पटना: केंद्र और बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. विस्तार से पहले भाजपा और जदयू में फार्मूले को लेकर मंथन का दौर जारी है. बिहार में भाजपा संख्या बल के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी के पास 74 विधायक हैं और पार्टी संख्या बल के आधार पर मंत्रिमंडल का बंटवारा भी चाहती है. बीजेपी का तर्क है कि मंत्रिमंडल का बंटवारा 125 विधायकों के बीच होना चाहिए.
50-50 फार्मूले पर बंटवारा चाहती है जदयू
वहीं, जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में समानुपातिक प्रतिनिधित्व चाहती है. मिल रही जानकारी के मुताबिक क्योंकि बिहार में भाजपा और जदयू के सांसदों की संख्या लगभग बराबर है, ऐसे में जितने मंत्री बिहार कोटे से केंद्र में भाजपा से बनाए गए हैं उतने ही जदयू से बनाया जाना चाहिए. अगर जदयू को केंद्र में उम्मीद के मुताबिक मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तो बिहार मंत्रिमंडल में जदयू बराबरी-बराबरी के फार्मूले पर समझौता करना चाहेगी.
कुछ भी बोलने से बच रहे जदयू नेता
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र में समानुपातिक प्रतिनिधित्व मिलने पर ही मंत्रिमंडल में शामिल होंगे. बिहार में भी मंत्रिमंडल का विस्तार और अंकगणित उसी पर निर्भर करेगा. हालांकि जदयू नेता इस पर अभी कुछ बोलने से बच रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि इन सभी मसलों पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेता लेते हैं.
'नीतीश के नेतृत्व में 5 साल चलेगी सरकार'
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि दोनों दलों में सब कुछ ठीक है, कोई विवाद नहीं है. समय आने पर बंटवारा भी हो जाएगा. गठबंधन में कोई बड़ा और छोटा नहीं होता है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में 5 साल तक सरकार चलेगी.