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नीतीश के ललन पर क्यों रातों-रात चला 'सुशासन वाला बुल्डोजर' ?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 'धर्म संकट' की स्थिति में फंसे हैं. उनके लिए आगे गड्ढा, पीछे खाई वाली स्थिति है. ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर उन्होंने सवर्ण कार्ड खेला, लेकिन लगता है कि दांव उल्टा पड़ गया. लिहाजा फिर डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हुई हो गई है.

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Published : Aug 8, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 10:48 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू (JDU) को भारी नुकसान हुआ था. पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई थी. सवर्ण जाति (Upper Caste) की नाराजगी के कारण ही जेडीयू को कई क्षेत्रों में जाति विशेष के लोगों ने वोट नहीं किया. अब उनकी नाराजगी को कम करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने सवर्ण कार्ड खेला और ललन सिंह (Lalan Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया.

ये भी पढ़ें- RCP के पोस्टर से ललन सिंह और कुशवाहा गायब, JDU के अंदर सब ठीक है?

पटना आगमन से पहले पूरे शहर को पोस्टरों से पाट दिया गया. ललन सिंह जब एयरपोर्ट पहुंचे तो हजारों की संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया. ललन सिंह के बहाने नीतीश कुमार ने एक तीर से दो निशाना साधा. एक तरफ जहां सवर्णों को यह संदेश देने में कामयाब रहेगी कि हम उनके विरोधी नहीं हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी के लिए भी परेशानी खड़ी कर गए.

देखें रिपोर्ट

राजनीतिक तौर पर नीतीश कुमार को जहां फायदे होंगे, वहीं नुकसान का डर भी सताने लगा है. जेडीयू पर अपना वाजिब हक समझने वाले नेताओं को डर सताने लगा कि पार्टी पर कहीं अगड़ी जाति का कब्जा न हो जाए. उनकी नाराजगी को कम करने के लिए कार्यक्रम खत्म होने के कुछ ही घंटे बाद शहर से ललन सिंह के पोस्टर रातों-रात उतरवा दिए गए.

ये भी पढ़ें- 'पोस्टर लगाने में प्रोटोकॉल का पालन नहीं होगा तो लेंगे कड़ा एक्शन'

बात यहीं खत्म नहीं हुई. आमतौर पर मुख्यमंत्री के व्हाट्सएप ग्रुप में राजनीतिक मुलाकात की तस्वीरें नहीं डाली जाती है, लेकिन शनिवार को 4:00 बजे मुख्यमंत्री के ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में तस्वीर डाली गई. जिसमें ललन सिंह हाथ जोड़कर नीतीश कुमार के सामने खड़े थे.

तस्वीर के आधार पर डिजिटल मीडिया और टेलीविजन में खबरें चलने लगी. यहां तक कि अखबारों में भी वही तस्वीर छपे, यह भी सुनिश्चित किया गया. तस्वीर को आधार बनाकर जब खबरें चलने लगी, तब लगभग डेढ़ घंटे बाद तीन और तस्वीर व्हाट्सएप ग्रुप में डाली गई और चार पंक्ति की सूचना दी गई.

ये भी पढ़ें- उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाकात करने पहुंचे JDU अध्यक्ष ललन सिंह, बंद कमरे में हुई बात

पोस्टर हटाने और तस्वीर वायरल करने के पीछे कई राजनीतिक निहितार्थ हैं. एक तो यह संदेश देने की कोशिश की गई कि दल में नीतीश कुमार से बड़ा कोई चेहरा नहीं है, तो दूसरी तरफ ललन सिंह को लक्ष्मण रेखा के अंदर रहने के संकेत भी दिए गए. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि नीतीश कुमार को यह लगा कि अपनी जाति की सक्रियता से लव-कुश और अत्यंत पिछड़ा वोट बैंक गड़बड़ा सकता है. लिहाजा रणनीति के तहत पोस्टर हटवाए गए होंगे. नीतीश कुमार दोनों को बैलेंस करने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए तस्वीर भी वायरल की गई.

बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि पोस्टर हटाया जाना कोई गंभीर बात नहीं है, ये तो रूटीन वर्क है. नगर निगम सफाई अभियान के तहत पोस्टर हटा रही होगी, इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू (JDU) को भारी नुकसान हुआ था. पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई थी. सवर्ण जाति (Upper Caste) की नाराजगी के कारण ही जेडीयू को कई क्षेत्रों में जाति विशेष के लोगों ने वोट नहीं किया. अब उनकी नाराजगी को कम करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने सवर्ण कार्ड खेला और ललन सिंह (Lalan Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया.

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पटना आगमन से पहले पूरे शहर को पोस्टरों से पाट दिया गया. ललन सिंह जब एयरपोर्ट पहुंचे तो हजारों की संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया. ललन सिंह के बहाने नीतीश कुमार ने एक तीर से दो निशाना साधा. एक तरफ जहां सवर्णों को यह संदेश देने में कामयाब रहेगी कि हम उनके विरोधी नहीं हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी के लिए भी परेशानी खड़ी कर गए.

देखें रिपोर्ट

राजनीतिक तौर पर नीतीश कुमार को जहां फायदे होंगे, वहीं नुकसान का डर भी सताने लगा है. जेडीयू पर अपना वाजिब हक समझने वाले नेताओं को डर सताने लगा कि पार्टी पर कहीं अगड़ी जाति का कब्जा न हो जाए. उनकी नाराजगी को कम करने के लिए कार्यक्रम खत्म होने के कुछ ही घंटे बाद शहर से ललन सिंह के पोस्टर रातों-रात उतरवा दिए गए.

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बात यहीं खत्म नहीं हुई. आमतौर पर मुख्यमंत्री के व्हाट्सएप ग्रुप में राजनीतिक मुलाकात की तस्वीरें नहीं डाली जाती है, लेकिन शनिवार को 4:00 बजे मुख्यमंत्री के ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में तस्वीर डाली गई. जिसमें ललन सिंह हाथ जोड़कर नीतीश कुमार के सामने खड़े थे.

तस्वीर के आधार पर डिजिटल मीडिया और टेलीविजन में खबरें चलने लगी. यहां तक कि अखबारों में भी वही तस्वीर छपे, यह भी सुनिश्चित किया गया. तस्वीर को आधार बनाकर जब खबरें चलने लगी, तब लगभग डेढ़ घंटे बाद तीन और तस्वीर व्हाट्सएप ग्रुप में डाली गई और चार पंक्ति की सूचना दी गई.

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पोस्टर हटाने और तस्वीर वायरल करने के पीछे कई राजनीतिक निहितार्थ हैं. एक तो यह संदेश देने की कोशिश की गई कि दल में नीतीश कुमार से बड़ा कोई चेहरा नहीं है, तो दूसरी तरफ ललन सिंह को लक्ष्मण रेखा के अंदर रहने के संकेत भी दिए गए. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि नीतीश कुमार को यह लगा कि अपनी जाति की सक्रियता से लव-कुश और अत्यंत पिछड़ा वोट बैंक गड़बड़ा सकता है. लिहाजा रणनीति के तहत पोस्टर हटवाए गए होंगे. नीतीश कुमार दोनों को बैलेंस करने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए तस्वीर भी वायरल की गई.

बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि पोस्टर हटाया जाना कोई गंभीर बात नहीं है, ये तो रूटीन वर्क है. नगर निगम सफाई अभियान के तहत पोस्टर हटा रही होगी, इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

Last Updated : Aug 8, 2021, 10:48 PM IST
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