पटना: महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो चुका है. लेकिन एनडीए में अभी सीटों को लेकर बातचीत का दौर जारी है. महागठबंधन में सीटों की घोषणा के बाद एनडीए नेताओं पर दबाव बढ़ गया है. और इन सब के बीच खबर है कि नीतीश कुमार की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी कुछ सीटों पर झुकने को तैयार नहीं है.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीरें साफ नहीं हुई है. बीजेपी और जेडीयू के बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है. सूत्र बताते हैं कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई सीटों पर दावा ठोका है. जिसे लेकर पेंच फंसा हुआ है. अब जबकि महागठबंधन ने सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया है तो एनडीए पर दबाव बढ़ गया है.
क्यों फंसा है पेंच, समझिए
अब तक सीटों का बंटवारा नहीं होने के बाद माना जा रहा है बीजेपी-जेडीयू के साथ बराबरी का समझौता चाहती है. साथ ही पारंपरिक सीटों को नहीं छोड़ना चाहती है. जेडीयू आरा, बक्सर और सासाराम की कई सीटें अपने खाते में लेना चाहती है. इसके अलावा नीतीश कुमार की नजर भागलपुर, पूर्णिया, बाढ़, झाझा, सिवान और लखीसराय सीट पर है. नीतीश कुमार की योजना यह है कि बीजेपी से शहरी सीटों को झटक लिया जाए और बीजेपी को ग्रामीण इलाके की सीटें दे दी जाए. नीतीश कुमार इस योजना पर इसलिए भी काम कर रहे हैं क्योंकि ग्रामीण इलाकों में सरकार के खिलाफ नाराजगी है और बीजेपी वहां लड़ेगी तो जनता साथ देगी.
बीजेपी झुकने को तैयार नहीं
जेडीयू की नजर डेढ़ दर्जन ऐसे सीटों पर है. जिस पर या तो बीजेपी के विधायक हैं या फिर वह परंपरागत तौर पर बीजेपी की सीट है. लेकिन बीजेपी नीतीश कुमार के दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है और पार्टी नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सूरत में दूसरे दल से जेडीयू में शामिल हुए नेताओं के लिए वह अपनी पारंपरिक सीट नहीं छोड़ेंगे. दरअसल नीतीश कुमार ने दो दर्जन आरजेडी विधायकों को पार्टी में शामिल होने का प्लान बनाया था. लेकिन संजय जायसवाल के रुख के बाद आरजेडी से जेडीयू में शामिल कराने का सिलसिला थम गया. कुछ विधायकों के शामिल होने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने स्पष्ट कर दिया था कि दूसरे दलों के नेताओं के लिए बीजेपी अपनी पारंपरिक सीटें नहीं छोड़ेगी.
पहले चरण के लिए नामांकन शुरू हो चुका है. और एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. जिसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि दोनों पार्टियों के नेताओं का दावा है कि जल्द ही बात बन जाएगी.