ETV Bharat / state

नगर निकाय चुनाव नहीं होने पर हाई कोर्ट ने जताई आपत्ति, प्रधान सचिव से मांगा जबाव

Patna High Court ने बिहार में नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा होने पर आपत्ति जताई है. हाई कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 1 दिसंबर को करेगी जिसमें नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से मामले में जबाव मांगा है. पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court
Patna High Court
author img

By

Published : Nov 24, 2022, 9:53 PM IST

पटनाः हाई कोर्ट पटना ने राज्य में नगर निकाय के विघटन (Municipal Elections In Bihar) की अवधि 6 माह से ज्यादा होने पर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को तलब किया है. कहा कि इस मामले में एक दिसंबर को होनी वाली सुनवाई में इसका जबाव दें. कहा कि नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा हो गई है तो किस कानून के तहत एडमिनिस्ट्रेटर निकायों में कार्य कर रहे हैं. जस्टिस ए अमानुल्लाह (Justice A Amanullah) की खंडपीठ ने गुरुवार को अंजू कुमारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की.

यह भी पढ़ेंः गाय घाट आफ्टर केअर होम मामले पर HC में सुनवाई पूरी, पुनःआकलन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

एडमिनिस्ट्रेटर के कार्य पर लगे रोकः पटना हाई कोर्ट ने मामले में जानना चाहा है कि क्यों नहीं प्रावधानों और कानूनों के उल्लंघन को मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दी जाए. कोर्ट को राज्य सरकार के अधिवक्ता किंकर कुमार (Advocate Kinkar Kumar) ने बताया कि डेडीकेटेड कमीशन का गठन (Formation of dedicated commission) हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कर दिया गया है. उसकी रिपोर्ट आते ही बिहार में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा.

अवधि समाप्त होने के पहले कराना है चुनावः याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम (Advocate SBK Mangalam) ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है. लेकिन बिहार में बहुत ऐसे नगर निकाय हैं, जिनको विघटित हुए एक साल से ज्यादा हो गया. इसके बावजूद अभी भी उन नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है. जो कानूनी रूप से सही नहीं है.

परामर्श दात्री समिति का गठन होः याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के कार्यों को गैरकानूनी माना है. जिस प्रकार पंचायत में परामर्श दात्री समिति का गठन किया गया है ,उसी प्रकार नगर निकाय में भी परामर्श दात्री समिति का गठन किया जाए. इससे नगर निकाय का कार्य सुचारू रूप से चुनाव संपन्न होने तक हो सकेगा.

डेडीकेटेड कमीशन की रिपोर्ट नहीं आईः गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय की अवधि 3 सितंबर 2021 और 9 जून 2022 को पूरी हो जाने के बाद संबंधित नगर निकाय का कार्य एडमिनिस्ट्रेटर की देख रेख में हो रहा है. ये 9 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रही है. अभी तक डेडीकेटेड कमीशन की रिपोर्ट अति पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में सरकार को नहीं मिली है. उम्मीद है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध होगी.

पटनाः हाई कोर्ट पटना ने राज्य में नगर निकाय के विघटन (Municipal Elections In Bihar) की अवधि 6 माह से ज्यादा होने पर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को तलब किया है. कहा कि इस मामले में एक दिसंबर को होनी वाली सुनवाई में इसका जबाव दें. कहा कि नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा हो गई है तो किस कानून के तहत एडमिनिस्ट्रेटर निकायों में कार्य कर रहे हैं. जस्टिस ए अमानुल्लाह (Justice A Amanullah) की खंडपीठ ने गुरुवार को अंजू कुमारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की.

यह भी पढ़ेंः गाय घाट आफ्टर केअर होम मामले पर HC में सुनवाई पूरी, पुनःआकलन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

एडमिनिस्ट्रेटर के कार्य पर लगे रोकः पटना हाई कोर्ट ने मामले में जानना चाहा है कि क्यों नहीं प्रावधानों और कानूनों के उल्लंघन को मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दी जाए. कोर्ट को राज्य सरकार के अधिवक्ता किंकर कुमार (Advocate Kinkar Kumar) ने बताया कि डेडीकेटेड कमीशन का गठन (Formation of dedicated commission) हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कर दिया गया है. उसकी रिपोर्ट आते ही बिहार में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा.

अवधि समाप्त होने के पहले कराना है चुनावः याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम (Advocate SBK Mangalam) ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है. लेकिन बिहार में बहुत ऐसे नगर निकाय हैं, जिनको विघटित हुए एक साल से ज्यादा हो गया. इसके बावजूद अभी भी उन नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है. जो कानूनी रूप से सही नहीं है.

परामर्श दात्री समिति का गठन होः याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के कार्यों को गैरकानूनी माना है. जिस प्रकार पंचायत में परामर्श दात्री समिति का गठन किया गया है ,उसी प्रकार नगर निकाय में भी परामर्श दात्री समिति का गठन किया जाए. इससे नगर निकाय का कार्य सुचारू रूप से चुनाव संपन्न होने तक हो सकेगा.

डेडीकेटेड कमीशन की रिपोर्ट नहीं आईः गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय की अवधि 3 सितंबर 2021 और 9 जून 2022 को पूरी हो जाने के बाद संबंधित नगर निकाय का कार्य एडमिनिस्ट्रेटर की देख रेख में हो रहा है. ये 9 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रही है. अभी तक डेडीकेटेड कमीशन की रिपोर्ट अति पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में सरकार को नहीं मिली है. उम्मीद है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.