पटना: सीबीआई ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया है. जांच एजेंसी ने सोमवार को दूसरा आरोप पत्र दायर करते हुए तेजस्वी यादव का नाम पहली बार आरोपी के रूप में शामिल किया है. इसको लेकर बीजेपी कह रही है कि नीतीश कुमार सिद्धांत और नैतिकता की बात करते हैं. उन्हें सबसे पहले चार्जशीटेड उपमुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर निकालना चाहिए.
कानून विद की सलाह- 'तेजस्वी ले लें बेल': वहीं पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार सिन्हा का कहना है कि तेजस्वी यादव यदि बेल नहीं लिए हैं तो उनको बेल के लिए अप्लाई कर देना चाहिए. क्योंकि कोर्ट के तरफ से यदि वारंट जारी होता है उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में पहले से ही परेशानी झेल रहे लालू परिवार के लिए तेजस्वी यादव का नाम चार्जशीट में आने के बाद मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
"सीबीआई की और से चार्जशीट किए जाने के बाद यदि तेजस्वी यादव ने पहले से एंटीसिपेटरी बेल ले रखा है तो कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि उन्होंने नहीं लिया तो बेल के लिए अप्लाई कर देना चाहिए क्योंकि कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी का वारंट उनके लिए जारी हो सकता है."- आलोक कुमार सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता पटना हाईकोर्ट
मंत्रिमंडल से हटाने की बीजेपी की मांग: ऐसे तेजस्वी यादव लगातार कहते रहे हैं जिस प्रकार से सीबीआई और ईडी की पूछताछ हो रही है, जल्द ही उनका भी नाम चार्जशीट में डाल दिया जाएगा. चार्जशीट में नाम डाले जाने के बाद आरजेडी और जदयू नेताओं की तरफ से कहा जा रहा है कि इसका कोई असर महागठबंधन सरकार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन बीजेपी की तरफ से लगातार तेजस्वी यादव को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग शुरू हो गई है.
"कम उम्र में करोड़ों के मालिक बन गए हैं. सीबीआई की जांच आगे बढ़ी है. उसमें जालसाजी सामने आया है. उसके बाद चार्जशीट में नाम दिया गया है. कानून अपना काम करेगा लेकिन लोकतंत्र लोक लाज से चलता है. अब चार्जशीटेड उपमुख्यमंत्री के साथ नीतीश कुमार काम करेंगे. आखिर सिद्धांत और नैतिकता की बात करते हैं तो उन्हें तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री पद से तुरंत हटाना चाहिए."- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
आरजेडी से नहीं नैतिकता की उम्मीद-BJP: बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि यह उम्मीद नहीं पालनी चाहिए कि तेजस्वी यादव खुद इस्तीफा देंगे. क्योंकि लालू प्रसाद यादव के पुत्र हैं और चारा घोटाला में लालू यादव ने जेल में रहकर सरकार चलाने की बात कही थी. हालांकि बाद में उनको इस्तीफा देना पड़ा और राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री उन्होंने बनाया गया.
"यह सेकेंडरी चार्जशीट है इसलिए इसका बहुत ज्यादा मायने नहीं है, लेकिन बीजेपी को जरूर एक बड़ा मुद्दा मिल गया है और नीतीश कुमार के लिए भी एक मुश्किल की घड़ी है. लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग है. ऐसे में नीतीश कुमार कोई बड़ा एक्शन लेंगे इसकी संभावना कम है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
सीबीआई की कार्रवाई: 18 मई 2022 सीबीआई ने 16 नामजद समेत अन्य अज्ञात पर मामला दर्ज किया था. 22 मई 2022 बिहार और दिल्ली के 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई. 27 मई 2022 पूर्व विधायक भोला यादव और रेलकर्मी हृदयानंद चौधरी गिरफ्तार किए गए. वहीं अब 3 जुलाई को सीबीआई की तरफ से उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम भी चार्जशीट में डाला गया है.
भ्रष्टाचारियों से दूर भागते हैं नीतीश: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि किसी मंत्री पर आरोप लगने के बाद चार्जशीट होने पर इस्तीफा लेते रहे हैं. महागठबंधन सरकार में ही आरजेडी कोटे से बनाए गए कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार से कुछ ही दिनों में इस्तीफा ले लिया था. वहीं 2017 में तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए एनडीए में वापस लौट गए थे.