पटना: जेडीयू प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक 10 जनवरी को बुलाई गई है. इसमें कई अहम मुद्दों पर फैसला हो सकता है. वहीं, कार्यकारिणी की बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर भी गंभीरता से चर्चा होगी. साथ ही पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर कुछ लोगों पर कार्रवाई भी हो सकती है.
इससे पहले साल 2020 में 26 और 27 दिसंबर को जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर बड़ा फैसला हुआ था. आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अक्ष्यक्ष बनाया गया. वहीं, इस बार प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में कई बड़े फैसले लेने की तैयारी है.
पार्टी को मजबूत बनाने की बनेगी रणनीति
जेडीयू के कार्यकारिणी की बैठक से पहले 9 जनवरी को पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक भी होगी. जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद रहेंगे. वहीं, 10 जनवरी की सुबह को कर्पूरी सभागार में पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक होगी. जिसमें एजेंडा तय किया जाएगा और कार्यकारिणी की बैठक में उस पर मुहर लगेगी.
300 सदस्य होंगे बैठक में शामिल
ये बैठक प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की अध्यक्षता में होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के साथ पार्टी के सभी प्रमुख नेता भी मौजूद रहेंगे. वहीं, पार्टी के सभी विधायक और सांसद भी बैठक में शामिल होंगे. कुल मिलाकर कार्यकारिणी के 300 सदस्य बैठक में शामिल होंगे.
" इस बैठक में संगठन के ऐसे लोगों को बदला जाएगा जो अच्छा काम नहीं कर रहे हैं. जहां तक प्रदेश अध्यक्ष की बात है तो दादा के नेतृत्व में पार्टी ने अच्छा काम किया है. उनका लगातार आशीर्वाद मिलता रहा है. वैसे इस पद को लेकर शीर्ष नेतृत्व ही फैसला लेगा."- महेश्वर हजारी, पूर्व मंत्री, जेडीयू
जेडीयू की बैठक पर सहयोगी और विपक्ष की नजर
हालांकि जेडीयू के कार्यकारिणी की बैठक पर सहयोगी दल के साथ ही विपक्ष की भी नजर है. सहयोगी दल के नेता इसे जेडीयू का इंटरनल मामला बता रहे हैं लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह बिहार जेडीयू कार्यालय में ही बैठे हैं. राष्ट्रीय कार्यालय का अब तक मुंह नहीं देखा है. जेडीयू में कोई इंटरनल डेमोक्रेसी नहीं है. नीतीश कुमार का फरमान जारी हो जाएगा तो सभी को मानना पड़ेगा.
राज्य कार्यकारिणी की बैठक में इन एजेंडों पर चर्चा हो सकती है.
1. विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर.
2. चुनाव में हारे 72 सीटों को लेकर पार्टी ने बूथ स्तर तक फीडबैक लिया है. उस रिपोर्ट पर भी चर्चा होगी.
3. संगठन के विस्तार के साथ मजबूती को लेकर भी चर्चा की जाएगी.
4. प्रदेश अध्यक्ष से लेकर संगठन के प्रमुख पदों को लेकर भी फैसला लिया जा सकता है.
5. बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों के साथ बेहतर संबंध को लेकर चर्चा भी होगी.
6. विपक्षी दल को बेहतर तरीके से जवाब दिया जाए उस रणनीति पर भी फैसला होगा.
7. सरकार के कार्यों को जनता तक बेहतर ढंग से पहुंचाने पर भी चर्चा होगी. साथ ही पार्टी की आगे के कार्यक्रम पर भी फैसला होगा.
प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई नामों पर कयास
इस बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर कयास लगाए जा रहे हैं. वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह पर पार्टी को पूरा भरोसा है, लेकिन अधिक उम्र होने के कारण वशिष्ठ नारायण सिंह पार्टी में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं. अशोक चौधरी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है लेकिन उनके पास मंत्रालय है. वहीं, आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अशोक चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी देना थोड़ा मुश्किल है. ऐसे में संजय झा के नाम की चर्चा प्रदेश कार्यालय में भी हो रही है.
वशिष्ठ नारायण सिंह पर ही किया जा सकता है भरोसा ?
संजय झा बीजेपी और जेडीयू के बीच पहले भी तालमेल बिठाने में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. वो अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. संजय झा के अलावे कुशवाहा समाज से संतोष कुशवाहा के नाम की भी खूब चर्चा है. हालांकि नीरज कुमार के नाम की भी चर्चा हो रही है. सीएम नीतीश कुमार चौंकाने वाले फैसले को लेकर भी जाने जाते हैं. ऐसे में कोई नया चेहरा प्रदेश अध्यक्ष के लिए राज्य कार्यकारिणी में तय कर दिया जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी या फिर वशिष्ठ नारायण सिंह पर ही कुछ समय और भरोसा किया जा सकता है.