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CAG की रिपोर्ट में सरकार की कई खामियां उजागर, 3658 करोड़ से अधिक के राजस्व की हानि

बिहार में सीएजी (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की खामियों को उजागर किया है. बिहार सरकार को 3658 करोड़ से अधिक की राजस्व की हानि हुई है. वहीं, पौधारोपण समेत कई योजनाओं में अनियमितता सामने आई है.

पटना
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Published : Jul 29, 2021, 10:52 PM IST

पटना: बिहार में सीएजी (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की खामियों को उजागर किया है. 31 मार्च 2019 को बकाया राजस्व 4107.32 करोड़ रुपये था, जिसमें से 521.07 करोड़ पांच सालों से अधिक समय से लंबित था. सामान्य हिस्से में साल 2018-19 के लिए बिहार सरकार की कुल प्राप्तियां 1,31,793.45 करोड़ थी.

ये भी पढ़ें- सुशासन बाबू के ड्रीम प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार, आखिर 2024 तक कैसे दौडे़गी मेट्रो

राज्य सरकार द्वारा अपने स्रोतों से सृजित राजस्व 33,538.70 करोड़ रुपये यानी 25.45 प्रतिशत था. जबकि भारत सरकार से प्राप्तियों का हिस्सा 98,254.75 करोड़ रुपये यानी कुल प्राप्तियों का 74.55 प्रतिशत था. जिसमें संघीय करों में राज्य का हिस्सा 73,603.13 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों का 55.85 प्रतिशत) और सहायता अनुदान 24,651.62 करोड़ (कुल प्राप्तियों का 18.70 प्रतिशत) समाविष्ट थे.

लेखा परीक्षा ने 629 मामलों में कुल 3,658.11 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगा. संबंधित विभागों ने 1,648 मामलों में 1336.65 करोड़ रुपये स्वीकृत किया. टैक्स वसूली में कॉमर्शियल टैक्स जुर्माना वसूलने में भारी शिथिलता मिली. सीएजी ने पाया कि तीन व्यवसायियों से 5.64 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी का पता नहीं लग सका है.

31 दिसम्बर 2019 तक मात्र 4.38 किलोमीटर सड़क बनी, जबकि 31 दिसम्बर 2022 तक पूरी सड़क बनना थी. 10 साल में 64 फीसदी सीमा चौकिया मुख्य सड़क से नहीं जुड़ी. जो सशस्त्र सीमा बल की गतिशीलता पर प्रभाव डाल रही हैं. भारत नेपाल सीमा सड़क बनाने में सरकार सुस्त रही है. 2759.25 एकड़ भूमि के विरुद्ध 2497.64 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हुआ है. वहीं, पुल निर्माण पर 928.77 करोड़ रुपये खर्च हुए.

मनरेगा भूमिहीन आकस्मिक मजदूरों के पंजीकरण में सुधार करने की जरूरत है. 60.88 लाख भूमिहीन मजदूरों के सर्वेक्षण में से मात्र 3.34 फीसदी मजदूरों का जॉब कार्ड बना है. एक फीसदी से भी कम लोगों को जॉब कार्ड मिला. 22 हजार 678 इच्छुक परिवारों में से 146 को जॉब कार्ड मिले. 2014-19 की अवधि में मात्र 9 से 14 फीसदी रजिस्टर्ड दिव्यांगों को और 9 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को जॉब मिला.

ये भी पढ़ें- CM नीतीश की 'हर घर नल का जल योजना' ने पटना में ही तोड़ा दम, लेटलतीफी की हुई शिकार

साल 2014 से 19 के बीच मंदी के समय में 26 से 36 फीसदी लोगों ने रोजगार डिमांड की, लेकिन सिर्फ 9 फीसदी लोगों को रोजगार मिला. 100 दिनों की मजदूरी मांगने वाले परिवारों में से मात्र 1 फीसदी लोगों को रोजगार मिला. काम पूरा मात्र 14 फीसदी हुआ. एससी/एसटी लोगों को भी रोजगार नहीं मिला. 22-24 फीसदी रजिस्टर्ड एससी/एसटी लोगों में से 19 से 59 फीसदी लोगों को 10 से 15 दिनों का रोजगार मिला.

आधार साइडिंग बेस्ड पेमेंट में सरकर पीछे है. मात्र 25 फीसदी लोगों को आधार पेमेंट हुआ. निजी मकानों पर भी मनरेगा से काम हुआ. कुछ ऐसे मकान बनाए गए, जिनमें काम नहीं हो रहें. पौधारोपण में भी भारी गड़बड़ी मिली है. ऑफ सीजन पौधारोपण से ज्यादातर पौधे सूख गए. पौधारोपण में ढीले ढाले रवैये के कारण 164.98 करोड़ रुपये बर्बाद हुए.

महादलितों के लिए सामुदायिक भवन जनवरी 2020 तक 916 में से 147 भवन पूरे हुए हैं. बाकी 608 भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. ये आंकड़ा 2016-19 के दौरान का है. अभियंता प्रमुख के आदेश का उल्लंघन किया गया, इसकी वजह से 2.73 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए. अभियंता प्रमुख ने सड़क निर्माण के लिए स्टोन चिप्स मानपुर से लाने को कहा था, जबकि कार्यपालक अभियंता ने कोडरमा से स्टोन चिप्स मंगवाया. 38 किलोमीटर के जगह 100 किलोमीटर दूर से स्टोन चिप्स मंगवाया.

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में 79 सरकारी कम्पनियों और वैधानिक निगम में से 75 कमोनी और निगम के 1321 खाते बकाए में है. इनमें से एक खाता 1977-78 से पेंडिंग है. पटना में फ्लाई ओवर बनाने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की. काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए. 31 मार्च 2019 के सार्वजनिक उपक्रमों के अंश पूजी 36122.20 करोड़ रुपये और 8800.51 करोड़ रुपये ऋण था. कुल निवेश 44922.71 करोड़ रुपये है.

ये भी पढ़ें- अधर में CM नीतीश का एक और 'ड्रीम प्रोजेक्ट', लोहिया पथ चक्र का डिजाइन बना अड़ंगा

नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) लोहिया पथ चक्र (Lohia Path Chakra) में भी भारी गड़बड़ी देखने को मिली. पटना में फ्लाई ओवर बनाने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की. काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए. जिससे राजकोष पर 18.41 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया.

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पटना: बिहार में सीएजी (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की खामियों को उजागर किया है. 31 मार्च 2019 को बकाया राजस्व 4107.32 करोड़ रुपये था, जिसमें से 521.07 करोड़ पांच सालों से अधिक समय से लंबित था. सामान्य हिस्से में साल 2018-19 के लिए बिहार सरकार की कुल प्राप्तियां 1,31,793.45 करोड़ थी.

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राज्य सरकार द्वारा अपने स्रोतों से सृजित राजस्व 33,538.70 करोड़ रुपये यानी 25.45 प्रतिशत था. जबकि भारत सरकार से प्राप्तियों का हिस्सा 98,254.75 करोड़ रुपये यानी कुल प्राप्तियों का 74.55 प्रतिशत था. जिसमें संघीय करों में राज्य का हिस्सा 73,603.13 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों का 55.85 प्रतिशत) और सहायता अनुदान 24,651.62 करोड़ (कुल प्राप्तियों का 18.70 प्रतिशत) समाविष्ट थे.

लेखा परीक्षा ने 629 मामलों में कुल 3,658.11 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगा. संबंधित विभागों ने 1,648 मामलों में 1336.65 करोड़ रुपये स्वीकृत किया. टैक्स वसूली में कॉमर्शियल टैक्स जुर्माना वसूलने में भारी शिथिलता मिली. सीएजी ने पाया कि तीन व्यवसायियों से 5.64 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी का पता नहीं लग सका है.

31 दिसम्बर 2019 तक मात्र 4.38 किलोमीटर सड़क बनी, जबकि 31 दिसम्बर 2022 तक पूरी सड़क बनना थी. 10 साल में 64 फीसदी सीमा चौकिया मुख्य सड़क से नहीं जुड़ी. जो सशस्त्र सीमा बल की गतिशीलता पर प्रभाव डाल रही हैं. भारत नेपाल सीमा सड़क बनाने में सरकार सुस्त रही है. 2759.25 एकड़ भूमि के विरुद्ध 2497.64 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हुआ है. वहीं, पुल निर्माण पर 928.77 करोड़ रुपये खर्च हुए.

मनरेगा भूमिहीन आकस्मिक मजदूरों के पंजीकरण में सुधार करने की जरूरत है. 60.88 लाख भूमिहीन मजदूरों के सर्वेक्षण में से मात्र 3.34 फीसदी मजदूरों का जॉब कार्ड बना है. एक फीसदी से भी कम लोगों को जॉब कार्ड मिला. 22 हजार 678 इच्छुक परिवारों में से 146 को जॉब कार्ड मिले. 2014-19 की अवधि में मात्र 9 से 14 फीसदी रजिस्टर्ड दिव्यांगों को और 9 फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को जॉब मिला.

ये भी पढ़ें- CM नीतीश की 'हर घर नल का जल योजना' ने पटना में ही तोड़ा दम, लेटलतीफी की हुई शिकार

साल 2014 से 19 के बीच मंदी के समय में 26 से 36 फीसदी लोगों ने रोजगार डिमांड की, लेकिन सिर्फ 9 फीसदी लोगों को रोजगार मिला. 100 दिनों की मजदूरी मांगने वाले परिवारों में से मात्र 1 फीसदी लोगों को रोजगार मिला. काम पूरा मात्र 14 फीसदी हुआ. एससी/एसटी लोगों को भी रोजगार नहीं मिला. 22-24 फीसदी रजिस्टर्ड एससी/एसटी लोगों में से 19 से 59 फीसदी लोगों को 10 से 15 दिनों का रोजगार मिला.

आधार साइडिंग बेस्ड पेमेंट में सरकर पीछे है. मात्र 25 फीसदी लोगों को आधार पेमेंट हुआ. निजी मकानों पर भी मनरेगा से काम हुआ. कुछ ऐसे मकान बनाए गए, जिनमें काम नहीं हो रहें. पौधारोपण में भी भारी गड़बड़ी मिली है. ऑफ सीजन पौधारोपण से ज्यादातर पौधे सूख गए. पौधारोपण में ढीले ढाले रवैये के कारण 164.98 करोड़ रुपये बर्बाद हुए.

महादलितों के लिए सामुदायिक भवन जनवरी 2020 तक 916 में से 147 भवन पूरे हुए हैं. बाकी 608 भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. ये आंकड़ा 2016-19 के दौरान का है. अभियंता प्रमुख के आदेश का उल्लंघन किया गया, इसकी वजह से 2.73 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए. अभियंता प्रमुख ने सड़क निर्माण के लिए स्टोन चिप्स मानपुर से लाने को कहा था, जबकि कार्यपालक अभियंता ने कोडरमा से स्टोन चिप्स मंगवाया. 38 किलोमीटर के जगह 100 किलोमीटर दूर से स्टोन चिप्स मंगवाया.

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में 79 सरकारी कम्पनियों और वैधानिक निगम में से 75 कमोनी और निगम के 1321 खाते बकाए में है. इनमें से एक खाता 1977-78 से पेंडिंग है. पटना में फ्लाई ओवर बनाने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की. काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए. 31 मार्च 2019 के सार्वजनिक उपक्रमों के अंश पूजी 36122.20 करोड़ रुपये और 8800.51 करोड़ रुपये ऋण था. कुल निवेश 44922.71 करोड़ रुपये है.

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नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) लोहिया पथ चक्र (Lohia Path Chakra) में भी भारी गड़बड़ी देखने को मिली. पटना में फ्लाई ओवर बनाने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने भारी गड़बड़ी की. काम शुरू करने और तकनीकी स्वीकृति के पहले निर्माण करने वाले ठेकेदारों को 66 करोड़ रुपये दे दिए. जिससे राजकोष पर 18.41 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया.

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