पटना: राष्ट्रीय लोक जनता दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल मची है. विश्लेषक इस मुलाकात के मायने निकाल रहे हैं. राजनीतिक समीकरण की बात करें तो उपेंद्र कुशवाहा के किसी भी रूप में भाजपा का समर्थन करने से जदयू को नुकसान हो सकता है. बहरहाल, इस मुलाकात पर जदयू नेता तंज कस रहे हैं. उनका कहना है कि इस मुलाकात का कोई असर पड़ने वाला नहीं है.
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वादा पर कायम नहीं रहती भाजपा: जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जब जदयू में आए थे तो बीजेपी को लेकर और ही कुछ बोल रहे थे. अब अमित शाह के पास गए हैं तो यह तो होना ही था, लेकिन उनके कहीं भी जाने का कोई असर पड़ने वाला नहीं है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा अपने वादे पर कायम नहीं रहती है. पहले बोलती थी अकेले सक्षम हैं, अब राजनीतिक सहयोगी बना लिया.
"हम उपेंद्र कुशवाहा से जानना चाहते हैं जिस सामाजिक संदर्भ को आपने उठाया था कि सम्राट अशोक को अपमानित करने वाले दया सिन्हा से पदम श्री वापस लिया जाए, उम्मीद है कि आपने जरूर अपना वचन निभाया होगा. साथ ही साथ अमित शाह का वचन की 40 सीट पर भाजपा लड़ेगी तो आपका कब शुभ मुहूर्त है भाजपा में प्रवेश का, यह बिहार की जनता को स्पष्ट करना चाहिए"- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जदयू
मजबूत स्थिति में महागठबंधन: नीरज ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के अमित शाह से मिलने पर हम लोगों को कहां कोई चुनौती है. ये तो हर दम आते जाते हैं. ट्रांसफर पोस्टिंग होते रहता है. वहीं जदयू में कभी उपेंद्र कुशवाहा की एंट्री कराने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि नेता तो भले मिल लेते हैं लेकिन उनके साथ जो लोग हैं वह सब चले ही जाते हैं. यह नहीं होता है और उनके जाने का कुशवाहा वोट बैंक में कोई असर नहीं पड़ेगा. बिहार में महागठबंधन बहुत मजबूत स्थिति में है.