पटना: लोक आस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) आज राजधानी पटना के गंगा घाटों का निरीक्षण करेंगे. सीएम जनता दरबार में लोगों की शिकायत सुनने के बाद गंगा घाटों का निरीक्षण करने जाएंगे. दानापुर के नासरीगंज घाट से लेकर पटना सिटी तक के घाटों का बोट से निरीक्षण करेंगे. मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव के अलावे नगर आवास विभाग जिला प्रशासन सहित कई विभागों के आला अधिकारी मौजूद रहेंगे.
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नीतीश कुमार पटना में छठ घाटों का निरीक्षण करेंगे: मुख्यमंत्री गंगा घाटों का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी देंगे. हर साल छठ से पहले मुख्यमंत्री 2 से 3 बार तक गंगा घाटों का निरीक्षण करते रहे हैं और इसकी खुद मॉनिटरिंग करते हैं. पिछले साल भी गंगा घाटों पर छठ का आयोजन हुआ था लेकिन कोरोना के कारण काफी एहतियात बरता गया था. 2 साल के बाद इस बार बड़ी संख्या में लोग गंगा घाट पर पहुंचेंगे और उसको ध्यान में रखकर तैयारी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री छठ में शाम के अर्घ्य के समय गंगा घाटों का नजारा लेने भी जाते हैं और छठ व्रतियों और उनके परिजनों का अभिवादन स्वीकार करते हैं.
इधर, जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने गंगा घाटों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट मांगी है ताकि घाटों की ताजा स्थिति को देखते हुए छठ महापर्व के अनुकूल निर्माण कराया जा सके. डीएम ने बताया कि पटना में 105 गंगा घाटों का निरीक्षण विशेषज्ञों की टीम ने की है। टीम की जांच रिपोर्ट के अनुसार घाटों तक पहुंचने के लिए संपर्क पथ, वाहन पार्किंग, शौचालय, पेयजल और अन्य जन सुविधा का प्रबंध किया जाएगा. टीम को घाटों की लंबाई, जलस्तर, दलदल, गंदगी, स्वच्छ घाट, खतरनाक घाट, छठ व्रतियों के लिए लिए चेंज रूम, नियंत्रण कक्ष और वाच टावर की आवश्यकता का आकलन करना है. रिपोर्ट के आधार पर घाटों का निर्माण कराया जाएगा.
कब है छठ पूजा?: दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा का महापर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है. इस बार छठ पूजा 30 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी. 30 अक्टूबर रविवार का दिन है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाते हैं. यह पर्व पूरे चार दिनों तक बेहद धूमधाम से लोग मनाते हैं. पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. उसके बाद खरना होता है और फिर तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर आखिरी दिन सुबह को लोग सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन करते हैं.
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