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पटना में गंगा की छाती को चीर रहे हैं खनन माफिया, खतरे में 'डॉल्फिन' का अस्तित्व - डॉल्फिन रिसर्च सेंटर

गंगा में डॉल्फिन पर विस्तृत विश्लेषण करके लौटे डॉक्टर गोपाल शर्मा ने कहा कि सोंस का जीवन खतरे में है. सरकार ने हालांकि अवैध खनन पर रोक लगाई है. फिर भी चोरी-छिपे जिस तरीके से अवैध बालू खनन हो रहा है, उसने डॉल्फिन के लिए गंभीर स्थिति पैदा हो रही है.

dolphin endangered due to illegal sand mining
अवैध बालू खनन से खतरे में देश का राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन का जीवन
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Published : Jan 13, 2020, 12:43 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 1:05 PM IST

पटना: देश में सबसे ज्यादा संख्या में पाई जाने वाली डॉल्फिन की जान अब खतरे में है. बिहार में इसे सोंस के नाम से जाना जाता है. राजधानी से भागलपुर तक गंगा में अठखेलियां दिखाती देश की डॉल्फिन ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा. बिहार के डॉल्फिन मैन आर के सिन्हा ने जब इस पर रिसर्च किया और लोगों को डॉल्फिन के बारे में बताया, तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर दिया. अब पटना में जल्द ही डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की परिकल्पना साकार होने वाली है.

खतरे में डॉल्फिन का जीवन
दूसरी तरफ गंगा में घट रहा जलस्तर और लगातार मछुआरों की बढ़ती सक्रियता सोंस के लिए परेशानी का सबब बन रही है. पटना स्थित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रीजनल डायरेक्टर डॉ. गोपाल शर्मा हाल ही में सोंस को लेकर गंगा भ्रमण पर निकले थे. इस दौरान उन्होंने तमाम स्थितियां और सोंस को लेकर गंगा की परिस्थितियों पर गहन अध्ययन किया.

dolphin endangered due to illegal sand mining
डॉल्फिन रिसर्च सेंटर

ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि बिहार में और विशेष रूप से गंगा में डॉल्फिन की स्थिति अच्छी है. लेकिन उनका जीवन खतरे में है क्योंकि लगातार बालू का अवैध खनन हो रहा है.

देखें ये रिपोर्ट

अवैध बालू खनन पर रोक जरूरी
गंगा में डॉल्फिन पर विस्तृत विश्लेषण करके लौटे डॉक्टर गोपाल शर्मा ने कहा कि सोंस का जीवन खतरे में है. सरकार ने हालांकि अवैध खनन पर रोक लगाई हुई है. फिर भी चोरी-छिपे जिस तरीके से अवैध बालू खनन हो रहा है, उसने डॉल्फिन के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर दी है और इस पर तत्काल रोक जरूरी है. एक तरफ पटना में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना हो रही है. डॉल्फिन को बचाने और उनके लिये सेफ जोन बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रयास हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बालू के अवैध कारोबार ने इस राष्ट्रीय जलीय जीव के अस्तित्व पर ही संकट ला दिया है. अब देखना है कि इस ओर सरकार कितनी गंभीर होती है.

dolphin endangered due to illegal sand mining
डॉल्फिन

पटना: देश में सबसे ज्यादा संख्या में पाई जाने वाली डॉल्फिन की जान अब खतरे में है. बिहार में इसे सोंस के नाम से जाना जाता है. राजधानी से भागलपुर तक गंगा में अठखेलियां दिखाती देश की डॉल्फिन ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा. बिहार के डॉल्फिन मैन आर के सिन्हा ने जब इस पर रिसर्च किया और लोगों को डॉल्फिन के बारे में बताया, तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर दिया. अब पटना में जल्द ही डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की परिकल्पना साकार होने वाली है.

खतरे में डॉल्फिन का जीवन
दूसरी तरफ गंगा में घट रहा जलस्तर और लगातार मछुआरों की बढ़ती सक्रियता सोंस के लिए परेशानी का सबब बन रही है. पटना स्थित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रीजनल डायरेक्टर डॉ. गोपाल शर्मा हाल ही में सोंस को लेकर गंगा भ्रमण पर निकले थे. इस दौरान उन्होंने तमाम स्थितियां और सोंस को लेकर गंगा की परिस्थितियों पर गहन अध्ययन किया.

dolphin endangered due to illegal sand mining
डॉल्फिन रिसर्च सेंटर

ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि बिहार में और विशेष रूप से गंगा में डॉल्फिन की स्थिति अच्छी है. लेकिन उनका जीवन खतरे में है क्योंकि लगातार बालू का अवैध खनन हो रहा है.

देखें ये रिपोर्ट

अवैध बालू खनन पर रोक जरूरी
गंगा में डॉल्फिन पर विस्तृत विश्लेषण करके लौटे डॉक्टर गोपाल शर्मा ने कहा कि सोंस का जीवन खतरे में है. सरकार ने हालांकि अवैध खनन पर रोक लगाई हुई है. फिर भी चोरी-छिपे जिस तरीके से अवैध बालू खनन हो रहा है, उसने डॉल्फिन के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर दी है और इस पर तत्काल रोक जरूरी है. एक तरफ पटना में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना हो रही है. डॉल्फिन को बचाने और उनके लिये सेफ जोन बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रयास हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बालू के अवैध कारोबार ने इस राष्ट्रीय जलीय जीव के अस्तित्व पर ही संकट ला दिया है. अब देखना है कि इस ओर सरकार कितनी गंभीर होती है.

dolphin endangered due to illegal sand mining
डॉल्फिन
Intro:देश में सबसे ज्यादा संख्या में पाई जाने वाली डॉल्फिन की जान खतरे में है। बिहार में इसे सोंस के नाम से जाना जाता है। बिहार के मशहूर डॉल्फिन मैन की पहल पर इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया। गंगा नदी में बसने और फलने फूलने वाली डॉल्फिन आखिर क्यों खतरे में है। देखिए इस खास रिपोर्ट में


Body:पटना से भागलपुर तक गंगा में अठखेलियां दिखाती देश की डॉल्फिन ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा। बिहार के डॉल्फिन मैन आर के सिन्हा ने जब इस पर रिसर्च किया और लोगों को सोंस या डॉल्फिन के बारे में बताया, तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर दिया। अब पटना में जल्द ही डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की परिकल्पना साकार होने वाली है।
दूसरी तरफ गंगा में घट रहा जलस्तर और लगातार मछुआरों की बढ़ती सक्रियता सोस के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
पटना स्थित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रीजनल डायरेक्टर डॉ गोपाल शर्मा हाल ही में सोंस को लेकर गंगा भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान उन्होंने तमाम स्थितियों और सोंस को लेकर गंगा की परिस्थितियों पर गहन अध्ययन किया।
ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ गोपाल शर्मा ने कहा कि बिहार में और विशेष रूप से गंगा में डॉल्फिन की स्थिति अच्छी है। लेकिन उनका जीवन खतरे में है क्योंकि लगातार बालू का अवैध खनन हो रहा है। हाल में गंगा में डॉल्फिन पर विस्तृत विश्लेषण करके लौटे डॉक्टर गोपाल शर्मा ने कहा कि सोस का जीवन खतरे में है। सरकार ने हालांकि अवैध खनन पर रोक लगाई हुई है फिर भी चोरी-छिपे जिस तरीके से अवैध बालू खनन हो रहा है उसने डॉल्फिन के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर दी है और इस पर तत्काल रोक जरूरी है।


Conclusion:एक तरफ पटना में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना हो रही है। डॉल्फिन को बचाने और उनके लिये सेफ जोन बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रयास हो रहे हैं। दूसरी तरफ बालू के अवैध कारोबार ने इस राष्ट्रीय जलीय जीव के अस्तित्व पर ही संकट ला दिया है। अब देखना है कि इस ओर सरकार और प्रशासन कितना गंभीर होता है।

डॉ गोपाल शर्मा, क्षेत्रीय निदेशक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

नेटवर्क स्टोरी
Last Updated : Jan 13, 2020, 1:05 PM IST
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