजूद यह फिल्टर न केवल पानी को शुद्ध करता है, बल्कि उस पानी में नेचुरल फिल्टरेशन के साथ जरूरी मिनरल्स भी मिलता है.

ये भी पढ़ें: VIDEO: गया की टीचर ने बनाया मटके वाला कूलर, 500 रुपये में दे रहा AC को टक्कर

सिरेमिक पॉर्ट फिल्टर से तैयार हुआ है फिल्टर: सिरेमिक पॉर्ट फिल्टर (सीपीएफ) के तहत यह देसी फिल्टर काम करता है. यह नई टेक्नोलॉजी सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसमें बिजली की जरूरत नहीं है. मात्र ₹350 में इस फिल्टर को गरीब से गरीब लोग भी खरीदारी कर सकते हैं. यह कुम्हार के द्वारा बनाया गया है. इसे मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और धान का भूसी से तैयार कराया गया है. आरओ और वाटर फिल्टर की तरह ही यह पानी की अशुद्धियों को छानता है. पानी में आयरन जीवाणु और आर्सेनिक को छानता है और शुद्ध पानी स्टोरेज करता है.

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न बिजली न मेंटेनेंस की जरूरत: सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी का फिल्टर एक बार इंस्टॉल करने के बाद 3 साल चलता है. न बिजली के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क लगता है और न इस पर मेंटेनेंस खर्च लगता है. फिल्टर की कीमत ₹350 रखा गया है और बकेट के साथ ₹550 में बेचा जाता है. फिल्टर की क्षमता 9 लीटर है और घंटे में ढाई से 3 लीटर पानी को फिल्टर करता है. फिलहाल यह वैशाली और समस्तीपुर में उपलब्ध है लेकिन कोशिश होगी कि आने वाले समय में पूरे बिहार में इस उपलब्ध कराया जाए.

"सहगल फाउंडेशन पिछले 5 सालों से पानी पर कम कर रहा है. पिछले साल जल कल वाटर फिल्टर टेक्नोलॉजी को डिवेलप किया था, लेकिन इसकी कीमत ज्यादा होने के कारण सभी लोग नहीं खरीद पा रहे थे. ऐसे में गरीब लोगों को ध्यान में रखते हुए मिट्टी फिल्टर टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी पसंद किया जा रहा है. इसमें न बिजली की जरूरत है और ना मेंटेनेंस की"- सुमित कुमार, सदस्य, सहगल फाउंडेशन

मिट्टी के मटकों से फिल्टर
मिट्टी के मटकों से फिल्टर तैयार

मिट्टी का आरओ तैयार करने वाला सहगल फाउंडेशन: यह एक गैर सरकारी संगठन है, जो भारत के ग्रामीण विकास की दिशा में काम करता है. बिहार समेत कई राज्यों में महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा के लिए भी काम करता है. इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के मकसद से इस किफायती वाटर फिल्टर को तैयार किया गया है. हमसब जानते हैं कि शुद्ध पेयजल से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है. ऐसे में यह फिल्टर काफी कारगर साबित हो सकता है.

Last Updated : Aug 6, 2023, 7:10 AM IST
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