पटना: इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) से एक राहत भरी खबर आई है. शुक्रवार को ब्लैक फंगस (Black Fungus) के एक भी मरीज की मौत संस्थान में नहीं हुई है. लेकिन पीएमसीएच (PMCH) में स्थिति दयनीय बनी हुई है. 1 सप्ताह से इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी और फंगल दवा पोसाकोनाजोल का स्टॉक खत्म हो गया है. ऐसे में मरीजों को एंटीबैक्टीरियल दवा (antibacterial drug) दी जा रही है. जिन मरीजों की स्थिति गंभीर है उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मरीजों को जबरन अस्पताल खाली करने को कहा जा रहा है.
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बनाया गया है डेडिकेटेड हॉस्पिटल
बता दें कि आईजीआईएमएस में डेडिकेटेड अस्पताल बनाकर लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अभी भी संस्थान में 108 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने बताया कि आज 3 नए ब्लैक फंगस के मरीज यहां भर्ती किए गए हैं. लगातार संस्थान में डॉक्टरों की टीम ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रही है. कई ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिन्हें ऑपरेशन की जरूरत है, उनका ऑपरेशन भी किया जा रहा है.
कोरोना मरीजों का भी चल रहा है इलाज
साथ ही आईजीएमएस में कोरोना मरीजों का भी इलाज चल रहा है. फिलहाल 144 कोरोना मरीज आईजीएमएस में भर्ती हैं और आईजीएमएस में कुल 31 ऑक्सीजन बेड भी खाली हैं. लेकिन अभी भी कुल 30 वेंटिलेटर बेड भरा हुआ है.
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दवा के आभाव में 2 मरीजों की गई जान
पीएमसीएच में इलाज के अभाव में और दवा की कमी की वजह से ब्लैक फंगस के 2 मरीजों की जान गुरुवार को चली गई. पीएमसीएच में ब्लैक फंगस का इलाज शुरू हुए 1 महीने से अधिक समय बीत गया है. लेकिन, अस्पताल को सर्जरी के लिए इंडोस्कोपिक मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई है. कुछ मरीजों की ओपन सर्जरी जरूर की गई मगर बीते 1 सप्ताह से अधिक समय से सर्जरी बंद है. अब तक मात्र 22 मरीजों की हीं सर्जरी हो पाई है. ब्लैक फंगस मरीज की आखिरी सर्जरी 15 जून को हुई थी.
ब्लैक फंगस का बढ़ रहा खतरा
दरअसल, प्रदेश में तेजी से ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ा रहा है. आए दिन किसी न किसी जिले से नए मरीजों की पुष्टि हो रही है. राज्य में ब्लैक फंगस के 650 से अधिक मामले सामने आए हैं और 90 से अधिक मरीजों की जान जा चुकी है. कोरोना की तुलना में ब्लैक फंगस का संक्रमण अधिक जानलेवा साबित हो रहा है. कोरोना से जहां 1 फीसदी से भी कम मरीज की जान जा रही थी. वहीं, ब्लैक फंगस से 13.9% मरीजों की मौत हो रही है.
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चार स्टेज होता है ब्लैक फंगस का इलाज
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.
- पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
- दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
- तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
- चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज
इम्यूनिटी लेवल कम होने पर बढ़ता है खतरा
पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार ने कहते हैं कि "फंगस सभी जगह है. यहां तक कि हमारे शरीर में और हमारे वातावरण में फंगस भरे पड़े हैं. ब्लैक फंगस एक तरह का अपॉर्चुनिस्टिक इंफेक्शन है. शरीर का इम्यूनिटी लेवल कम होने पर इसका खतरा काफी बढ़ जाता है. कोरोना महामारी के दौरान लोग आंख बंद कर बिना शुगर नियंत्रित किए स्टेरॉयड यूज करने लगे. इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का शुगर लेवल बढ़ गया. इसकी वजह से कोमोरबिडिटी कंडीशन (किसी व्यक्ति को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होना) ज्यादा बढ़ गए. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने शुरू हो गए."
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