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जनता दरबार से बाहर निकलने पर बोले शिक्षक- मेरी बात नहीं सुन रहे थे मुख्यमंत्री, इसीलिए हो गई बहस - जनता दरबार में मधेपुरा शिक्षक

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एक बार फिर जनता दरबार में लोगों की फरियाद सुनी. इस दौरान मधेपुरा से पहुंचे एक निलंबित शिक्षक ने सीएम से बहस कर लिया. शिक्षक ने कहा कि मेरी पूरी शिकायत उन्होंने नहीं सुनी. पढ़े पूरी खबर-

जनता दरबार
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Published : Sep 13, 2021, 3:46 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 4:14 PM IST

पटना: जनता दरबार (Janta Darbar) में मधेपुरा से आए एक शिक्षक रूप नारायण यादव मुख्यमंत्री से बहस करने लगे. शिक्षक का कहना था कि मुख्यमंत्री ने उनकी पूरी बात सुने बगैर शिक्षा मंत्री के पास जाने को कह दिया. इसलिए उन्होंने कहा था कि आपके पास आया हूं. मुझे पूरी बात तो कहने दें. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने शिक्षा मंत्री के पास भेज दिया.

यह भी पढ़ें- छात्र ने CM से पूछा- नौकरी नहीं दे पायेंगे इसीलिए B. Ed. वालों को नहीं देते स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड ?

'मुख्यमंत्री शिकायत सुनने की जगह शिक्षा मंत्री के पास भेज रहे थे. इसी कारण बहस हो गई. ऐसे में तो समस्या का समाधान होने से रहा. पहले भी मुख्यमंत्री से गुहार लगा चुके हैं. अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. मुजे साजिश के तहत मेरे पद से हटा दिया गया है. इसी की शिकायत लेकर मैं पहुंचा था.' -रूप नारायण यादव, शिक्षक

देखें वीडियो

असल में रूप नारायण यादव को केंद्र अधीक्षक पद से हटाकर निलंबित कर दिया गया है. अपने निलंबन के खिलाफ ही जनता दरबार में गुहार लगाने पहुंचे थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी बात नहीं सुनी. इसी से निलंबित शिक्षक रूपनारायण नाराज हो गए.

बता दें कि मधेपुरा में सहायक शिक्षक के पद पर काम करने वाले रूप नारायण यादव को केंद्र अधीक्षक पद से हटा दिया गया है. निलंबित रूपनारायण यादव का आरोप है कि उन्हें साजिश के तहत हटाया गया है. वो अपनी बात मुख्यमंत्री से कहने के लिए पहुंचे थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी बात नहीं सुनी. उनके सुरक्षाकर्मियों ने मुझे वहां से हटा दिया और इसी को लेकर मुख्यमंत्री से बहस भी हुई.

रूप नारायण यादव का कहना है कि पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं. अधिकारियों से भी गुहार लगाई है और जनता दरबार पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने मेरी बात सुनी ही नहीं. शिक्षा मंत्री के पास भेज दिया. ऐसे में तो मेरी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है.

मधेपुरा के सहायक शिक्षक रूपनारायण यादव का यह भी कहना है कि मैंने आरटीआई से केंद्र अधीक्षकों के खिलाफ हुई कार्रवाई की पूरी सूची निकाल ली थी. उसी को लेकर अधिकारी नाराज थे. कई केंद्र अधीक्षक चिट-पुर्जा के साथ पकड़े गए. लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन मेरे खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई कर दी गई.

बता दें कि रूप नारायण यादव इकलौते नहीं हैं. ऐसे कई लोग हैं, जो मुख्यमंत्री को अपनी समस्या बताने जनता दरबार पहुंचे थे. लेकिन संतुष्ट नहीं हुए और उन्हें लग रहा है कि उनकी समस्या का समाधान जनता के दरबार में भी नहीं होने वाला है.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार का कार्यक्रम शुरू किया है. मुख्यमंत्री ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की खराब परफॉर्मेंस के बाद फिर से जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी. कोरोना महामारी के कारण जनता दरबार पहले शुरू नहीं हो पाया था.

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पटना: जनता दरबार (Janta Darbar) में मधेपुरा से आए एक शिक्षक रूप नारायण यादव मुख्यमंत्री से बहस करने लगे. शिक्षक का कहना था कि मुख्यमंत्री ने उनकी पूरी बात सुने बगैर शिक्षा मंत्री के पास जाने को कह दिया. इसलिए उन्होंने कहा था कि आपके पास आया हूं. मुझे पूरी बात तो कहने दें. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने शिक्षा मंत्री के पास भेज दिया.

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'मुख्यमंत्री शिकायत सुनने की जगह शिक्षा मंत्री के पास भेज रहे थे. इसी कारण बहस हो गई. ऐसे में तो समस्या का समाधान होने से रहा. पहले भी मुख्यमंत्री से गुहार लगा चुके हैं. अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. मुजे साजिश के तहत मेरे पद से हटा दिया गया है. इसी की शिकायत लेकर मैं पहुंचा था.' -रूप नारायण यादव, शिक्षक

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असल में रूप नारायण यादव को केंद्र अधीक्षक पद से हटाकर निलंबित कर दिया गया है. अपने निलंबन के खिलाफ ही जनता दरबार में गुहार लगाने पहुंचे थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी बात नहीं सुनी. इसी से निलंबित शिक्षक रूपनारायण नाराज हो गए.

बता दें कि मधेपुरा में सहायक शिक्षक के पद पर काम करने वाले रूप नारायण यादव को केंद्र अधीक्षक पद से हटा दिया गया है. निलंबित रूपनारायण यादव का आरोप है कि उन्हें साजिश के तहत हटाया गया है. वो अपनी बात मुख्यमंत्री से कहने के लिए पहुंचे थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी बात नहीं सुनी. उनके सुरक्षाकर्मियों ने मुझे वहां से हटा दिया और इसी को लेकर मुख्यमंत्री से बहस भी हुई.

रूप नारायण यादव का कहना है कि पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं. अधिकारियों से भी गुहार लगाई है और जनता दरबार पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने मेरी बात सुनी ही नहीं. शिक्षा मंत्री के पास भेज दिया. ऐसे में तो मेरी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है.

मधेपुरा के सहायक शिक्षक रूपनारायण यादव का यह भी कहना है कि मैंने आरटीआई से केंद्र अधीक्षकों के खिलाफ हुई कार्रवाई की पूरी सूची निकाल ली थी. उसी को लेकर अधिकारी नाराज थे. कई केंद्र अधीक्षक चिट-पुर्जा के साथ पकड़े गए. लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन मेरे खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई कर दी गई.

बता दें कि रूप नारायण यादव इकलौते नहीं हैं. ऐसे कई लोग हैं, जो मुख्यमंत्री को अपनी समस्या बताने जनता दरबार पहुंचे थे. लेकिन संतुष्ट नहीं हुए और उन्हें लग रहा है कि उनकी समस्या का समाधान जनता के दरबार में भी नहीं होने वाला है.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार का कार्यक्रम शुरू किया है. मुख्यमंत्री ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की खराब परफॉर्मेंस के बाद फिर से जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी. कोरोना महामारी के कारण जनता दरबार पहले शुरू नहीं हो पाया था.

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Last Updated : Sep 13, 2021, 4:14 PM IST
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