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RCP को जो कुछ मिला वो मेहनत से नहीं बल्कि नीतीश की कृपा से मिला, इसे ईमानदारी से स्वीकारें: JDU

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की जेडीयू पार्टी में भूमिका क्या होगी? इस पर लोगों की नजर बनी हुई है. आरसीपी सिंह को लेकर पार्टी दो गुटों में बंट चुकी है. आरसीपी सिंह पार्टी में किस भूमिका में होंगे इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ में बयानबाजी तेज है. अब पार्टी प्रवक्‍ता अरविन्‍द निषाद (JDU Spokesperson Arvind Nishad) ने उन पर जमकर निशाना साधा है.

आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
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Published : Jul 8, 2022, 9:59 AM IST

पटनाः जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर जो तल्खियां बढ़ी हैं, अब वो कम होती नजर नहीं आ रही हैं. कल ही यानी गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) अपने पद से इस्तीफा देकर पटना पहुंचे और कहा कि फिलहाल 'मैं अपने गांव जा रहा हूं. मैं सीधा आदमी हूं और सीधा चलता हूं'. यानी अभी पार्टी में उनके पद और स्थिति को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात नहीं की है. उधर पार्टी ने आरसीपी के खिलाफ अपने प्रवक्ताओं (Arvind Nishad ON RCP Singh) को भी उतार दिया है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः 'RCP सिंह अभी तो JDU में हैं, अब पार्टी क्या जिम्मेदारी देगी ये देखा जाएगा' - उपेंद्र कुशवाहा

जदयू प्रवक्‍ता अरविन्‍द निषाद ने कहा है कि आरसीपी सिंह को यह कबूल करना चाहिये कि उन्हें मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार जी की कृपा से दो बार राज्‍यसभा में नामित किया गया. जदयू का राष्‍ट्रीय महासचिव और जदयू राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया. वो जो ये कहते हैं कि उन्होंने सब कुछ अपनी मेहनत से हासिल किया है, ये कथन उनका गलत है. हां यह भी सच है कि वो केन्‍द्रीय मंत्री अपनी मर्जी से बने. निषाद यहीं नहीं रूके उन्होंने आरसीपी पर तंज कसते हुए कहा कि आपकी सांगठनिक ताकत का दु:खद एहसास तो हर जदयू कार्यकर्त्ता को है कि 2015 में जदयू के विधायकों की संख्‍या 71 थी, जिसे 2020 में आपने 43 पर पहुंचा दिया.

"आदरणीय आरसीपी बाबू कह रहे हैं कि जो कुछ भी मुझे प्राप्त हुआ वो मेरी मेहनत और इमानदारी से प्राप्त हुआ है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि उन्हें जो कुछ मिला वो नीतीश कुमार जी के विशेष आशीर्वाद और की कृपा से मिला. मैं समझता हूं कि जिस तरह उन्होंने पार्टी में गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम किया, वो जनता दल(यू) आज भुगत रही है. जिस तरह का राजनीतिक बयान आ रहा है, वो गलत है"- अरविन्‍द निषाद , प्रवक्‍ता, जदयू

आरसीपी सिंह की राजनीति को लेकर सस्पेंस: आपको बता दें कि जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर विरोधाभास है. पार्टी के तमाम शीर्ष नेता उनसे नाराज चल रहे हैं. हालांकि उनके अपने गुट के समर्थक आज भी उनके साथ हैं, वहीं ललन गुट के नेता और कार्यकर्ता उनपर लगातार निशाना साध रहे हैं. चाहे वो खुद ललन सिंह हों या जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही आरसीपी सिंह पर लगातार हमलावर रहते हैं. वहीं, आरसीपी भी राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी से नाराज दिख रहे हैं. दरअसल, आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो गया है. बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा सांसद नहीं बनाया और खीरू महतो को जेडीयू ने राज्यसभा पहुंचाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अब आरसीपी सिंह पार्टी में किस भूमिका में होंगे इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः 6 जुलाई के बाद RCP सिंह का क्या होगा? JDU में बने रहना बड़ी चुनौती

सीएम नीतीश करेंगे आरसीपी सिंह के भविष्य का फैसला!: उधर आरसीपी सिंह 6 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद बिहार लौट आए हैं और अपने गांव में हैं. पार्टी में उनकी भूमिका क्या होगी? संगठन में किस रूप में काम करेंगे? इसको लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. इस पर फैसला सीएम नीतीश कुमार को ही लेना है लेकिन पार्टी का कोई भी मंत्री और नेता इस मामले में खुलकर बोलने से बच रहा है. कभी आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बाद पार्टी में दो नंबर की कुर्सी के दावेदार माने जाते थे. लेकिन आज पार्टी में सामान्य सदस्य के अलावा कोई हैसियत नहीं रह गई है. अब तो पार्टी के प्रवक्ता भी उनके खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं.

पटनाः जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर जो तल्खियां बढ़ी हैं, अब वो कम होती नजर नहीं आ रही हैं. कल ही यानी गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) अपने पद से इस्तीफा देकर पटना पहुंचे और कहा कि फिलहाल 'मैं अपने गांव जा रहा हूं. मैं सीधा आदमी हूं और सीधा चलता हूं'. यानी अभी पार्टी में उनके पद और स्थिति को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात नहीं की है. उधर पार्टी ने आरसीपी के खिलाफ अपने प्रवक्ताओं (Arvind Nishad ON RCP Singh) को भी उतार दिया है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर रहे हैं.

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जदयू प्रवक्‍ता अरविन्‍द निषाद ने कहा है कि आरसीपी सिंह को यह कबूल करना चाहिये कि उन्हें मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार जी की कृपा से दो बार राज्‍यसभा में नामित किया गया. जदयू का राष्‍ट्रीय महासचिव और जदयू राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया. वो जो ये कहते हैं कि उन्होंने सब कुछ अपनी मेहनत से हासिल किया है, ये कथन उनका गलत है. हां यह भी सच है कि वो केन्‍द्रीय मंत्री अपनी मर्जी से बने. निषाद यहीं नहीं रूके उन्होंने आरसीपी पर तंज कसते हुए कहा कि आपकी सांगठनिक ताकत का दु:खद एहसास तो हर जदयू कार्यकर्त्ता को है कि 2015 में जदयू के विधायकों की संख्‍या 71 थी, जिसे 2020 में आपने 43 पर पहुंचा दिया.

"आदरणीय आरसीपी बाबू कह रहे हैं कि जो कुछ भी मुझे प्राप्त हुआ वो मेरी मेहनत और इमानदारी से प्राप्त हुआ है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि उन्हें जो कुछ मिला वो नीतीश कुमार जी के विशेष आशीर्वाद और की कृपा से मिला. मैं समझता हूं कि जिस तरह उन्होंने पार्टी में गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम किया, वो जनता दल(यू) आज भुगत रही है. जिस तरह का राजनीतिक बयान आ रहा है, वो गलत है"- अरविन्‍द निषाद , प्रवक्‍ता, जदयू

आरसीपी सिंह की राजनीति को लेकर सस्पेंस: आपको बता दें कि जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर विरोधाभास है. पार्टी के तमाम शीर्ष नेता उनसे नाराज चल रहे हैं. हालांकि उनके अपने गुट के समर्थक आज भी उनके साथ हैं, वहीं ललन गुट के नेता और कार्यकर्ता उनपर लगातार निशाना साध रहे हैं. चाहे वो खुद ललन सिंह हों या जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही आरसीपी सिंह पर लगातार हमलावर रहते हैं. वहीं, आरसीपी भी राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी से नाराज दिख रहे हैं. दरअसल, आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो गया है. बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा सांसद नहीं बनाया और खीरू महतो को जेडीयू ने राज्यसभा पहुंचाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अब आरसीपी सिंह पार्टी में किस भूमिका में होंगे इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं.

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