पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की रफ्तार पर ब्रेक लगा है, लेकिन ब्लैक फंगस (Black Fungus) का संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है. राज्य में इसकी दवा की कमी है, जिससे लोग परेशान हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जल्द दवा उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है.
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राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के 622 मामले सामने आए हैं. इसमें से 315 सक्रिय मरीज हैं. वहीं, 87 मरीजों की मौत हुई है. ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं, अस्पताल में संसाधनों के अभाव से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है. दवाओं की कमी की वजह से मरीज और उनके परिजनों को कठिनाई हो रही है.
जानलेवा है ब्लैक फंगस
कोरोना की तुलना में ब्लैक फंगस का संक्रमण अधिक जानलेवा साबित हो रहा है. कोरोना से जहां 1 फीसदी से भी कम मरीज की जान जा रही थी. वहीं, ब्लैक फंगस से 13.9% मरीजों की मौत हो रही है.
दवा की है कमी
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, "कोरोना के शिकार हुए मरीजों में ब्लैक फंगस का संक्रमण अधिक हो रहा है. बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए व्यवस्था की गई है. पटना के बड़े सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट हॉस्पिटल में भी इसका इलाज चल रहा है."
"ब्लैक फंगस की दवा लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी (Liposomal Amphotericin B) की कमी पूरे देश में है. हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति बनी रहे, लेकिन कभी-कभी किसी दिन थोड़ी कठिनाई आती है."- मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री
चार स्टेज होता है ब्लैक फंगस का इलाज
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.
- पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
- दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
- तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
- चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज
बहुत महंगी है ब्लैक फंगस की दवा
सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के रोगी को दी जाने वाली दवा और इंजेक्शन सरकार उपलब्ध करा रही है. इलाज निशुल्क हो रहा है. मगर प्राइवेट अस्पतालों में मरीज के लिए दवा खरीदने में परिजनों की हालत पस्त हो रही है. इसका कारण दवाओं का बहुत महंगा होना है. ब्लैक फंगस के मरीजों को दिया जाने वाला इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी का एक वायल 7 से 10 हजार रुपये में आता है. एक मरीज को प्रतिदिन छह वायल की आवश्यकता पड़ती है. यह इंजेक्शन मरीज को कम से कम 2 हफ्ते और अधिक से अधिक 6 हफ्ते लगाया जाता है. इसके बाद मरीजों को पोसाकोनाजोल की टेबलेट पर शिफ्ट कर दिया जाता है. पोसाकोनाजोल की 10 गोली का एक पैकेट 6 से 8 हजार रुपये में आता है.
इम्यूनिटी लेवल कम होने पर बढ़ता है खतरा
पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार ने कहा, "फंगस सभी जगह है. यहां तक कि हमारे शरीर में और हमारे वातावरण में फंगस भरे पड़े हैं. ब्लैक फंगस एक तरह का अपॉर्चुनिस्टिक इंफेक्शन है. शरीर का इम्यूनिटी लेवल कम होने पर इसका खतरा काफी बढ़ जाता है. कोरोना महामारी के दौरान लोग आंख बंद कर बिना शुगर नियंत्रित किए स्टेरॉयड यूज करने लगे. इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का शुगर लेवल बढ़ गया. इसकी वजह से कोमोरबिडिटी कंडीशन (किसी व्यक्ति को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होना) ज्यादा बढ़ गए. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने शुरू हो गए."
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