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नदी, तालाब और जल क्षेत्र के आस-पास ही क्यों की जाती है छठ पूजा, यहां पढ़ें पूरी कहानी

छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) में व्रती घाटों पर पहुंचकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं. ऐसा करने के पीछे का कारण क्या है. क्यों जल में उतरकर सूर्य देवता की आराधना की जाती है. नीचे पढ़ें..

Importance Of Chhath Ghat
Importance Of Chhath Ghat
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Published : Nov 7, 2021, 12:04 AM IST

पटना: नहाय खाय के साथ शुरू होने वाला छठ पूजा बिहार (Chhath Puja 2021 In Bihar) का सबसे बड़ा लोकआस्था का महापर्व है. छठ घाटों में छठव्रतियों द्वारा उदीयमान सूर्य के साथ ही अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. छठ पर्व प्रकृति से जुड़ने और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है, इसलिए सदियों से इस पर्व को नदी, तालाब और जल क्षेत्र के आस-पास मनाने की परंपरा (Significance Of Chhath Puja) रही है.

यह भी पढ़ें- Chhath Puja 2021:आस्था के साथ-साथ छठ पूजा का है वैज्ञानिक महत्व, कारण जान हो जाएंगे हैरान

प्राचीन काल में छठ पर्व से एक महीना पहले ही लोग नदी के किनारे घाटों (Importance Of Chhath Ghat) पर कल्पवास करते थे, और यहीं कार्तिक मास की साधना करते हुए छठ महापर्व मनाते थे. नदी घाटों पर ही गेहूं को धोकर सुखाकर प्रसाद तैयार किया जाता था. लेकिन आज के दौर में स्थिति बदल गई है. लोग अब छठ घाट पर अर्घ्य देने जाते है. लेकिन अब भी कुछ छठव्रती छठ घाटों पर रात भर रुक कर जागरण करते हैं. ऐसा करने के पीछे मन्नत पूरा होना एक कारण होता है.

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें- सिंगापुर में भी गूंज रहे छठी मईया के गीत, सात समंदर पार आकर भी नहीं भूले अपनी संस्कृति

छठ की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरा सरकारी महकमा इसकी तैयारियों पर नजर बनाए रखता है. सूबे के मुखिया नीतीश कुमार खुद घाटों का जायजा लेने हर साल पहुंचते हैं. इस बार भी सीएम ने पटना के गांधी घाट से कंगन घाट, भद्र घाट, कृष्णा घाट के साथ तमाम घाटों का निरीक्षण किया. इस बार कई ऐसे घाट होंगे जहां छठ महापर्व नहीं किया जा सकेगा. इसका कारण गंगा का बढ़ता जलस्तर है. बढ़ते हुए जलस्तर और गाद जमा होने के कारण कई घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है.

यह भी पढ़ें- गया: महापर्व छठ को लेकर तैयारियां तेज, मेयर और डिप्टी मेयर ने घाटों का किया निरीक्षण

छठव्रतियों को कोई परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जाता है. हालांकि कोरोना सक्रमण के खतरे को देखते हुए लोगों से अपील भी की गई है कि वो अपने अपने घरों में ही छठ महापर्व करें और भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करें. छठ के लिए कई अस्थाई तालाब भी बनाए जाते हैं. मोहल्ले के पार्कों में, कॉलोनियों में अस्थायी घाट बनाया जाता है ताकि घाटों में लोगों की भीड़ न हो. इस बार भी खास व्यवस्थाएं हैं. नहाए खाए के दिन टैंकर के जरिए गंगा जल का वितरण कर छठ व्रतियों के इस महापर्व को आसान बनाने की कोशिश है.

यह भी पढ़ें- छठ महापर्व पर चलेंगी फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें, जाने कब और कहां से

छठ महापर्व में स्वच्छता और पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है. जिस घाट पर छठव्रती संध्याकाल को अर्घ्य देंगे. उसी स्थान से अगली सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा. प्रशासनिक अमला मुस्तैदी के साथ इसके लिए डटा हुआ है. हर साल से इस साल ज्यादा तैयारी भी करनी पड़ रही है. इसका कारण गंगा का बढ़ता जलस्तर है. जो घाट खतरनाक हैं वहां लाल कपड़ा लगाया गया है और बैरिकेडिंग कर दी गई है. छठ घाटों पर दो दिनों तक विहंगम नजारा देखने को मिलता है. छठ महापर्व को लेकर सूबे का माहौल भक्तिमय बना हुआ है.

यह भी पढ़ें- यात्रीगण ध्यान दें... छठ पूजा के दौरान चलेंगे 28 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें, देखें लिस्ट

पटना: नहाय खाय के साथ शुरू होने वाला छठ पूजा बिहार (Chhath Puja 2021 In Bihar) का सबसे बड़ा लोकआस्था का महापर्व है. छठ घाटों में छठव्रतियों द्वारा उदीयमान सूर्य के साथ ही अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. छठ पर्व प्रकृति से जुड़ने और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है, इसलिए सदियों से इस पर्व को नदी, तालाब और जल क्षेत्र के आस-पास मनाने की परंपरा (Significance Of Chhath Puja) रही है.

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प्राचीन काल में छठ पर्व से एक महीना पहले ही लोग नदी के किनारे घाटों (Importance Of Chhath Ghat) पर कल्पवास करते थे, और यहीं कार्तिक मास की साधना करते हुए छठ महापर्व मनाते थे. नदी घाटों पर ही गेहूं को धोकर सुखाकर प्रसाद तैयार किया जाता था. लेकिन आज के दौर में स्थिति बदल गई है. लोग अब छठ घाट पर अर्घ्य देने जाते है. लेकिन अब भी कुछ छठव्रती छठ घाटों पर रात भर रुक कर जागरण करते हैं. ऐसा करने के पीछे मन्नत पूरा होना एक कारण होता है.

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छठ की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरा सरकारी महकमा इसकी तैयारियों पर नजर बनाए रखता है. सूबे के मुखिया नीतीश कुमार खुद घाटों का जायजा लेने हर साल पहुंचते हैं. इस बार भी सीएम ने पटना के गांधी घाट से कंगन घाट, भद्र घाट, कृष्णा घाट के साथ तमाम घाटों का निरीक्षण किया. इस बार कई ऐसे घाट होंगे जहां छठ महापर्व नहीं किया जा सकेगा. इसका कारण गंगा का बढ़ता जलस्तर है. बढ़ते हुए जलस्तर और गाद जमा होने के कारण कई घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है.

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छठव्रतियों को कोई परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जाता है. हालांकि कोरोना सक्रमण के खतरे को देखते हुए लोगों से अपील भी की गई है कि वो अपने अपने घरों में ही छठ महापर्व करें और भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करें. छठ के लिए कई अस्थाई तालाब भी बनाए जाते हैं. मोहल्ले के पार्कों में, कॉलोनियों में अस्थायी घाट बनाया जाता है ताकि घाटों में लोगों की भीड़ न हो. इस बार भी खास व्यवस्थाएं हैं. नहाए खाए के दिन टैंकर के जरिए गंगा जल का वितरण कर छठ व्रतियों के इस महापर्व को आसान बनाने की कोशिश है.

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छठ महापर्व में स्वच्छता और पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है. जिस घाट पर छठव्रती संध्याकाल को अर्घ्य देंगे. उसी स्थान से अगली सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा. प्रशासनिक अमला मुस्तैदी के साथ इसके लिए डटा हुआ है. हर साल से इस साल ज्यादा तैयारी भी करनी पड़ रही है. इसका कारण गंगा का बढ़ता जलस्तर है. जो घाट खतरनाक हैं वहां लाल कपड़ा लगाया गया है और बैरिकेडिंग कर दी गई है. छठ घाटों पर दो दिनों तक विहंगम नजारा देखने को मिलता है. छठ महापर्व को लेकर सूबे का माहौल भक्तिमय बना हुआ है.

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