पटना: ग्लूकोमा आंखों की एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जो डॉक्टरों के मुताबिक ठीक नहीं हो सकती. जीवन भर इसकी दवा लेनी बेहद जरूरी है. आंखों में अधिक दबाव होने की वजह से आंख को दिमाग से जोड़ने वाली तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो जाती है. जिससे लोगों को ग्लूकोमा बीमारी हो सकती है. लेकिन आज हम पटना के एक ऐसे शख्स के बार में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने घर बैठे ही इस लाइलाज बीमारी से मुक्ति पा ली है.
पटना के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय को साल 2008 में जब आंखों में अधिक समस्या हुई तो जांच में पता चला कि उन्हें ग्लूकोमा है. पटना और दिल्ली के कई बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में उन्होंने जांच कराई. सभी डॉक्टरों ने कहा कि अब जीवन भर उन्हें दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा. बीमारी तो ठीक नहीं हो सकती लेकिन इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है.
प्रकृति से खोजा इलाज
ग्लूकोमा की जानकारी लगते ही रवि उपाध्याय ने दवाओं का सेवन करना शुरू कर दिया. जब 2016 में उन्होंने फिर से जांच कराई तो उनकी रिपोर्ट में ग्लूकोमा आया ही नहीं. उन्होंने एक दो जगह और जांच कराई वहां भी रिपोर्ट में ग्लूकोमा नहीं पाया गया. रवि उपाध्याय हैरान-परेशान हो गए. लेकिन जिन डॉक्टरों के पास उन्होंने दिखाया था सभी डॉक्टर भी हैरान रह गए. उन्होंने पूछा कि आखिर आपने क्या किया है जो ग्लूकोमा जैसी लाइलाज बीमारी खत्म हो गई. वहां तो उन्हें भी कुछ समझ नहीं आया. लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे जिन घरेलू उपचारों को अपना रहे हैं उसका फायदा उन्हें मिला है.
इस तरकीब से संभव हुआ ग्लूकोमा से निजात
दरअसल रवि उपाध्याय ने 2010 से ही घर पर बना हुआ एक काढ़ा पीना शुरू किया था. जिससे उनका ग्लूकोमा तो ठीक हुआ. साथ ही 25 साल से चल रही डायबिटीज की दवा भी आधी से कम हो गई. रवि उपाध्याय की पत्नी सुषमा को फूल-पौधों से बड़ा लगाव है. सुषमा जी ने बताया कि 2010 से ही वह एक काढ़ा बनाती हैं. जिसका सेवन घर वाले प्रतिदिन सुबह करते हैं .काढ़ा में पड़ने वाली सभी चीजें उनके घर पर ही उपलब्ध हैं.
इन सामग्रियों से बनता है काढ़ा
काढ़े में सुषमा जी तुलसी, नीम, गिलोय, अपराजिता, पान, अमरूद, पपीता, अजवाइन, एलोवेरा, अड़हुल, हरसिंगार, आम, पीपल, धनिया, आंवला और पुदीना के पत्तों का इस्तेमाल करती है. सभी को पानी में उबालकर वे उसका सेवन करती हैं. इसी काढ़े के सेवन से उनके पति रवि उपाध्याय को काफी फायदा हुआ और उनका ग्लूकोमा भी ठीक हो गया.
महिलाओं के लिए है खास फायदेमंद
सुषमा ने बताया कि ग्लूकोमा के साथ ही डायबिटीज, बीपी में भी इस काढ़े से काफी लाभ होता है. इसके सेवन से थायराइड, लो बीपी, शुगर यहां तक कि महिलाओं की समस्या से भी निजात मिल सकता है. पहले तो उन्हें भी इसके बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन जब रवि उपाध्याय की रिपोर्ट में ग्लूकोमा नहीं आया तब उन्हें इस काढ़े का पूरा लाभ पता चला. तब से लेकर अब तक वह लोग काढ़े का सेवन करते हैं.
आयुर्वेद से मिला आइडिया
हालांकि सुषमा ने बताया कि उनके दादाजी आयुर्वेदाचार्य थे. उनकी एक पुरानी पुस्तक है जिसे वह पढ़ती हैं और उनके नुस्खों का उपयोग करके घर पर ही उपलब्ध सभी किचन सामग्री और फूल पौधों से इलाज करती हैं. ऐसे में जाने अनजाने में सुषमा ने आयुर्वेदिक तरीके का इस्तेमाल कर इस लाइलाज बीमारी को ठीक किया.