पटनाः नाटककार दया प्रकाश सिन्हा के सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial statement on Samrat Ashoka) देने के बाद से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. जदयू ने बीजेपी नेता दया सिन्हा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार (Niraj Kumar On Daya Prakash Sinha Controversial Statement) ने कहा ये राष्ट्रीय अस्मिता का सवाल है और राष्ट्रीय चिन्ह पर हमला है. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक के खिलाफ बयान देने वाले को ही सम्राट अशोक के नाम पर अवार्ड दिया गया. केंद्र सरकार को अवार्ड वापस लेने के लिए पहल करनी चाहिए.
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जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और अब प्रवक्ता नीरज कुमार ने सम्राट अशोक मामले को लेकर बीजेपी नेता दया सिन्हा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जदयू के नेताओं ने उनसे अवार्ड वापस लेने की मांग कर दी है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज ने कहा कि जब हम लोगों ने इस सवाल को उठाया है, तो इसे गंभीरता से आगे बढ़ाएंगे.
'यह राष्ट्रीय अस्मिता का सवाल है, सम्राट अशोक पर भाषाई हमला किया गया है. अपरोक्ष रूप से हमारे राष्ट्रीय प्रतीक पर भी हमला किया गया है. पाटलिपुत्र के लोगों का सम्राट अशोक से खास लगाव है, इसलिए हम लोगों ने इस मुद्दे को उठाया है'- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सम्राट अशोक पर सियासत नहीं करने की सलाह दी है. तो सांसद सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि दया सिन्हा बीजेपी के नेता नहीं है. कुल मिलाकर बीजेपी और जदयू सम्राट अशोक मामले में एक बार फिर से आमने सामने नजर आने लगी है.
इससे पहले, पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक को बौद्ध ग्रंथ के हवाले से कुरूप क्रूर और पत्नी को जलाने वाला बताया जाना आश्चर्यजनक है, क्योंकि यदि सम्राट अशोक औरंगजेब जैसा होते तो सम्राट अशोक द्वारा स्थापित चक्र को न तो राष्ट्रीय प्रतीक बनाया जाता न राष्ट्रीय ध्वज में पिरोया जाता और न ही राष्ट्रपति भवन में अशोका भवन बनाया जाता.
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बता दें कि दया प्रसाद सिन्हा को अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए सम्मानित किया गया था. अशोक ने कलिंग के साथ हुए बेहद हिंसक युद्ध में मिली जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया लिया था. नाटककार ने एक प्रकाशन को दिए साक्षात्कार में अशोक के बारे में कई अभद्र टिप्पणी की थी और दावा किया था कि ये ऐतिहासिक शोध पर आधारित हैं. दया प्रसाद सिन्हा ने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में ‘कई पाप किए’ और बाद में उन्हें धर्मपरायणता के लबादे में छिपाने की कोशिश की.
दरअसल हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी नाटक को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को यह पुरस्कार उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ के लिए दिया गया है. दया प्रकाश सिन्हा सिर्फ नाटक लिखते ही नहीं, वह मंच पर अपने अभिनय से उन नाटकों को प्रदर्शित भी करते हैं. दया प्रकाश को संगीत नाटक अकादमी सम्मान, हिंदी सम्मान और पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
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