पटनाः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार आ रहे हैं. 10 दिसंबर को पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होंगे. यह मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में हो सकती है. इस बैठक में बिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड और उड़ीसा के मुख्यमंत्री को भी भाग लेना है. इसके साथ उनके अधिकारी भी इसमें शामिल होंगे.
विशेष दर्जा का उठती रही है मांगः जातीय सर्वे के बाद बिहार के यह बैठक काफी अहम है. बिहार सरकार की ओर से कई मुद्दे उठाए जाएंगे, लेकिन इस बार विशेष राज्य के दर्जे की मांग को अहम मुद्दा बनाया गया है. हाल के समय से सीएम नीतीश कुमार भी मीडिया के सामने और कार्यक्रम में इसकी चर्चा करते रहे हैं. सीएम कहते हैं कि बिहार के विकास के लिए यह जरूरी है. इसके लिए 15 दिसंबर से यात्रा निकाली जाएगी.
केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी भी है मुद्दाः इसके साथ ही जल संसाधन विभाग, पड़ोसी राज्य झारखंड के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. केंद्रीय योजनाओं में बिहार की हिस्सेदारी को लेकर भी चर्चा होगी, जिसमें बिहार सरकार की ओर से 90:10 के रेशियों में राशि देने की मांग होगी. बता दें कि इससे पहले बिहार के सरकार के मंत्री आरोप लगा चुके हैं कि सड़क निर्माण सहित कई योजनाओं में अन्य साल के मुताबिक राशि कम आवंटित की गई है. इसलिए यह मुद्दा भी अहम होने वाला है.
गरीबों के लिए योजनाएं चलाएगी बिहार सरकारः बिहार सरकार ने हाल ही में जातीय सर्वे कराया है. रिपोर्ट के आधार पर 94 लाख परिवार गरीब हैं, जिनकी आमदनी 6000 से कम दिखाया गया है. बिहार सरकार ऐसे लोगों के लिए योजनाएं चलाना चाहती है, जिसके लिए ढाई लाख करोड़ खर्च का बजट तैयार किया गया है. इसलिए सीएम नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं. हाल ही में कैबिनेट से केंद्र सरकार को इससे संबंधित अनुशंसा भी भेजा गया है.
नदी जोड़ योजना अधड़ में लटकीः जल संसाधन विभाग की कई योजनाएं अटकी हुई है. नेपाल में डैम बनाने का मामला लंबे समय से उठता रहा है. नदी जोड़ योजना को लेकर भी बिहार सरकार के तरफ से कई बार केंद्र से मांग की गई है. जल संसाधन मंत्री संजय झा कहते हैं कि नेपाल में बारिश के कारण हर साल नदी में बाढ़ आती है. इसलिए डैम बनाने की मांग की जा रही है. यह बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है.
"जल संसाधन के कई मुद्दे हैं, जिसे पहले भी इसे उठाते रहे हैं. इस बार भी बैठक में इसे रखा जाएगा. नेपाल से आने वाली पानी के कारण बिहार में काफी तबाही मचती है. डैम बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है, लेकिन अभी तक उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. केंद्र से योजनाओं में राशि नहीं मिल रही है, यह एक बड़ी समस्या है. विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर यदि केंद्र सहमति नहीं देती है तो 2024 में हमलोगों का केंद्र में सरकार बनेगी तो बिहार को जरूर यह मिलेगा." -संजय झा, जल संसाधन मंत्री
23 साल से नहीं सुलझा पेंशन विवादः बिहार और झारखंड के बीच पेंशन का मामला काफी पुराना है, जो आज तक नहीं सुलझा है. दरअसल, साल 2000 में दोनों राज्य का बंटवारा हुआ. पिछले 23 सालों में दोनों सरकारों के बीच पेंशन राशि भुगतान को लेकर विवाद चल रहा है. झारखंड बटवारा के समय झारखंड के हिस्से के कर्मचारियों को बिहार सरकार जो पेंशन देती है, उसके लिए बिहार 33% राशि झारखंड से मांग कर रही है, लेकिन झारखंड सरकार आबादी के आधार पर 25% राशि से अधिक भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है.
झारखंड का मुद्दा उठेगाः 2018-19 से झारखंड ने किसी तरह की राशि देना बंद कर दी है. इसी तरह बोर्ड निगम के संपत्ति बटवारा का मामला भी अटका हुआ है. झारखंड में बिहार के बोर्ड निगम की जो संपत्ति है, उसके लिए बिहार सरकार राशि की मांग झारखंड सरकार से कर रही है. कई स्तर पर बातचीत भी हुई है, लेकिन मामला अब तक अनसुलझा है. इस मुद्दे को भी अमित शाह के सामने रखा जाएगा.
"कोलकाता में पिछली बार पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी झारखंड से पेंशन विवाद का मामला उठाया गया था. इस बैठक में भी पेंशन, विवाद बोर्ड निगम की संपत्तियों का विवाद पर चर्चा होगी. अंतरराज्य व अन्य विषयों पर भी चर्चा होगी. केंद्र और राज्य के जो विषय हैं, उसे भी लिया जाएगा." -विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री
सियासी रंग ले रही बैठकः यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हाल ही में पांच राज्यों का चुनाव हुआ है. इसके रिजल्ट में बीजेपी को तीन राज्यों में सरकार बनाने में सफलता मिली है. इंडिया गठबंधन में खटपट शुरू है. ऐसे तो यह पूरी तरह से सरकारी कार्यक्रम है, लेकिन अमित शाह और नीतीश कुमार बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार मिलेंगे. इसलिए सियासी हल्को में भी इसकी चर्चा है. विशेषज्ञ का मानना है कि यह बैठक केंद्र और राज्य के बीच विवाद सुलझाने के लिए अहम है.
"इस तरह की बैठक केंद्र-राज्य और राज्यों के बीच विवाद को सलटाने के लिए महत्वपूर्ण है. बैठकों में कई मुद्दों को सलटाया भी गया है. इसके माध्यम से विकास की योजना में भी गति आती है, क्योंकि जब केंद्रीय गृह मंत्री समीक्षा करेंगे तो जो कमियां है, उसे दूर किया जा सकेगा. इसके साथ ही आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी अब बैठक महत्वपूर्ण है." -एनके चौधरी, सरकार मामले का विशेषज्ञ