पटना: नीतीश कुमार पिछले 18 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. वह राजनीति के चाणक्य भी कहे जाते हैं. 18 सालों में गठबंधन किसी के साथ हो, सीएम की कुर्सी पर वही बैठते हैं. खास बात ये है कि पिछले 19 सालों से न तो उन्होंने लोकसभा और न ही विधानसभा का चुनाव लड़ा है. नीतीश कुमार पहली बार 1985 में विधायक बने थे, उसके बाद 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए फिर 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार लोकसभा के लिए चुने जाते रहे हैं लेकिन 2004 के बाद वह चुनाव नहीं लड़े हैं. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे और यह विधान परिषद के माध्यम से सदन का सदस्य बनने के कारण संभव हुआ.
ये भी पढ़ें: Mission 2024: UP की फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे नीतीश कुमार? BJP बोली- 'हार के डर से बिहार छोड़ रहे हैं CM'
19 वर्षों से नीतीश कुमार ने चुनाव नहीं लड़ा: हालांकि बिहार विधान परिषद के सदस्य का उनका कार्यकाल भी मई 2024 में समाप्त हो रहा है. पिछले तीन बार से लगातार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं. इधर नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद से विपक्षी एकजुटता की मुहिम चल रही है और उसके भी सूत्रधार नीतीश कुमार ही हैं. पटना में पहली बैठक विपक्षी दलों की कराने के बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु में हो चुकी है. अब मुंबई में तीसरी बैठक होने वाली है. बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का जो अभियान नीतीश कुमार ने शुरू किया है, वह धीरे-धीरे रंग लाने लगा है.
अगले साल खत्म होगा विधान परिषद का कार्यकाल: इस बीच नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा हो रही है. इसके पीछे की बड़ी वजह बिहार की सियासत भी है. एक तो नीतीश कुमार का विधान परिषद का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है और उसी समय लोकसभा का चुनाव भी होगा. ऐसे तो नीतीश कुमार चाहेंगे तो विधान परिषद का फिर से सदस्य बन सकते हैं लेकिन जेडीयू में 3 बार से अधिक अभी तक किसी को विधान परिषद की सदस्यता नहीं दी गई है.
केंद्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे नीतीश: वहीं दूसरी वजह नीतीश कुमार की वह घोषणा है, जिसमें उन्होंने खुद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के 2025 के चुनाव लड़ने की बात कही थी. हालांकि आरजेडी की तरफ से उससे पहले नीतीश कुमार पर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने का दबाव भी बन रहा है. अगर ऐसा हो जाता है तो जाहिर है कि नीतीश कुमार केंद्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे और बिहार की राजनीति तेजस्वी यादव के हवाले करना पड़ेगा. वैसी सूरत में लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार लड़ सकते हैं.
केवल राज्यसभा का सदस्य नहीं बने: नीतीश कुमार तीनों सदनों के सदस्य बन चुके हैं लेकिन अभी भी राज्यसभा के सदस्य नहीं बने हैं. नीतीश कुमार के लिए राज्यसभा जाने का भी ऑप्शन है लेकिन विपक्षी एकजुटता के जिस प्रकार से सूत्रधार बने हैं और संयोजक बनाने की चर्चा भी हो रही है. ऐसे में नीतीश कुमार अपनी मजबूत दावेदारी विपक्ष के नेता के रूप में तभी बेहतर ढंग से रख सकते हैं, जब लोकसभा का चुनाव जीतेंगे.
नीतीश कुमार फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे?: उधर, जेडीयू की उत्तर प्रदेश इकाई की तरफ से फूलपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़ और अंबेदकर नगर जैसे लोकसभा क्षेत्र से लगातार नीतीश के लिए चुनाव लड़ने का ऑफर आ रहा है. वैसे तो नालंदा से भी कई बार जेडीयू के नेता कह चुके हैं कि नीतीश कुमार यहां से लड़ सकते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी कुछ महीने पहले इसी तरह का बयान दिया था कि कई स्थानों से नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर आया है, जिसमें फूलपुर भी शामिल है.
फूलपुर की चर्चा क्यों?: फूलपुर की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि वहां कुर्मी जाति की बड़ी आबादी है. पार्टी की ओर से कुछ सीटों पर यूपी में सर्वे भी करवाया गया है. नीतीश कुमार के नजदीकी और नालंदा से आने वाले मंत्री श्रवण कुमार को यूपी का प्रभारी बनाया गया है. जिसके बाद से वह लगातार यूपी में कार्यक्रम कर रहे हैं. पिछले दिनों 30 जुलाई को जौनपुर में सम्मेलन भी किया था. वहां भी नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ाने की मांग हुई थी. श्रवण कुमार, मदन सहनी और शीला मंडल समेत तमाम नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार पर देश की जनता विश्वास करती है. वह कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं, फैसला उनको लेना है.
"मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय नेता हैं. बिहार के मुख्यमंत्री बनने से पहले रेल मंत्री समेत कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. पूरे देश में उन्होंने काम किया है. मुझे लगता है कि जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, जीतेंगे लेकिन बिहार के मंत्री होने के नाते हम लोगों की इच्छा है मुख्यमंत्री बिहार से भी चुनाव लड़ें"- मदन सहनी, मंत्री, बिहार सरकार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर देश की जनता विश्वास करती है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से आकर बनारस में चुनाव लड़ सकते हैं तो नीतीश कुमार क्यों नहीं यूपी से चुनाव लड़ सकते हैं"- शीला मंडल, मंत्री, बिहार सरकार
बिहार से क्यों भाग रहे नीतीश?: उधर, नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना पर भारतीय जनता पार्टी ने तंज कसना शुरू कर दिया है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है बिहार छोड़कर उत्तर प्रदेश पर जेडीयू नेताओं को क्यों भरोसा हो रहा है. जब नीतीश कुमार 2014 लोकसभा का चुनाव अकेले लड़े थे, तब जेडीयू को मात्र 2 सीटों पर जीत मिली थी. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की झोली में 31 सीट बिहार की जनता ने दी थी. नरेंद्र मोदी पर बिहार की जनता को विश्वास है.
"जब बिहार में टक्कर नहीं दे पा रहे हैं तो उत्तर प्रदेश में उनका क्या होगा. उनको याद रखना चाहिए कि कैसे 2014 में जेडीयू को मात्र दो सीट मिली थी, जबकि प्रधानमंत्री जी की अगुवाई में एनडीए ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. 18 साल से बिहार के सीएम हैं और अगर यहां विकास का दावा करते हैं तो फिर क्यों यहां से भाग रहे हैं"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी
नीतीश के पक्ष में फूलपुर का समीकरण: वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार 2024 में नरेंद्र मोदी की तरह लोकसभा की 2 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. एक सीट उत्तर प्रदेश से और दूसरी सीट बिहार की हो सकती है. यूपी के फूलपुर में स्थिति नीतीश कुमार के पक्ष में है. यदि चुनाव लड़ने की वहां घोषणा करेंगे तो बढ़त ले सकते हैं, क्योंकि नीतीश कुमार को कांग्रेस और सपा का साथ भी मिल सकता है.
"जब नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, तब उन्होंने दो सीटों से चुनाव लड़ा था. ऐसे में मुझे लगता है कि अगर चर्चा हो रही है तो नीतीश कुमार भी नालंदा और फूलपुर से लड़ सकते हैं. फूलपुर का समीकरण उनके लिए बेहतर दिख रहा है. चुनाव लड़ने की सूरत में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का समर्थन मिलने से परिणाम उनके पक्ष में आ सकता है"- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
यूपी में जेडीयू का सियासी आधार?: जनता दल यूनाइटेड पहले भी उत्तर प्रदेश में अपना उम्मीदवार उतारता रहा है लेकिन नतीजे उत्साहजनक नहीं रहे हैं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारा थ लेकिन किसी की जमानत नहीं बच सकी. हालांकि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद ही जेडीयू ने अपने नजदीकी मंत्री श्रवण कुमार को उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया है. जिस फूलपुर से नीतीश कुमार के लड़ने की चर्चा हो रही है, वहां कुर्मी (पटेल) जाति की बड़ी आबादी है. यही समाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आते हैं.