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सिंगल विंडो सिस्टम की कमी से बिहार की ओर आकर्षित नहीं हो रहे निवेशक

बिहार में सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं होने के चलते निवेशक आकर्षित नहीं हो रहे हैं. बिहार के जीएसडीपी में उद्योग का हिस्सा 20.3% है. यह राष्ट्रीय स्तर पर निम्नतम है. पढ़ें पूरी खबर...

Shahnawaz Hussain
शाहनवाज हुसैन
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Published : Oct 1, 2021, 7:50 AM IST

पटना: 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान एनडीए के नेताओं ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. उद्योग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा हों इसके लिए केंद्र की राजनीति से शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को बिहार लाकर उद्योग मंत्री बनाया गया. बिहार सरकार ने अब तक 35 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

यह भी पढ़ें- एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने अडाणी, प्रतिदिन ₹1000 करोड़ बढ़ी संपत्ति !

राज्य में उद्योग लगाने के लिए अब भूमि की कमी भी नहीं है. हालांकि बिहार में सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं होने के चलते निवेशक आकर्षित नहीं हो रहे हैं. यही कारण है कि बिहार के जीएसडीपी (Gross State Domestic Product) में उद्योग का हिस्सा 20.3% है. यह राष्ट्रीय स्तर पर निम्नतम है. देश में सबसे ज्यादा जीएसडीपी में उद्योग का हिस्सा (51.5%) गुजरात में है. दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (46.3%) और तीसरे स्थान पर उड़ीसा (45.6%) है. 2018-19 में बिहार का जीएसडीपी 9.3% रहा.

देखें रिपोर्ट

बिहार सरकार राज्य में नए उद्योग लगे इस कोशिश में जुटी है. गया के डोभी में 2000 एकड़ भूमि में राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क बनने जा रहा है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में 400 करोड़ की लागत से बनने वाले मेगा फूड पार्क को मंजूरी मिल गई है. बिहार सरकार के पास 6000 एकड़ जमीन उद्योग लगाने के लिए है. उद्योग विभाग ने पात्र इन्वेस्टर्स के लिए 2901 एकड़ का लैंड पूल बनाया है ताकि बिहार में उद्योगों की स्थापना में जमीन की कमी आड़े ना आए. बिहार में 2880 फैक्ट्री चालू अवस्था में हैं. इनमें 1,21,770 लोगों को रोजगार मिला है. कुल मिलाकर 19,980 करोड़ की स्थायी पूंजी है.

"बिहार सरकार औद्योगिकरण को लेकर गंभीर नहीं है. नीतीश कुमार सिर्फ दिखावे के लिए सम्मेलन कराते हैं और जमीन का रोना रोते हैं. सरकार की मंशा इस बात से उजागर होती है कि राज्य में अब तक सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं किया जा सका और लालफीताशाही की वजह से आज भी उद्योगपति बिहार नहीं आना चाहते हैं."- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, राजद

"औद्योगिकरण के लिए सबसे बड़ी बाधा सिंगल विंडो सिस्टम और जमीन की कमी है. सिंगल विंडो सिस्टम अब तक बिहार में लागू नहीं किया जा सका है. दूसरी तरफ बियाडा की जमीन भी विवादों में है."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

"बिहार में अब उद्योगपतियों के लिए जमीन की कमी नहीं होगी. हमारे पास 6000 एकड़ जमीन है. 10 उद्योगपतियों को हमने एक सप्ताह में जमीन दिया है. हमने उद्योगपतियों के लिए रेड कारपेट बिछा रखे हैं."- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री

"भले ही सरकार के पास जमीन हो, लेकिन उद्योगपति बिहार में तभी आएंगे जब उन्हें एक ही छत के नीचे तमाम सुविधाएं मिलेंगी. सिंगल विंडो सिस्टम सही अर्थ में जब लागू होगा तभी उद्योगपति बिहार का रुख करेंगे. फिलहाल औद्योगिकरण के मामले में बिहार निचले पायदान पर है. सरकार को राज्य में बड़े उद्योग लगाने होंगे."- डॉ विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

बता दें कि निवेश आकर्शित करने और नये उद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम अपनाया जाता है. उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को सरकार के कई दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. उन्हें कई तरह की इजाजत लेनी होती है. सिंगल विंडो सिस्टम निवेशक की इस परेशानी को दूर करता है. निवेशक को एक जगह अप्लाई करना होता और वहीं से सभी दफ्तरों के काम हो जाते हैं.

अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास कहते हैं कि बिहार में बड़े पैमाने पर औद्योगिकरण के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करना जरूरी है. सिंगल विंडो सिस्टम पर कारोबारी आते हैं और अपनी जरूरत बताते हैं या अपना प्रोजेक्ट सरकार के सामने पेश करते हैं. उन्हें सभी प्रकार की अनुमति एक जगह से मिल जाती है. जमीन, कच्चा माल, बिजली, मजदूर और अन्य जरूरतों संबंधी अनुमति के लिए उन्हें कई दफ्तरों में नहीं जाना पड़ता है.

यह भी पढ़े- 'दिल्ली में छठ पूजा पर रोक बिहारियों का अपमान, फैसला वापस ले केजरीवाल सरकार'

पटना: 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान एनडीए के नेताओं ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. उद्योग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा हों इसके लिए केंद्र की राजनीति से शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को बिहार लाकर उद्योग मंत्री बनाया गया. बिहार सरकार ने अब तक 35 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

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राज्य में उद्योग लगाने के लिए अब भूमि की कमी भी नहीं है. हालांकि बिहार में सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं होने के चलते निवेशक आकर्षित नहीं हो रहे हैं. यही कारण है कि बिहार के जीएसडीपी (Gross State Domestic Product) में उद्योग का हिस्सा 20.3% है. यह राष्ट्रीय स्तर पर निम्नतम है. देश में सबसे ज्यादा जीएसडीपी में उद्योग का हिस्सा (51.5%) गुजरात में है. दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (46.3%) और तीसरे स्थान पर उड़ीसा (45.6%) है. 2018-19 में बिहार का जीएसडीपी 9.3% रहा.

देखें रिपोर्ट

बिहार सरकार राज्य में नए उद्योग लगे इस कोशिश में जुटी है. गया के डोभी में 2000 एकड़ भूमि में राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क बनने जा रहा है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में 400 करोड़ की लागत से बनने वाले मेगा फूड पार्क को मंजूरी मिल गई है. बिहार सरकार के पास 6000 एकड़ जमीन उद्योग लगाने के लिए है. उद्योग विभाग ने पात्र इन्वेस्टर्स के लिए 2901 एकड़ का लैंड पूल बनाया है ताकि बिहार में उद्योगों की स्थापना में जमीन की कमी आड़े ना आए. बिहार में 2880 फैक्ट्री चालू अवस्था में हैं. इनमें 1,21,770 लोगों को रोजगार मिला है. कुल मिलाकर 19,980 करोड़ की स्थायी पूंजी है.

"बिहार सरकार औद्योगिकरण को लेकर गंभीर नहीं है. नीतीश कुमार सिर्फ दिखावे के लिए सम्मेलन कराते हैं और जमीन का रोना रोते हैं. सरकार की मंशा इस बात से उजागर होती है कि राज्य में अब तक सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं किया जा सका और लालफीताशाही की वजह से आज भी उद्योगपति बिहार नहीं आना चाहते हैं."- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, राजद

"औद्योगिकरण के लिए सबसे बड़ी बाधा सिंगल विंडो सिस्टम और जमीन की कमी है. सिंगल विंडो सिस्टम अब तक बिहार में लागू नहीं किया जा सका है. दूसरी तरफ बियाडा की जमीन भी विवादों में है."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

"बिहार में अब उद्योगपतियों के लिए जमीन की कमी नहीं होगी. हमारे पास 6000 एकड़ जमीन है. 10 उद्योगपतियों को हमने एक सप्ताह में जमीन दिया है. हमने उद्योगपतियों के लिए रेड कारपेट बिछा रखे हैं."- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री

"भले ही सरकार के पास जमीन हो, लेकिन उद्योगपति बिहार में तभी आएंगे जब उन्हें एक ही छत के नीचे तमाम सुविधाएं मिलेंगी. सिंगल विंडो सिस्टम सही अर्थ में जब लागू होगा तभी उद्योगपति बिहार का रुख करेंगे. फिलहाल औद्योगिकरण के मामले में बिहार निचले पायदान पर है. सरकार को राज्य में बड़े उद्योग लगाने होंगे."- डॉ विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

बता दें कि निवेश आकर्शित करने और नये उद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम अपनाया जाता है. उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को सरकार के कई दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. उन्हें कई तरह की इजाजत लेनी होती है. सिंगल विंडो सिस्टम निवेशक की इस परेशानी को दूर करता है. निवेशक को एक जगह अप्लाई करना होता और वहीं से सभी दफ्तरों के काम हो जाते हैं.

अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास कहते हैं कि बिहार में बड़े पैमाने पर औद्योगिकरण के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करना जरूरी है. सिंगल विंडो सिस्टम पर कारोबारी आते हैं और अपनी जरूरत बताते हैं या अपना प्रोजेक्ट सरकार के सामने पेश करते हैं. उन्हें सभी प्रकार की अनुमति एक जगह से मिल जाती है. जमीन, कच्चा माल, बिजली, मजदूर और अन्य जरूरतों संबंधी अनुमति के लिए उन्हें कई दफ्तरों में नहीं जाना पड़ता है.

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