पटना/मुंबई : विपक्षी एकता की तीसरी बैठक यानी I.N.D.I.A गठबंधन की मुंबई बैठक भी संपन्न हो गई लेकिन अभी भी नीतीश कुमार की उम्मीदों को पंख नहीं लग पाए. नीतीश कुमार के बड़े भाई लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर बड़ा दाव चला है. एक तरीके से लालू प्रसाद यादव ने INDIA गठबंधन के भविष्य की रूपरेखा तय कर दी है. राहुल का हाथ मजबूत करने को तो कहा लेकिन 16 मिनट के भाषण में नीतीश का नाम तक नहीं लिया.
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विपक्षी एकता की पटकथा लिखने वाला सीन से बाहर ? : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती के साथ कदम बढ़ाना चाहते थे. विपक्षी एकता की पटकथा भी नीतीश कुमार ने ही लिखी थी. तमाम भाजपा विरोधी नेताओं से नीतीश कुमार ने मुलाकात की और कारवां धीरे-धीरे आगे बढ़ाकर सभी को एकजुट किया. जैसे-जैसे भी विपक्षी एकता को लेकर बैठकों का दौर आगे बढ़ा, वैसे-वैसे नीतीश कुमार की उम्मीदों पर काले बादल छाते जा रहे हैं. विपक्षी एकता को लेकर तीन बैठकें संपन्न हो चुकी हैं लेकिन विपक्षी एकता के सूत्रधार की नैया मंझधार में है. नीतीश कुमार का इंतजार और भी लंबा होता जा रहा है.
लालू ने नीतीश के उम्मीदों पर फेरा पानी ? : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव विपक्षी एकता के चाणक्य की भूमिका में है. लालू प्रसाद यादव के इर्द-गिर्द सियासत घूम रही है. तीसरी बैठक से पूर्व लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी की मुलाकात का असर भी देखने को मिला. लालू प्रसाद यादव बहुत स्वस्थ नहीं है, लेकिन तीनों बैठकों में मौजूद रहे. नीतीश कुमार को भी अपने बड़े भाई से काफी उम्मीदें थी. जदयू नेता यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि नीतीश कुमार के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन तीन बैठकों के बाद ऐसा कुछ होता नहीं दिखा.
इस बार भी संयोजक पर पेंच : जेपी की धरती पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक संपन्न हुई. पहली बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव भी रखा लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे यह कहते हुए मामले को टाल गए कि से हम लोग अगली बैठक में तय कर लेंगे. अगली बैठक बेंगलुरु में मुकर्रर हुई. लालू और नीतीश साथ-साथ निकले. बेंगलुरु की बैठक में भी नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने को लेकर सहमति नहीं बन पाई. नीतीश कुमार बीच में ही उठ गए, मजबूरन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी को भी उठाना पड़ा.
'कॉर्डिनेशन कमेटी' बनी लेकिन 'संयोजक' कब? : ऐसा इसलिए था कि एक ही चार्टर प्लेन से तीनों नेता गए थे. हालांकि नीतीश कुमार की इस हरकत पर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी नाराज भी हुए थे. बाद में नीतीश कुमार ने दोनों नेताओं से मिलकर नाराजगी दूर करने की कोशिश भी की थी. दूसरी बैठक में भी मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए संयोजक के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था कि अगली बैठक में तय कर लिया जाएगा.
लालू की जुबान पर नहीं आया नीतीश का नाम ? : नीतीश कुमार की उम्मीद तीसरी बैठक पर थी. मुंबई में नेताओं का जमावड़ा लगा, लेकिन इस बार फिर बड़े भाई और छोटे भाई की राहें अलग थीं. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी पहले ही मुंबई चले गए, जबकि नीतीश कुमार बैठक के दिन निकले. लालू यादव अपने 16 मिनट के भाषण में कहीं भी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया. उन्होंने राहुल गांधी का नाम भी लिया तो उनके हाथों को मजबूत करने की बात कही. सीटिंग अरेंजमेंट में भी लालू की कुर्सी राहुल गांधी के बगल में थी जबकि नीतीश को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़ेगे बैठे थे.
'मुंबई में व्यंजन का स्वाद लेने जुटे थे दल' : मुंबई में संयोजक तय नहीं हो पाने पर बीजेपी ने INDIA गठबंधन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कैंडिडेट के नाम की घोषणा करने की जरूरत INDIA को नहीं है. इसके पीछे तर्क दिया कि विपक्षी दलों से पीएम बनने वाला भी नहीं है, लेकिन संयोजक के नाम पर विवाद बताता है कि सभी दल मुंबई में एकजुट होकर व्यंजन का स्वाद लेने के लिए जुटे थे.
''प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को तय करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री तो उन लोगों का बनना नहीं है. लेकिन कोई जब अलाइंस बनता है तो उसका संयोजक, चेयरमैन इसपर भी विवाद है, वो भी मुंबई में तय नहीं हो पाया. इससे एक बात साफ है कि मुंबई में व्यंजन का स्वाद लेने के लिए वो लोग जुटे थे.'' - शाहनवाज हुसैन, बीजेपी प्रवक्ता
INDIA का फ्यूचर तय : मुंबई की बैठक में भी संयोजक पद को लेकर सहमति नहीं बन पाई. लेकिन लालू प्रसाद यादव के भाषण ने काफी कुछ स्थिति स्पष्ट कर दी थी. राजद अध्यक्ष ने पूरे भाषण के दौरान नीतीश कुमार की चर्चा नहीं की, जबकि राहुल गांधी को एक तरीके से नेतृत्व करने के लिए आगे आने को कहा. शरद पवार की चर्चा लालू प्रसाद यादव ने जरूर की. ममता दीदी का भी नाम लिया लेकिन नीतीश का नाम लेने से बचते रहे. लालू के भाषण पर हर कोई ठहाके लगा रहा था लेकिन नीतीश के चहरे से मुस्कान नदारद थी.