जमुई: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र हंगामों के साथ समाप्त हो गया लेकिन अब भी बीजेपी पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने का मामला शांत नहीं हुआ है. आरजेडी और जेडीयू जहां सरकार के बचाव में उतर आई है वहीं बीजेपी लाठीचार्ज और बीजेपी नेता की मौत मामले की जांच कराने की मांग कर रही है. वहीं इस लड़ाई में अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी कूद पड़े हैं.
पढ़ें- Lathi Charge On BJP Leaders: सुनिए बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज पर नीतीश कुमार का जवाब
'नियम बन गया है लाठीचार्ज': प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में लाठीचार्ज का नियम बन गया है. सरकार ने एक फिक्स्ड पैरामीटर बनाया है कि लोगों को डाक बंगला, बेली रोड, हड़ताली चौराहे पर घेरो और लाठियों से पिटवाओ. मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों पर कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए. अब जो लाठी खाना है खा लीजिए.
"नीतीश कुमार के दिमाग में बैठ गया है कि हम काम करें या न करें, जनता में कितना भी रोष हो कोई न कोई जुगाड़ लगाकर मुख्यमंत्री मुझको ही बने रहना है. सभी फिर से जाति के आधार पर उसे ही वोट देंगे जिसने आज उसे लाठी से मारा है."- प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार
'नीतीश को नहीं डर': बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि पटना में कल जो लाठीचार्ज हुआ है, उसमें नीतीश कुमार के बारे में मेरी अपनी धारणा थी कि चाहे जो कुछ भी गलती हो, ये पुराने राजनीतिक लोग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में विश्वास करने वाले लोग हैं. इन्होंने जीवनभर विपक्ष की राजनीति की है. पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं पटना में लाठीचार्ज करना नियम बन गया है. गुरुवार को बीजेपी के लोगों के ऊपर लाठीचार्ज किया गया.
"बिहार में लाठीचार्ज करना कोई कोई नई बात नहीं है. कोई शिक्षक चला जाए उस पर भी लाठीचार्ज, बेरोजगार बच्चे जा रहे हैं उन पर भी लाठीचार्ज, सरपंच गए उन पर भी लाठीचार्ज, मुखिया गए उन पर भी लाठीचार्ज किया जा रहा है."-प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार
'वोट का महत्व समझे लोग': पीके ने लोगों को इस दौरान वोट का महत्व समझाते हुए कहा कि इस सरकार की आदत बन चुकी है कि कोई अपनी बात लेकर जाते हैं तो उसपर लाठीचार्ज करवा दीजिए. इनमें किसी भी वर्ग के लोग रसोईया, आंगनबाड़ी वर्कर, आशा वर्कर हो सकते हैं. बीते एक साल में हर वर्ग के लोग पटना पहुंचे और उन्हें लाठियां मिलीं.
लाठी खाने के बाद भी उसे ही करेगा वोट: प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को किसी का डर नहीं है. लोकतंत्र में किसी पर लाठीचार्ज करवाने पर नेता मंत्री को डर रहता है कि अगली बार वोट नहीं मिलेगा. लेकिन यहां लोग जाति के आधार पर सबकुछ भूल कर वोट करते हैं और लाठी मारने वाले को वोट दिया जाता है. इसलिए नीतीश कुमार कोम इसको लेकर कोई चिंता नहीां है.