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स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का हाल बेहाल, लोकसभा चुनाव में दबाएंगे नोटा

बिहार में कई सेनानियों के परिजनों ने चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने का निर्णय लिया है. इस बार मतदान के दिन सभी लोग नोटा का बटन दबाएंगे .

स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन
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Published : Apr 1, 2019, 5:17 PM IST

पटनाः भारत को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने भले ही इस देश के लिए अपनी जान दे दी. लेकिन उनके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इसी वजह से इस बार के चुनाव में सवतंत्रता सेनानी के परिजनों नोटा दबाने का निणर्य लिया है.

बिहार में कई सेनानियों के परिजनों ने चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने का निर्णय लिया है. इस बार मतदान के दिन सभी लोग नोटा का बटन दबाएंगे . ये न केवल उन नेताओं को सबक सिखाने के लिए बल्कि समाज को एक संदेश भी देने के लिए हैं. बता दें कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों का इन दिनों हाल बेहाल हैं.

patna
स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन

किसी ने भी नहीं की मदद
आक्रोशित सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने बताया कि मंत्री से लेकर आला अधिकारी तक कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे. वे लोग अपनी फरियाद को लेकर चक्कर काटते-काटते थक गए हैं. वहीं सांसद, मंत्री, विधायकों ने उन्हें आश्वासन देने के अलावा कुछ भी नहीं किया.

चुनाव में सेनानी के परिवार दबाएंगे नोटा

न कोई सरकारी लाभ, न ही मदद
सेनानियों के परिजनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके लिए आज तक कोई भी काम नहीं किया गया है और ना ही उन्हें कोई सरकारी लाभ दिया गया है. यहां तक कि उन्हें पहले से जो लाभ मिलता आ रहा था उसे भी बंद कर दिया गया है. इन सब के खिलाफ लगातार आंदोलन भी किया जा रहा है. बावजूद इसके कोई भी इनके मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है.

आंदोलनकारियों ने कहा कि यह शर्म की बात है कि जिन के परिजनों ने भारत को आजाद कराने के लिए अपनी जान दी. उनके परिवार वाले इस तरह सड़कों पर मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं. इसलिए इस बार चुनाव में बिहार के कई सेनानियों के परिजनों ने नोटा दबाने का निर्णय लिया है.

पटनाः भारत को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने भले ही इस देश के लिए अपनी जान दे दी. लेकिन उनके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है. इसी वजह से इस बार के चुनाव में सवतंत्रता सेनानी के परिजनों नोटा दबाने का निणर्य लिया है.

बिहार में कई सेनानियों के परिजनों ने चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने का निर्णय लिया है. इस बार मतदान के दिन सभी लोग नोटा का बटन दबाएंगे . ये न केवल उन नेताओं को सबक सिखाने के लिए बल्कि समाज को एक संदेश भी देने के लिए हैं. बता दें कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों का इन दिनों हाल बेहाल हैं.

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स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन

किसी ने भी नहीं की मदद
आक्रोशित सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने बताया कि मंत्री से लेकर आला अधिकारी तक कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे. वे लोग अपनी फरियाद को लेकर चक्कर काटते-काटते थक गए हैं. वहीं सांसद, मंत्री, विधायकों ने उन्हें आश्वासन देने के अलावा कुछ भी नहीं किया.

चुनाव में सेनानी के परिवार दबाएंगे नोटा

न कोई सरकारी लाभ, न ही मदद
सेनानियों के परिजनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके लिए आज तक कोई भी काम नहीं किया गया है और ना ही उन्हें कोई सरकारी लाभ दिया गया है. यहां तक कि उन्हें पहले से जो लाभ मिलता आ रहा था उसे भी बंद कर दिया गया है. इन सब के खिलाफ लगातार आंदोलन भी किया जा रहा है. बावजूद इसके कोई भी इनके मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है.

आंदोलनकारियों ने कहा कि यह शर्म की बात है कि जिन के परिजनों ने भारत को आजाद कराने के लिए अपनी जान दी. उनके परिवार वाले इस तरह सड़कों पर मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं. इसलिए इस बार चुनाव में बिहार के कई सेनानियों के परिजनों ने नोटा दबाने का निर्णय लिया है.

Intro:भारत को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने भले ही इस मुल्क के लिए अपनी जान तक कि बलिदान दे दि, मगर आज उनके परिवार कि सुधी लेने वाला कोई नहीं है, नतीजतन इस बार आजाद मुल्क में हो रहे चुनाव में वे सभी इसका बहिष्कार करने कि निणर्य लिया है, पटना से शशि तुलस्यान कि खास रिपोर्ट:--


Body:बिहार के तमाम जिलों में तकरीबन लाखों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनो ने इस बार चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने का निर्णय लिया है, नतीजन इस बार मतदान के दिन सभी लोग नोटा का बटन दबायेंगे, नोटा न केवल उन नेताओं को सबक सिखाने के लिए बल्कि एक समाज को संदेश भी देने के लिए हैं,कि आजाद भारत में उनकी आज क्या अहमियत रह गई है, गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार इन दिनों बेहाल हैं जिसके सुधि लेने वाला इस आजाद भारत में कोई नहीं है। आक्रोशित सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने बताया कि मंत्री से लेकर आला अधिकारी तक अपनी फरियाद को लेकर चक्कर काटते काटते थक गए हैं, लेकिन आज तक हम सबको सुनने वाला कोई नहीं है एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसी समस्याएं हैं जिसको लेकर कई बार सरकारी बाबू के दफ्तर का चक्कर काटते काटते थक गए हैं वहीं सांसद, मंत्री, विधायक के पास भी अपनी समस्या को लेकर गए हैं लेकिन सरकार ढुलमुल रवैया अपनाकर सिर्फ आश्वासन देते रहे हैं नतीजन इस बार देश में हो रहे 17वीं लोकसभा चुनाव में बिहार के सभी स्वतंत्र सेनानी के परिजन नोटा का प्रयोग करेंगे।


Conclusion:स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके लिए आज तक कोई भी काम नहीं किया गया है, ना ही सरकारी लाभ दिया गया है यहां तक कि उन्हें जो पहले से जो लाभ दिया जा रहा था उससे भी वंचित कर दिया गया है जिसको लेकर लगातार आंदोलन किया जा रहा है, कई बार धरना प्रदर्शन तक भी किया गया, आंदोलनकारियों ने कहा कि यह शर्म की बात है कि जिन के परिजनों ने भारत को आजाद कराने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी, उसके परिजन इस तरह से सड़कों पर हाथों में तिरंगा लिए हुए अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं चिलचिलाती धूप हो या ठंड या बरसात में आंदोलन करते नजर आए हैं लेकिन सरकार का दिल नहीं पसीजा है इसलिए इस बार चुनाव में सबों ने एवं बिहार के लाखों परिवारों ने इस बार नोटा दबाने का निर्णय लिया है सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के साथ वन टू वन शशि तुलस्यान पटना।
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