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Inflation in Bihar: एक पखवाड़े में खाद्य सामग्रियों की कीमत में 25 से 30% का इजाफा, आम लोगों के लिए घर चलाना मुश्किल - ETV Bharat Bihar

बढ़ती महंगाई और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि से लोग परेशान हैं. सरसों तेल, रिफाइन, आटा, दाल, चावल और चूड़ा समेत अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम में उछाल ने घरेलू बजट को बिगाड़ दिया है. बढ़ती कीमतों के चलते लोग कम मात्रा में सामान खरीद रहे हैं. जिस वजह से किराना दुकानदार भी बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. लोगों का कहना है कि सरकार को इस पर नियंत्रण करने की जरूरत है, क्योंकि अब घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है.

बिहार में महंगाई चरम पर
बिहार में महंगाई चरम पर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 30, 2023, 6:04 AM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में महंगाई चरम पर है. खाद्य सामग्रियों की कीमतें आसमान छू रही है. पिछले एक पखवाड़े में खाद्य सामग्रियों की कीमत में 25 से 30% का इजाफा हुआ है. एक चीज के दाम में जरा सी कमी क्या आती है कि दूसरी चीज के दाम बढ़ जाते हैं. सब्जी, फल और दूध के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. महंगाई की मार से गरीब तबके से लेकर मध्यमवर्गीय परिवार में भी हाहाकार मचा है.

ये भी पढ़ें: LPG Cylinder Price: रक्षाबंधन से पहले केंद्र सरकार का तोहफा, एलपीजी सिलेंडर 200 रुपये हुआ सस्ता

दाल के काम में तेजी से वृद्धि: अरहर की दाल आम लोगों की थाली से गायब होने लगी है. फिलहाल अरहर दाल 160 रुपए प्रति किलो के आंकड़े को छू चुकी है. 15 दिन पहले अरहर दाल की कीमत 120 से 130 रुपये प्रति किलो के बीच हुआ करती थी. वहीं, चना दाल 75 से 80 रुपए प्रति किलो है. जो पहले 60 से 65 रुपये प्रति किलो थी. मसूर दाल अभी 80 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 70 रुपये प्रति किलो थी. मूंग दाल अभी 105 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 90 रुपये प्रति किलो थी. उड़द दाल 130 रुपये किलो है, जो पहले 120 रुपये किलो थी.

चावल के दाम में बढ़ोतरी : वहीं, चावल की अगर बात करें तो सोनम चावल फिलहाल 45 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 38 से 40 रुपये प्रति किलो थी. लाडली चावल अभी 50 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 42 से 44 रुपये के बीच था. बासमती चावल फिलहाल 80 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 70 रुपये प्रति किलो था. परमल चावल फिलहाल 40 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 32 से 34 रुपये प्रति किलो था.

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चूड़ा-आटा, तेल और रिफाइन भी महंगा: चूड़ा जो गरीबों का भी भोजन है. एक पखवाड़े पहले उसका काम 30 रुपये प्रति किलो था, अब कीमत 45 रुपये के आसपास पहुंच चुकी है. इसके अलावा आटा 25 प्रति रुपये किलो था, जो बढ़कर 30 से 35 रुपये प्रति किलो हो चुका है. तेल और रिफाइंड की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. सरसों तेल 170 प्रति प्रति लीटर था, जो बढ़कर 190 रुपए प्रति लीटर हो चुका है. रिफाइन की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी देखी जा रही है.

खाद्य सामग्रियों के दाम में वृद्धि से लोग परेशान: दुकान में खरीदारी करने आए एक ग्राहक ने कहा कि घर चलाना मुश्किल हो रहा है. वह कहते हैं कि गरीब परिवार से हूं. 8 से 10000 रुपये महीने में कमाता हूं. इतनी महंगाई में कैसे भरपेट भोजन करेंगे. हमारे चार बच्चे हैं, उनको भी देखना है.

"हर चीज की कीमत बढ़ गई है. हम जैसे लोग परेशान हो गए हैं, घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. हर चीज कम-कम कर खरीदते हैं ताकि किसी तरह से महीने का गुजारा हो. सरकार से आग्रह है कि वह महंगाई पर लगाम लगाए"- महिला ग्राहक

क्या कहते हैं दुकानदार?: ऐसा नहीं है कि बढ़ती महंगाई से सिर्फ ग्राहक ही परेशान है, बल्कि इससे दुकानदार भी परेशान है. वह कहते हैं कि महंगाई के कारण लोग कम सामान खरीदते हैं. जब बिक्री ही कम होगी तो मुनाफा कैसे होगा. हमलोग भी चाहते हैं कि महंगाई पर नियंत्रण हो.

"अचानक कीमतों में उछाल आया है. खरीददार तो परेशान हैं ही, हम लोगों की भी परेशानी पड़ गई है और उसका असर बिक्री पर पड़ा है. लोग कम मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए"- संजीव गुप्ता, दुकानदार

क्या है अर्थशास्त्री की राय?: इस बारे में अर्थशास्त्री डॉ. अविरल पांडे का मानना है कि कीमतों में इजाफा चिंता का सबब है. रूस और यूक्रेन युद्ध से जहां फूड सप्लाई चैन बाधित हुआ है, वहीं जमाखोरी भी बढ़ी है. सरकार को जमाखोरों से सख्ती से निपटने की जरूरत है.

"जो वर्ल्ड में मार्केट इफेक्ट होगा, उसका असर हमारे बाजार पर भी पड़ता है. जमाखोरी भी महंगाई के पीछे की बड़ी वजह है. ये बात सच है कि महंगाई के कारण निम्नवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है. इसका रास्ता तो सरकार को ही निकालना होगा"- डॉ. अविरल पांडे, अर्थशास्त्री

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पटना: बिहार में महंगाई चरम पर है. खाद्य सामग्रियों की कीमतें आसमान छू रही है. पिछले एक पखवाड़े में खाद्य सामग्रियों की कीमत में 25 से 30% का इजाफा हुआ है. एक चीज के दाम में जरा सी कमी क्या आती है कि दूसरी चीज के दाम बढ़ जाते हैं. सब्जी, फल और दूध के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. महंगाई की मार से गरीब तबके से लेकर मध्यमवर्गीय परिवार में भी हाहाकार मचा है.

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दाल के काम में तेजी से वृद्धि: अरहर की दाल आम लोगों की थाली से गायब होने लगी है. फिलहाल अरहर दाल 160 रुपए प्रति किलो के आंकड़े को छू चुकी है. 15 दिन पहले अरहर दाल की कीमत 120 से 130 रुपये प्रति किलो के बीच हुआ करती थी. वहीं, चना दाल 75 से 80 रुपए प्रति किलो है. जो पहले 60 से 65 रुपये प्रति किलो थी. मसूर दाल अभी 80 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 70 रुपये प्रति किलो थी. मूंग दाल अभी 105 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 90 रुपये प्रति किलो थी. उड़द दाल 130 रुपये किलो है, जो पहले 120 रुपये किलो थी.

चावल के दाम में बढ़ोतरी : वहीं, चावल की अगर बात करें तो सोनम चावल फिलहाल 45 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 38 से 40 रुपये प्रति किलो थी. लाडली चावल अभी 50 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 42 से 44 रुपये के बीच था. बासमती चावल फिलहाल 80 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 70 रुपये प्रति किलो था. परमल चावल फिलहाल 40 रुपये प्रति किलो है, जो पहले 32 से 34 रुपये प्रति किलो था.

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चूड़ा-आटा, तेल और रिफाइन भी महंगा: चूड़ा जो गरीबों का भी भोजन है. एक पखवाड़े पहले उसका काम 30 रुपये प्रति किलो था, अब कीमत 45 रुपये के आसपास पहुंच चुकी है. इसके अलावा आटा 25 प्रति रुपये किलो था, जो बढ़कर 30 से 35 रुपये प्रति किलो हो चुका है. तेल और रिफाइंड की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. सरसों तेल 170 प्रति प्रति लीटर था, जो बढ़कर 190 रुपए प्रति लीटर हो चुका है. रिफाइन की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी देखी जा रही है.

खाद्य सामग्रियों के दाम में वृद्धि से लोग परेशान: दुकान में खरीदारी करने आए एक ग्राहक ने कहा कि घर चलाना मुश्किल हो रहा है. वह कहते हैं कि गरीब परिवार से हूं. 8 से 10000 रुपये महीने में कमाता हूं. इतनी महंगाई में कैसे भरपेट भोजन करेंगे. हमारे चार बच्चे हैं, उनको भी देखना है.

"हर चीज की कीमत बढ़ गई है. हम जैसे लोग परेशान हो गए हैं, घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. हर चीज कम-कम कर खरीदते हैं ताकि किसी तरह से महीने का गुजारा हो. सरकार से आग्रह है कि वह महंगाई पर लगाम लगाए"- महिला ग्राहक

क्या कहते हैं दुकानदार?: ऐसा नहीं है कि बढ़ती महंगाई से सिर्फ ग्राहक ही परेशान है, बल्कि इससे दुकानदार भी परेशान है. वह कहते हैं कि महंगाई के कारण लोग कम सामान खरीदते हैं. जब बिक्री ही कम होगी तो मुनाफा कैसे होगा. हमलोग भी चाहते हैं कि महंगाई पर नियंत्रण हो.

"अचानक कीमतों में उछाल आया है. खरीददार तो परेशान हैं ही, हम लोगों की भी परेशानी पड़ गई है और उसका असर बिक्री पर पड़ा है. लोग कम मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए"- संजीव गुप्ता, दुकानदार

क्या है अर्थशास्त्री की राय?: इस बारे में अर्थशास्त्री डॉ. अविरल पांडे का मानना है कि कीमतों में इजाफा चिंता का सबब है. रूस और यूक्रेन युद्ध से जहां फूड सप्लाई चैन बाधित हुआ है, वहीं जमाखोरी भी बढ़ी है. सरकार को जमाखोरों से सख्ती से निपटने की जरूरत है.

"जो वर्ल्ड में मार्केट इफेक्ट होगा, उसका असर हमारे बाजार पर भी पड़ता है. जमाखोरी भी महंगाई के पीछे की बड़ी वजह है. ये बात सच है कि महंगाई के कारण निम्नवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है. इसका रास्ता तो सरकार को ही निकालना होगा"- डॉ. अविरल पांडे, अर्थशास्त्री

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