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जीते जी तो नहीं हुआ इलाज, मरने के बाद पूर्व मंत्री को दी गई 21 बंदूकों की सलामी - पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी

पटना के गुलबी घाट पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उन्हें 21 बंदूकों की सलामी दी गई. उनके बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी.

last rites of Mevalal Chaudhary
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Published : Apr 22, 2021, 7:36 PM IST

पटना: बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी का पटना के गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. उनके बड़े बेटे रवि प्रकाश ने उन्हें मुखाग्नि दी. वो बुधवार को अमेरिका से पटना पहुंचे थे. उनके दूसरे बेटे आस्ट्रेलिया से पटना नहीं पहुंच सके, क्योंकि अभी आस्ट्रेलिया और भारत के बीच विमान सेवा बंद है. इस दौरान पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा मौजूद रहे. इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद रहे.

last rites of Mevalal Chaudhary
बड़े बेटे रवि प्रकाश ने दी मुखाग्नि

ये भी पढ़ें: पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के मौत की इनसाइड स्टोरी, निशाने पर सिस्टम की नाकामी

समय पर नहीं हुआ इलाज
बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी की मौत ने प्रदेश के हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है. बता दें कि उनके सहयोगी शुभम ने बताया था कि अगर रिपोर्ट समय पर आती और वक्त पर इलाज शुरू हो जाता तो ये नौबत नहीं आती. बिहार सरकार मेवालाल चौधरी का समय पर इलाज तो नहीं करवा सकी. लेकिन हां, उन्हें मरने के बाद 21 बंदूकों की सलामी जरूर दिलवाई गई. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.

last rites of Mevalal Chaudhary
21 बंदूकों की दी गई सलामी

...शायद बच जाती विधायक की जान
बता दें 12 अप्रैल को मुंगेर के तारापुर में डॉ. मेवालाल चौधरी ने अपनी RT-PCR जांच कराई थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट 16 अप्रैल की शाम को मिली. इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. आनन फानन में उन्हें मुंगेर से पटना IGIMS लेकर रवाना हुए. वहां उनकी रैपिड जांच भी हुई लेकिन उनकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने से IGIMS ने उन्हें भर्ती नहीं किया. इस बीच परेशानी ज्यादा बढ़ी तो उन्हें पारस अस्पताल में सीटी स्कैन कराया गया. रिपोर्ट में फेफडे में संक्रमण की पुष्टि हुई.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: हद हो गयी नीतीश जी! देखिए किस तरह बाइक पर ले जाया जा रहा शव

'सिस्टम की नाकामी से हुई मौत'
डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती करने को कहा था. लेकिन विडंबना ये कि पारस अस्पताल का एक भी ICU बेड खाली नहीं था. लाख मिन्नतें और पैरवी धरी की धरी रह गईं. मजबूरी में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन पर रखा गया. जब तक ICU में बेड मिला उनकी हालत चिंताजनक हो चुकी थी. कुछ घंटे वेंटिलेटर पर रहे. लेकिन समय के साथ उनकी सांसें भी थमती गईं. डॉक्टर मेवालाल चौधरी को बचा न सके.

दिवंगत मेवालाल चौधरी के सहयोगी शुभम ने कहा कि अगर समय पर RT-PCR रिपोर्ट आ जाती और समय पर इलाज शुरू हो जाता तो मेवालाल जी को बचाया जा सकता था.

ये भी पढ़ें: बिहार सिपाही चालक परीक्षा का फिजिकल स्थगित, 7 मई से होने थे टेस्ट

सचेत और सतर्क रहने की जरूरत
इस मौके पर उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि डॉ. मेवालाल चौधरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, कृषि वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता. हर रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी कमी हम सभी को हमेशा खलेगी. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण ने अब प्रचंड रूप ले लिया है. संकट की इस घड़ी में हमें सचेत और सतर्क रहना है और डटकर इसका मुकाबला करना है.

पटना: बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी का पटना के गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. उनके बड़े बेटे रवि प्रकाश ने उन्हें मुखाग्नि दी. वो बुधवार को अमेरिका से पटना पहुंचे थे. उनके दूसरे बेटे आस्ट्रेलिया से पटना नहीं पहुंच सके, क्योंकि अभी आस्ट्रेलिया और भारत के बीच विमान सेवा बंद है. इस दौरान पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा मौजूद रहे. इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद रहे.

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बड़े बेटे रवि प्रकाश ने दी मुखाग्नि

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समय पर नहीं हुआ इलाज
बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी की मौत ने प्रदेश के हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है. बता दें कि उनके सहयोगी शुभम ने बताया था कि अगर रिपोर्ट समय पर आती और वक्त पर इलाज शुरू हो जाता तो ये नौबत नहीं आती. बिहार सरकार मेवालाल चौधरी का समय पर इलाज तो नहीं करवा सकी. लेकिन हां, उन्हें मरने के बाद 21 बंदूकों की सलामी जरूर दिलवाई गई. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.

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21 बंदूकों की दी गई सलामी

...शायद बच जाती विधायक की जान
बता दें 12 अप्रैल को मुंगेर के तारापुर में डॉ. मेवालाल चौधरी ने अपनी RT-PCR जांच कराई थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट 16 अप्रैल की शाम को मिली. इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. आनन फानन में उन्हें मुंगेर से पटना IGIMS लेकर रवाना हुए. वहां उनकी रैपिड जांच भी हुई लेकिन उनकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने से IGIMS ने उन्हें भर्ती नहीं किया. इस बीच परेशानी ज्यादा बढ़ी तो उन्हें पारस अस्पताल में सीटी स्कैन कराया गया. रिपोर्ट में फेफडे में संक्रमण की पुष्टि हुई.

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'सिस्टम की नाकामी से हुई मौत'
डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती करने को कहा था. लेकिन विडंबना ये कि पारस अस्पताल का एक भी ICU बेड खाली नहीं था. लाख मिन्नतें और पैरवी धरी की धरी रह गईं. मजबूरी में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन पर रखा गया. जब तक ICU में बेड मिला उनकी हालत चिंताजनक हो चुकी थी. कुछ घंटे वेंटिलेटर पर रहे. लेकिन समय के साथ उनकी सांसें भी थमती गईं. डॉक्टर मेवालाल चौधरी को बचा न सके.

दिवंगत मेवालाल चौधरी के सहयोगी शुभम ने कहा कि अगर समय पर RT-PCR रिपोर्ट आ जाती और समय पर इलाज शुरू हो जाता तो मेवालाल जी को बचाया जा सकता था.

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सचेत और सतर्क रहने की जरूरत
इस मौके पर उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि डॉ. मेवालाल चौधरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, कृषि वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता. हर रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी कमी हम सभी को हमेशा खलेगी. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण ने अब प्रचंड रूप ले लिया है. संकट की इस घड़ी में हमें सचेत और सतर्क रहना है और डटकर इसका मुकाबला करना है.

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