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'जातीय जनगणना पर PM से दोबारा मिलना चाहिए, बात नहीं बनी तो बिहार सरकार खुद ले निर्णय' - जीतनराम मांझी ने बीजेपी को दिया जवाब

एनडीए (NDA) के सहयोगी और हम प्रमुख जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिलनी चाहिए और इसके लिए जातीय जनगणना (Cast Census) जरूरी है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर एक बार हम सब को पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मिलकर उनको बारीकी से बातों को बताना चाहिए.

जीतनराम मांझी
जीतनराम मांझी
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Published : Sep 25, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 6:01 PM IST

पटना: हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने जातीय जनगणना (Cast Census) नहीं कराने के केंद्र सरकार के निर्णय को दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को तथ्यों की पूरी बात नहीं समझाई गई है, इसीलिए ऐसा फैसला लिया गया है. लिहाजा पीएम एक बार फिर से इसपर विचार करें.

ये भी पढ़ें: मुकेश सहनी का बड़ा दांव: 'VIP देगी ₹5 करोड़, अपने खर्च पर जातीय जनगणना कराए बिहार सरकार'

पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि जातीय जनगणना पर सभी दलों की सहमति है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी इसके पक्षधर रहे हैं. इसको लेकर हम सभी ने उनके नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मुलाकात भी की थी. हम सभी को उम्मीद थी कि पीएम मोदी हमारी बात को समझेंगे और उसी हिसाब से फैसला लेंगे, लेकिन अब जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया है कि ये संभव नहीं है तो इससे हमें दुख पहुंचा है.

जीतनराम मांझी का बयान

"हमको लगता है कि प्रधानमंत्री को ठीक ढंग से जातीय जनगणना के सारे तथ्यों को समझाया नहीं गया है, इसलिए उन्होंने ऐसा करवाया है. फिर हम उनसे विचार करने की मांग करते हैं"- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी ने देश के 33 नेताओं को लिखा पत्र

मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर सर्वदलीय बैठक कर राय-शुमारी करनी चाहिए और आगे के कदम को लेकर चर्चा करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो राज्य सरकार को अपने स्तर पर पहल करनी चाहिए.

वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की ओर से इस मामले को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 नेताओं को पत्र लिखने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सीएम नीतीश कुमार खुद इस मामले में अगुवाई कर रहे हैं तो किसी दूसरे को नेतृत्व करने की जरूरत नहीं है. अगर वे ऐसा करते हैं तो जाहिर तौर पर राजनीति कहलाएगी.

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर बोले अश्विनी चौबे- PM का फैसला ही सर्वमान्य, तो BJP अध्यक्ष ने कहा 'ये प्रैक्टिकल नहीं'

जीतनराम मांझी ने बीजेपी के उस बयान पर भी पलटवार किया है, जिसमें कई नेताओं ने कहा था कि सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए जातीय जनगणना की मांग की जा रही है. मांझी ने जवाब देते हुए कहा कि वैसे तो मैं उन पर फिलहाल बहुत कुछ नहीं कहना चाहता हूं कि लेकन मैं भी जानता हूं कि वो ऐसा क्यों बोलते हैं और किसके लिए बोलते हैं.

आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

पटना: हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने जातीय जनगणना (Cast Census) नहीं कराने के केंद्र सरकार के निर्णय को दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को तथ्यों की पूरी बात नहीं समझाई गई है, इसीलिए ऐसा फैसला लिया गया है. लिहाजा पीएम एक बार फिर से इसपर विचार करें.

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पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि जातीय जनगणना पर सभी दलों की सहमति है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी इसके पक्षधर रहे हैं. इसको लेकर हम सभी ने उनके नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मुलाकात भी की थी. हम सभी को उम्मीद थी कि पीएम मोदी हमारी बात को समझेंगे और उसी हिसाब से फैसला लेंगे, लेकिन अब जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया है कि ये संभव नहीं है तो इससे हमें दुख पहुंचा है.

जीतनराम मांझी का बयान

"हमको लगता है कि प्रधानमंत्री को ठीक ढंग से जातीय जनगणना के सारे तथ्यों को समझाया नहीं गया है, इसलिए उन्होंने ऐसा करवाया है. फिर हम उनसे विचार करने की मांग करते हैं"- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

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मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर सर्वदलीय बैठक कर राय-शुमारी करनी चाहिए और आगे के कदम को लेकर चर्चा करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो राज्य सरकार को अपने स्तर पर पहल करनी चाहिए.

वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की ओर से इस मामले को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 नेताओं को पत्र लिखने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सीएम नीतीश कुमार खुद इस मामले में अगुवाई कर रहे हैं तो किसी दूसरे को नेतृत्व करने की जरूरत नहीं है. अगर वे ऐसा करते हैं तो जाहिर तौर पर राजनीति कहलाएगी.

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जीतनराम मांझी ने बीजेपी के उस बयान पर भी पलटवार किया है, जिसमें कई नेताओं ने कहा था कि सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए जातीय जनगणना की मांग की जा रही है. मांझी ने जवाब देते हुए कहा कि वैसे तो मैं उन पर फिलहाल बहुत कुछ नहीं कहना चाहता हूं कि लेकन मैं भी जानता हूं कि वो ऐसा क्यों बोलते हैं और किसके लिए बोलते हैं.

आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

Last Updated : Sep 25, 2021, 6:01 PM IST
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