पटना : बिहार में AIMIM के बढ़ते प्रभाव से जदयू परेशान है. जदयू के नेता लगातार ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को बीजेपी की बी टीम बता रहे हैं. उसके प्रभाव को रोकने के लिए अब जदयू के तरफ से भाईचारा यात्रा हो रही है. यह यात्रा तीन चरणों में पश्चिम चंपारण से शुरू होकर 26 जिलों में जाएगी. ये वो इलाका हैं जहां-जहां एआईएमआईएम का प्रभाव बढ़ रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जहां AIMIM के 5 उम्मीदवार विधायक बने थे, वहीं जदयू के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार ने जीत हासिल नहीं की थी. नीतीश कुमार के लिए यह एक बड़ा झटका था. ऐसे में नीतीश कुमार मुस्लिम वोट बैंक को 'भाईचारा यात्रा' से कितना लुभा पाएंगे एक बड़ा सवाल है.
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नीतीश निकालेंगे 26 जिलों में भाईचारा यात्रा : बिहार में सीमांचल के 4 जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार मुस्लिम बहुल इलाका है. इसके अलावा एक दर्जन लोकसभा सीटों पर भी मुस्लिम वोट बैंक अपना प्रभाव डालता है और जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाता है. ऐसे तो कभी आरजेडी का एमवाई समीकरण काफी चर्चा में रहा है, लेकिन नीतीश कुमार ने उस समीकरण को ध्वस्त कर दिया. मुस्लिम वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बनाई और बीजेपी के साथ रहने के बाद भी कई सालों तक मुस्लिम नीतीश कुमार के साथ दिखे. लेकिन एआईएमआईएम की इंट्री के बाद अब पूरा समीकरण बदल गया है.
मुस्लिम बहुल इलाकों में लगा है नीतीश को झटका : 2020 विधानसभा चुनाव में स्थिति यहां तक बन गई कि नीतीश कुमार के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार ने चुनाव नहीं जीता. जबकि वहीं, सीमांचल में एआईएमआईएम ने 5 सीट जीतकर तहलका मचा दिया. आरजेडी को भी एआईएमआईएम ने बड़ा झटका दिया और बिहार में 2020 में महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई. उसका बड़ा कारण एआईएमआईएम का सीमांचल में एंट्री माना जाता है.
मुस्लिम वोट बैंक मजबूत करेगी जेडीयू : लेकिन जदयू के लिए इसलिए बड़ा झटका रहा कि पिछले 15 सालों में यह पहला मौका था, जब नीतीश कुमार का विधानसभा चुनाव में इतना खराब प्रदर्शन हुआ. इसका एक बड़ा कारण मुस्लिम वोट बैंक का नीतीश कुमार से दूर जाना भी माना जाता रहा है. अब उसी की भरपाई के लिए नीतीश कुमार की पार्टी ने 'भाईचारा यात्रा' शुरू किया है. नीतीश कुमार अपने एमएलसी खालिद अनवर को इसकी जिम्मेदारी दी है. पश्चिम चंपारण से यह यात्रा शुरू हुई है और 40 दिनों तक की यात्रा चलेगी. शेखपुरा में यह यात्रा समाप्त होगी. 26 जिलों में जदयू का भाईचारा यात्रा होगा, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है.
AIMIM ने काटे नीतीश के वोट ? : ऐसे तो बीजेपी के खिलाफ इस यात्रा की बात कही जा रही है, लेकिन नीतीश कुमार की नजर एआईएमआईएम पर है, जिसे बीजेपी का बी टीम बता रहे हैं. लोगों को एआईएमआईएम से सचेत रहने के लिए जागरूक करेंगे. पिछले कुछ सालों में एआईएमआईएम के बढ़ते प्रभाव का असर साफ दिखा, पिछले साल विधानसभा के उपचुनाव में जदयू को गोपालगंज में भी कराई हार मिली थी और उसका बड़ा कारण एआईएमआईएम का वोट काटना भी रहा है. जितने भी उपचुनाव हुए उसमें एआईएमआईएम ने अच्छा खासा वोट काटा है और यही कारण है कि नीतीश कुमार की बेचैनी बढ़ा दी है.
जब आरजेडी ने दिया AIMIM को झटका : विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी हालांकि बाद में 5 में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए यह एआईएमआईएम के लिए यह बड़ा झटका था. लेकिन पार्टी पूरी ताकत से लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. पार्टी नेताओं का दावा है कि मुस्लिम समाज, जदयू और आरजेडी को समझ चुका है. जो बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाकर सिर्फ वोट लेना जानती है.
नीतीश पर बरसे AIMIM प्रदेश अध्यक्ष : एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान का कहना है कि ''पहले भाईचारा बिगाड़ा है. घर-घर शराब पहुंचा दिया, फिर शराबबंदी कर दिया. पहले RSS बीजेपी को घर-घर पहुंचाया अब RSS मुक्त बनाना चाहते हैं. इनके नजरें कहीं और निशाना कहीं है. लेकिन कुछ भी कर लें जनता इन्हें समझ चुकी है, 2024 में हिसाब करेगी.''
'जेडीयू औवैसी को रोकने में सफल होगी' : वहीं जदयू नेताओं का कहना है कि बीजेपी हिंदू-मुस्लिम कर वोट लेना चाहती है. उसमें एआईएमआईएम जैसे दलों का सहारा लेती है. इसलिए पार्टी ने यह बड़ा अभियान चलाने का फैसला लिया है. जदयू प्रवक्ता राहुल शर्मा का कहना है कि ''हम लोग एआईएमआईएम को रोकने में सफल रहेंगे. एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम की तरह काम करती है. हम लोगों को इसके प्रति आगाह करेंगे.''
'बिहार में लागू होगा योगी मॉडल' : बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है ''एआईएमआईएम का बीजेपी से कोई लेना देना नहीं है. उनका बयान राष्ट्र विरोधी और सनसनी पैदा करने वाला होता है. नीतीश कुमार की पार्टी कोई भी यात्रा निकाल लें, इनकी जमीन खिसक गई है. एक तरफ सांप्रदायिक तत्वों को सपोर्ट करते हैं और दूसरी तरफ भाईचारा यात्रा निकाल रहे हैं. अब बिहार में यह सब चलने वाला नहीं है. योगी मॉडल बिहार में भी लागू होगा.''
3 चरणों में पूरी होगी 'भाईचारा यात्रा' : पश्चिम चंपारण से शुरू होकर पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, वैशाली और गोपालगंज में पहले चरण की यात्रा 14 अगस्त तक होगी. दूसरे चरण की शुरुआत 16 अगस्त से होगी जिसमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सहरसा, मधेपुरा और सुपौल है, यहा ये यात्रा 22 अगस्त तक चलेगी.
तीसरे चरण की शुरुआत 28 अगस्त से सिवान से होगी और छपरा, बक्सर, कैमूर, औरंगाबाद, गया, नवादा, मुंगेर, जमुई और शेखपुरा तक 6 सितंबर तक यात्रा चलेगी. पूरी यात्रा में जदयू एमएलसी खालिद अनवर मुख्य भूमिका में रहेंगे और उनके साथ मंत्री जमा खान और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं. यात्रा को सफल बनाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है.
पसमांदा मुसलमानों पर बीजेपी की नजर : बीजेपी की नजर पसमांदा मुसलमानों पर भी है. जदयू इस अभियान में पसमान्दा मुसलमानों को भी सचेत करने की कोशिश करेगी. इसके अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर भी बीजेपी के खिलाफ एक मुहिम बनाने की कोशिश जदयू के तरफ से होगी. हालांकि जदयू के 26 जिलों में होने वाली भाईचारा यात्रा का कितना असर होगा और एआईएमआईएम को जदयू कितना रोक पाएगी यह तो लोकसभा चुनाव और फिर आने वाले विधानसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा.