ETV Bharat / state

केंद्र सरकार संघीय ढांचे पर कर रही प्रहार, स्थाई समितियों में विपक्ष की उपेक्षा: JDU

जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधान पार्षद डा रणवीर नंदन एवं प्रदेश प्रवक्ता परिमल कुमार ने प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते (JDU Spokesperson Target Central Government) हुए कहा कि जब से यह सरकार केंद्र की सत्ता में आई है, तब से यह सरकार देश के संघीय ढांचे पर चोट कर रही है. साथ ही सरकारी प्रावधानों में लगातार बदलाव करके देश के संविधान के मूल स्वरूप पर भी हमला कर रही है. पढ़ें पूरी खबर...

जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश प्रवक्ता
जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश प्रवक्ता
author img

By

Published : Nov 13, 2022, 10:33 PM IST

पटना: जदयू प्रवक्ता रणवीर नंदन (JDU Spokesperson Ranveer Nandan) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात का ताजा उदाहरण संसद की स्थायी समितियों में विपक्ष की उपेक्षा, समिति में ले जाए सकने वाले मुद्दों को समिति के पास ना ले जाकर मनमानी फैसले करना, समिति की बैठकों को कम करना और सबसे महत्वपूर्ण केंद्र - राज्य के संबंधों के लिए तय विषय वस्तु को हटाना है. 1989 में विषय व विभाग आधारित स्टैंडिंग कमिटी बनाने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया, शुरु में 3 स्टैंडिंग कमिटी बनाई गई, जिनकी संख्या 1993 में बढ़ाकर 17 कर दी गई थी. जबकि 2004 से संसद में 24 स्टैंडिंग कमिटी (8 राज्य सभा और 16 लोक सभा) है. प्रत्येक समिति में एक अध्यक्ष व 21 लोक सभा सदस्य और 10 राज्य सभा सदस्य होते हैं.

ये भी पढे़ं- समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के साथ कार्यकर्ता ने की तू तू मैं मैं, देखें Live Video

जदयू प्रवक्ता ने केंद्र सरकार पर साधा निशना : जदयू प्रवक्ता ने कहा कि संसद में लगभग 58% सदस्य भाजपा के ही हैं. इसके बावजूद इसके भाजपा किसी भी विपक्षी नेता को अध्यक्ष बनाने में डरती है, वास्तव में भाजपा संसद की स्थायी समिति में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा ही नहीं होने देना चाहती. मोदी सरकार ने गृह मामलों की समिति से केंद्र राज्य संबंधों पर आधारित विषय वस्तु को ही हटा दिया है जो बेहद हैरानी की बात है. इस समिति की बैठक 1 अगस्त 2022 को कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी और उसमें केंद्र- राज्य के बीच के सभी पुराने विवादों पर चर्चा करने की योजना पारित की गयी, जिससे भाजपा असहज हो गई और उसने अगली बैठक से पहले ही 4 अक्टूबर को ही सिंघवी को समिति की अध्यक्षता से ही हटा दिया.

'गृह मामलों के समिति की 18 अक्तूबर को हुयी बैठक की अध्यक्षता भाजपा सांसद बृजलाल ने किया. जिसमें केंद्र-राज्य सम्बंध के विषय को समिति के विषय सूची से हटा दिया गया. इस असंवैधानिक निर्णय का विरोध जदयू, टीएमसी, बीजद एवं कांग्रेस ने किया पर मोदी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. इसी तरह सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग की समिति के अध्यक्ष पद से शशि थरूर और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से सम्बंधित समिति की अध्यक्षता से डॉ रामगोपाल यादव को मोदी सरकार ने अपनी तानाशाही रवैये से हटा दिया.' - रणवीर नंदन, जदयू प्रवक्ता

JDU प्रवक्ताओं ने पीएम मोदी पर साधा निशाना : प्रवक्ताओं ने कहा कि 4 अक्टूबर 2022 को घोषित 17वीं लोकसभा के 22 संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्षों में भाजपा के 15 एवं संसद में कांग्रेस के मात्र 1 और तीसरी बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक भी अध्यक्ष नहीं हैं. इसके अलावा संसद के छह सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभागों जैसे गृह, वित्त, रक्षा, विदेश एवं सूचना प्रोद्योगिकी में किसी भी विपक्षी पार्टी को जगह नहीं दी गई है. जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान 24 स्टैंडिंग कमिटी में से भाजपा के 12 एवं 6 कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. 15वीं लोकसभा के दौरान जब देश में यूपीए -2 की सरकार थी, उस वक्त संसदीय स्थायी समितियों में कांग्रेस के 7 एवं भाजपा के 8 अध्यक्ष थे.

'संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा' : जदयू प्रवक्ताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा में भी मोदी सरकार सबसे आगे है. उदहारणस्वरूप रक्षा मामलों के लिए बनी स्थायी समिति की 14वीं लोकसभा के दौरान कुल 37 बैठकें हुई थी, लेकिन 16वीं लोकसभा के दौरान इस समिति की मात्र 12 बैठकें हुई. इसी तरह वित्त मामलों की स्थायी समिति की 14वीं लोकसभा के दौरान 31 और गृह मामलों की स्थायी समिति की 27 बैठकें हुई, परन्तु 16वीं लोकसभा के दौरान इन समितियों की क्रमश: मात्र 23 और 15 बैठकें ही हुईं.

'स्थायी समितियों की उपेक्षा' : जेडीयू प्रवक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा का दूसरा बड़ा उदाहरण इन समितियों में लोकसभा में पारित बिलों को ना भेजना भी है. 15वीं लोकसभा के दौरान लोक सभा में पारित 228 बिल में से 161 बिल (70.71%) को स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया, जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान पारित कुल 190 बिल में से मात्र 52 बिल (27.37%) स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया. 16वीं लोकसभा के दौरान वित्त मामलों से सम्बंधित बिल का मात्र 11% बिल ही स्थायी समिति को भेजा गया, जबकि सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मामलों के 14%, गृह मामलों से सम्बंधित 13% एवं पर्सनल लॉ एंड जस्टिस से सम्बंधित 10% बिल ही संसद की स्थायी समिति के पास भेजे गए.

'भाजपा की तानशाही नहीं चलेगी' : रणवीर नंदन ने कहा कि भाजपा की तानशाही का सबसे बड़ा उदाहरण जुलाई में रक्षा मामलों की स्थायी समिति की उस बैठक की है, जिसमें भाजपा ने अग्निपथ योजना पर विपक्षी दलों द्वारा चर्चा के प्रस्ताव को रोक दिया था. जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने उस बैठक का बहिष्कार किया. 2019 में भी मोदी सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट, आधार एक्ट, इंडियन मेडिकल कैंसिल एक्ट जैसे कई महत्वपूर्ण बिल को बिना स्टैंडिंग कमिटी में चर्चा कराए ही पास करा दिया. भाजपा जो कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है, वास्तव में वह कांग्रेस मुक्त नहीं बल्कि विपक्ष मुक्त, संसद मुक्त, संविधान मुक्त, अधिनायकवादी एवं तानशाही व्यवस्था स्थापित करना चाहती है. लेकिन जनता सब देख रही है.

पटना: जदयू प्रवक्ता रणवीर नंदन (JDU Spokesperson Ranveer Nandan) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात का ताजा उदाहरण संसद की स्थायी समितियों में विपक्ष की उपेक्षा, समिति में ले जाए सकने वाले मुद्दों को समिति के पास ना ले जाकर मनमानी फैसले करना, समिति की बैठकों को कम करना और सबसे महत्वपूर्ण केंद्र - राज्य के संबंधों के लिए तय विषय वस्तु को हटाना है. 1989 में विषय व विभाग आधारित स्टैंडिंग कमिटी बनाने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया, शुरु में 3 स्टैंडिंग कमिटी बनाई गई, जिनकी संख्या 1993 में बढ़ाकर 17 कर दी गई थी. जबकि 2004 से संसद में 24 स्टैंडिंग कमिटी (8 राज्य सभा और 16 लोक सभा) है. प्रत्येक समिति में एक अध्यक्ष व 21 लोक सभा सदस्य और 10 राज्य सभा सदस्य होते हैं.

ये भी पढे़ं- समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के साथ कार्यकर्ता ने की तू तू मैं मैं, देखें Live Video

जदयू प्रवक्ता ने केंद्र सरकार पर साधा निशना : जदयू प्रवक्ता ने कहा कि संसद में लगभग 58% सदस्य भाजपा के ही हैं. इसके बावजूद इसके भाजपा किसी भी विपक्षी नेता को अध्यक्ष बनाने में डरती है, वास्तव में भाजपा संसद की स्थायी समिति में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा ही नहीं होने देना चाहती. मोदी सरकार ने गृह मामलों की समिति से केंद्र राज्य संबंधों पर आधारित विषय वस्तु को ही हटा दिया है जो बेहद हैरानी की बात है. इस समिति की बैठक 1 अगस्त 2022 को कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी और उसमें केंद्र- राज्य के बीच के सभी पुराने विवादों पर चर्चा करने की योजना पारित की गयी, जिससे भाजपा असहज हो गई और उसने अगली बैठक से पहले ही 4 अक्टूबर को ही सिंघवी को समिति की अध्यक्षता से ही हटा दिया.

'गृह मामलों के समिति की 18 अक्तूबर को हुयी बैठक की अध्यक्षता भाजपा सांसद बृजलाल ने किया. जिसमें केंद्र-राज्य सम्बंध के विषय को समिति के विषय सूची से हटा दिया गया. इस असंवैधानिक निर्णय का विरोध जदयू, टीएमसी, बीजद एवं कांग्रेस ने किया पर मोदी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. इसी तरह सूचना एवं प्रोद्योगिकी विभाग की समिति के अध्यक्ष पद से शशि थरूर और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से सम्बंधित समिति की अध्यक्षता से डॉ रामगोपाल यादव को मोदी सरकार ने अपनी तानाशाही रवैये से हटा दिया.' - रणवीर नंदन, जदयू प्रवक्ता

JDU प्रवक्ताओं ने पीएम मोदी पर साधा निशाना : प्रवक्ताओं ने कहा कि 4 अक्टूबर 2022 को घोषित 17वीं लोकसभा के 22 संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्षों में भाजपा के 15 एवं संसद में कांग्रेस के मात्र 1 और तीसरी बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक भी अध्यक्ष नहीं हैं. इसके अलावा संसद के छह सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभागों जैसे गृह, वित्त, रक्षा, विदेश एवं सूचना प्रोद्योगिकी में किसी भी विपक्षी पार्टी को जगह नहीं दी गई है. जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान 24 स्टैंडिंग कमिटी में से भाजपा के 12 एवं 6 कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. 15वीं लोकसभा के दौरान जब देश में यूपीए -2 की सरकार थी, उस वक्त संसदीय स्थायी समितियों में कांग्रेस के 7 एवं भाजपा के 8 अध्यक्ष थे.

'संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा' : जदयू प्रवक्ताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा में भी मोदी सरकार सबसे आगे है. उदहारणस्वरूप रक्षा मामलों के लिए बनी स्थायी समिति की 14वीं लोकसभा के दौरान कुल 37 बैठकें हुई थी, लेकिन 16वीं लोकसभा के दौरान इस समिति की मात्र 12 बैठकें हुई. इसी तरह वित्त मामलों की स्थायी समिति की 14वीं लोकसभा के दौरान 31 और गृह मामलों की स्थायी समिति की 27 बैठकें हुई, परन्तु 16वीं लोकसभा के दौरान इन समितियों की क्रमश: मात्र 23 और 15 बैठकें ही हुईं.

'स्थायी समितियों की उपेक्षा' : जेडीयू प्रवक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा संसद की स्थायी समितियों की उपेक्षा का दूसरा बड़ा उदाहरण इन समितियों में लोकसभा में पारित बिलों को ना भेजना भी है. 15वीं लोकसभा के दौरान लोक सभा में पारित 228 बिल में से 161 बिल (70.71%) को स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया, जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान पारित कुल 190 बिल में से मात्र 52 बिल (27.37%) स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया. 16वीं लोकसभा के दौरान वित्त मामलों से सम्बंधित बिल का मात्र 11% बिल ही स्थायी समिति को भेजा गया, जबकि सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मामलों के 14%, गृह मामलों से सम्बंधित 13% एवं पर्सनल लॉ एंड जस्टिस से सम्बंधित 10% बिल ही संसद की स्थायी समिति के पास भेजे गए.

'भाजपा की तानशाही नहीं चलेगी' : रणवीर नंदन ने कहा कि भाजपा की तानशाही का सबसे बड़ा उदाहरण जुलाई में रक्षा मामलों की स्थायी समिति की उस बैठक की है, जिसमें भाजपा ने अग्निपथ योजना पर विपक्षी दलों द्वारा चर्चा के प्रस्ताव को रोक दिया था. जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने उस बैठक का बहिष्कार किया. 2019 में भी मोदी सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट, आधार एक्ट, इंडियन मेडिकल कैंसिल एक्ट जैसे कई महत्वपूर्ण बिल को बिना स्टैंडिंग कमिटी में चर्चा कराए ही पास करा दिया. भाजपा जो कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है, वास्तव में वह कांग्रेस मुक्त नहीं बल्कि विपक्ष मुक्त, संसद मुक्त, संविधान मुक्त, अधिनायकवादी एवं तानशाही व्यवस्था स्थापित करना चाहती है. लेकिन जनता सब देख रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.