पटना: महागठबंधन ने फर्स्ट फेज में 71 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इनमें कुछ सीटें काफी महत्वपूर्ण है और उन सीटों पर सबकी नजर है. वर्ष 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में बड़ा फर्क है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार राजद और जदयू का गठबंधन था. जबकि इस बार जदयू बीजेपी गठबंधन में हैं.
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में चाहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हों या कृषि मंत्री प्रेम कुमार या फिर बिहार सरकार के अन्य मंत्री जय कुमार सिंह, संतोष कुमार निराला और रामनारायण मंडल. इन दिग्गजों पर सबकी नजर है. इसके अलावा संदेश से राजद विधायक अरुण कुमार फरार हैं. वहीं बड़हरा विधायक सरोज यादव पर भी नजर है.
फर्स्ट फेज की 71 सीटें जहां इन दिग्गजों की हुई थी 2015 में जीत
सीट - वर्तमान विधायक
कहलगांव - सदानंद सिंह
सुल्तानगंज - सुबोध राय
अमरपुर - जनार्दन मांझी
धोरैया (सुरक्षित) - मनीष कुमार
बांका- राम नारायण मंडल
कटोरिया(सुरक्षित)- स्वीटी सीमा हेम्ब्रम
बेलहर- रामदेव यादव
तारापुर -मेवालाल चौधरी
मुंगेर- विजय कुमार विजय
जमालपुर- शैलेश कुमार
सूर्यगढ़ा- प्रह्लाद यादव
लखीसराय- विजय कुमार सिन्हा
शेखपुरा- रणधीर कुमार सोनी
बरबीघा- सुदर्शन कुमार
मोकामा- अनंत कुमार सिंह
बाढ़- ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ज्ञानू
मसौढ़ी- रेखा देवी
पालीगंज- जयवर्धन यादव उर्फ बच्चा यादव
विक्रम- सिद्धार्थ
संदेश- अरुण कुमार
बड़हरा- सरोज यादव
आरा- मोहम्मद नवाज आलम
अगिआंव (सुरक्षित)- रघुनाथ प्रसाद
तरारी- सुदामा प्रसाद
जगदीशपुर- राम विशुन सिंह
शाहपुर- राहुल तिवारी
ब्रह्मपुर- शंभू नाथ यादव
बक्सर- संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना
डुमराव- ददन यादव
राजपुर (सुरक्षित)- संतोष कुमार निराला
रामगढ़- अशोक कुमार सिंह
मोहनिया (सुरक्षित)- निरंजन राम
भभुआ- रिंकी रानी पांडे
चैनपुर- बृजकिशोर बिंद
चेनारी (सुरक्षित)- ललन पासवान
सासाराम- अशोक कुमार
करगहर- वशिष्ठ सिंह
दिनारा- जय कुमार सिंह
नोखा- अनीता देवी
डेहरी- सत्यनारायण सिंह
काराकाट- संजय कुमार सिंह
अरवल- रवीन्द्र सिंह
कुर्था- सत्यदेव सिंह
जहानाबाद- कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुधा यादव
घोसी- कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा
मखदुमपुर (सुरक्षित)- सूबेदार दास
गोह- मनोज कुमार
ओबरा- वीरेंद्र कुमार सिन्हा
नबीनगर- वीरेंद्र कुमार सिंह
कुटुंबा (सुरक्षित)- राजेश कुमार
औरंगाबाद- आनंद शंकर सिंह
रफीगंज- अशोक कुमार सिंह
गुरुआ- राजीव नंदन
शेरघाटी- विनोद प्रसाद यादव
इमामगंज- जीतन राम मांझी
बाराचट्टी- समता देवी
बोधगया- कुमार सर्वजीत
गया शहर- प्रेम कुमार
टिकारी- अभय कुमार सिन्हा
बेलागंज- सुरेंद्र प्रसाद यादव
अतरी- कुंती देवी
वजीरगंज- अवधेश कुमार सिंह
रजौली (सुरक्षित)- प्रकाश वीर
हिसुआ- अनिल सिंह
नवादा- कौशल यादव
गोविंदपुर- पूर्णिमा यादव
वारसलीगंज- अरुणा देवी
सिकंदरा (सुरक्षित)- सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी
जमुई- विजय प्रकाश
झाझा- रविंद्र यादव
चकाई- सावित्री देवी
पहले चरण में कई सीट हाई प्रोफाइल
फर्स्ट फेज में अगर हाई प्रोफाइल सीटों की बात करें तो गया से मंत्री प्रेम कुमार, इमामगंज से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, दिनारा से मंत्री जय कुमार सिंह, मोकामा से बाहुबली अनंत कुमार सिंह, लखीसराय से मंत्री विजय कुमार सिन्हा, जमालपुर से मंत्री शैलेश कुमार, कहलगांव से पूर्व विधानसभा स्पीकर सदानंद सिंह और बांका से मंत्री रामनारायण मंडल प्रमुख हैं.
गया में जीतन राम मांझी, प्रेम कुमार की साख दांव पर
हाई प्रोफाइल सीटों में गया विधानसभा सीट का नंबर सबसे पहले आता है. जहां से कृषि मंत्री प्रेम कुमार लगातार जीत रहे हैं. वर्ष 2010 में जहां उन्होंने सीपीआई के जलालुद्दीन अंसारी को करीब 28000 वोटों से हराया था. वहीं 2015 के चुनाव में उनके मुकाबले कांग्रेस के प्रियरंजन थे. जिन्हें उन्होंने 22 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. पहले चरण में गया की सीटों में एक और महत्वपूर्ण इमामगंज विधानसभा सीट है. जिस पर 2015 में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चुनाव की जीत हुई थी. इसके पहले वर्ष 2000, 2005 और 2010 चुनाव में जदयू के उदय नारायण चौधरी ने लगातार जीत दर्ज की थी. लेकिन 2015 में अजेय माने जाने वाले जदयू प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी को जीतन राम मांझी ने करीब 30000 वोटों से हरा दिया था. वर्ष 2015 के चुनाव में जीतन राम मांझी मांझी दो जगह से चुनाव लड़े. लेकिन मखदुमपुर सीट से वो चुनाव हार गए थे. इस लिहाज से ना सिर्फ इमामगंज बलकि मखदुमपुर विधानसभा सीट पर भी सबकी नजर है.
हाई प्रोफाइल सीटों में मोकामा भी
पहले चरण में मोकामा विधानसभा सीट अनंत सिंह के कारण चर्चा में है. वर्ष 2010 में जदयू के टिकट पर अनंत सिंह ने चुनाव लड़ा और लोजपा की सोनम देवी को करीब 9000 मतों से हराया था. लेकिन इसके बाद वो जदयू से अलग हो गए और वर्ष 2015 के चुनाव में अनंत सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार को करीब 14000 मतों से हराया था. नीरज कुमार बिहार सरकार में मंत्री हैं और विधान परिषद चुनाव लड़ रहे हैं.
कहलगांव सीट पर इस बार किसकी होगी जीत?
कहलगांव विधानसभा सीट पर लंबे समय से सदानंद सिंह की तूती बोलती रही है. चुनाव में स्थितियां-परिस्थितियां कैसी भी रही हो. कहलगांव सीट कांग्रेस के खाते में ही गई है. वर्ष 2010 और 2015 में सदानंद सिंह ने यहां से जीत दर्ज की. इस बार सदानंद सिंह सक्रिय राजनीति से अलग होने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में दिलचस्प होगा देखना कि इस बार सदानंद सिंह की अनुपस्थिति में क्या महागठबंधन का प्रत्याशी यहां से जीत दर्ज करता है.
लखीसराय की दो सीटों पर सबकी नजर
लखीसराय जिले की सूर्यगढ़ा सीट पर राजद के प्रह्लाद यादव ने पिछली बार बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल को 29 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था. लेकिन इससे पहले 2005 और 2010 में लगातार दो बार बीजेपी के प्रेम रंजन पटेल ने यहां से जीत दर्ज की थी. लखीसराय विधानसभा सीट से वर्ष 2010 और वर्ष 2015 में लगातार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जीत दर्ज की. 2010 में राजद के फुलेना सिंह को उन्होंने बड़े अंतर से हराया था. लेकिन 2015 में विजय कुमार सिन्हा महज 6000 मतों से जदयू के रामानंद मंडल से जीत सके थे. 2015 में राजद जदयू कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट जदयू के पास थी.