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परिवार से लेकर कार्यकर्ताओं तक में थी फूट, लालू के नाम पर सहानुभूति वोट भी नहीं बटोर पाई RJD

बिहार की 40 सीटों में से 38 सीटों पर एनडीए गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज कराने की नींव रख दी है. सभी सीटों पर एनडीए बड़े अंतराल से आगे है.

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Published : May 23, 2019, 7:42 PM IST

पटना: बिहार में एनडीए की विजयी पताका फहरने के बाद आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम हार स्वीकारते हैं. उन्होंने कहा कि हम इसकी समीक्षा भी करेंगे. वहीं, महागठबंधन को मिली बुरी हार पर हमारे ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने इसे महागठबंधन के अहंकार और भ्रम की वजह से हाराना बताया है.

प्रवीण बागी ने कहा कि विपक्ष बिखरा-बिखरा दिख रहा था. उनका पूरा अभियान बिखरा-बिखरा था. उनके बीच हम और अहम की लड़ाई थी. लिहाजा, इतनी बुरी हार देखनी पड़ी. वहीं, प्रवीण बागी ने राजद को उनके विनिंग सीट पर मिली करारी हार की मुख्य वजह पारिवारिक कलह बताई है. जैसा कि विदित है कि तेज प्रताप यादव पार्टी विरोध में निर्दलीय उम्मीदवार के सपोर्ट पर उतर आए थे. इस पहलु पर प्रवीण बागी ने अपनी राय पेश की.

प्रवीण बागी की राय

बिहार में नहीं दिखा पाए प्रभाव
बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी राजद है. उसका बिहार में वर्चस्व है. लेकिन पारिवारिक कलह की वजह से हार का खामियाजा भुगतना पड़ा. तेज प्रताप के बागी तेवरों ने राजद को कमजोर करने का काम किया है. तेज ने जहानाबाद में एक अलग प्रत्याशी दे दिया. दूसरी ओर वहां से लड़ रहे आरजेडी प्रत्याशी को आरएसएस उम्मीदवार बता दिया.

सीट शेयरिंग से खुश ना थे कार्यकर्ता
पूर्वी चंपारण समेत कई सीटों पर सीट शेयरिंग को लेकर राजद कार्यकर्ता खुश नहीं थे. लिहाजा इसका असर कहीं ना कहीं चुनाव में जरूर पड़ा है. बता दें कि पूर्वी चंपारण से 2014 चुनावों में दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के अशोक कुमार श्रीवास्तव का टिकट कट कर इस सीट को महागठबंधन ने रालोसपा की झोली में डाल दिया था. इसके बाद अशोक ने आंसू बहा इसे उनकी राजनीतिक हत्या करार दिया था.

नहीं दिखा लालू इफैक्ट
चुनावी रैलियों के दौरान आरजेडी ने पार्टी सुप्रीमो लालू यादव की जमानत से लेकर उनकी खराब तबियत का हवाला देते हुए जमकर बयानबाजी भी की. वहीं, आरजेडी ने लालू के मुद्दे से मतदाताओं की संवेदना बटोरनी चाही. लालू के लेटर वायरल किए गए. गोपालगंज टू रायसीना किताब लांच की गई. इस किताब में नीतीश पर आरोप भी लगे.

पटना: बिहार में एनडीए की विजयी पताका फहरने के बाद आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम हार स्वीकारते हैं. उन्होंने कहा कि हम इसकी समीक्षा भी करेंगे. वहीं, महागठबंधन को मिली बुरी हार पर हमारे ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने इसे महागठबंधन के अहंकार और भ्रम की वजह से हाराना बताया है.

प्रवीण बागी ने कहा कि विपक्ष बिखरा-बिखरा दिख रहा था. उनका पूरा अभियान बिखरा-बिखरा था. उनके बीच हम और अहम की लड़ाई थी. लिहाजा, इतनी बुरी हार देखनी पड़ी. वहीं, प्रवीण बागी ने राजद को उनके विनिंग सीट पर मिली करारी हार की मुख्य वजह पारिवारिक कलह बताई है. जैसा कि विदित है कि तेज प्रताप यादव पार्टी विरोध में निर्दलीय उम्मीदवार के सपोर्ट पर उतर आए थे. इस पहलु पर प्रवीण बागी ने अपनी राय पेश की.

प्रवीण बागी की राय

बिहार में नहीं दिखा पाए प्रभाव
बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी राजद है. उसका बिहार में वर्चस्व है. लेकिन पारिवारिक कलह की वजह से हार का खामियाजा भुगतना पड़ा. तेज प्रताप के बागी तेवरों ने राजद को कमजोर करने का काम किया है. तेज ने जहानाबाद में एक अलग प्रत्याशी दे दिया. दूसरी ओर वहां से लड़ रहे आरजेडी प्रत्याशी को आरएसएस उम्मीदवार बता दिया.

सीट शेयरिंग से खुश ना थे कार्यकर्ता
पूर्वी चंपारण समेत कई सीटों पर सीट शेयरिंग को लेकर राजद कार्यकर्ता खुश नहीं थे. लिहाजा इसका असर कहीं ना कहीं चुनाव में जरूर पड़ा है. बता दें कि पूर्वी चंपारण से 2014 चुनावों में दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी के अशोक कुमार श्रीवास्तव का टिकट कट कर इस सीट को महागठबंधन ने रालोसपा की झोली में डाल दिया था. इसके बाद अशोक ने आंसू बहा इसे उनकी राजनीतिक हत्या करार दिया था.

नहीं दिखा लालू इफैक्ट
चुनावी रैलियों के दौरान आरजेडी ने पार्टी सुप्रीमो लालू यादव की जमानत से लेकर उनकी खराब तबियत का हवाला देते हुए जमकर बयानबाजी भी की. वहीं, आरजेडी ने लालू के मुद्दे से मतदाताओं की संवेदना बटोरनी चाही. लालू के लेटर वायरल किए गए. गोपालगंज टू रायसीना किताब लांच की गई. इस किताब में नीतीश पर आरोप भी लगे.

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