ETV Bharat / state

Bihar Caste Census: जातीय गणना पर लगातार चौथे दिन HC में रखा गया बिहार सरकार का पक्ष, कल फिर होगी सुनवाई - ईटीवी भारत न्यूज

बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर आगे भी पटना हाइकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी. गुरुवार को महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना. जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के किया जाना है. इस मामले में शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी. पढ़ें पूरी खबर....

पटना हाईकोर्ट में जातीय जनगणना पर सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में जातीय जनगणना पर सुनवाई
author img

By

Published : Jul 6, 2023, 5:58 PM IST

Updated : Jul 6, 2023, 8:06 PM IST

पटना: पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई अधूरी रही. जातीय गणना पर लगातार पांचवें दिन 8 जुलाई को सुनवाई होगी. इस मामले में दायर याचिकायों पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना. जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के किया जाना है.



ये भी पढ़ें: Bihar Caste Census : राज्य सरकार ने HC में कहा- 'जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा'

'सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा' : महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि जाति सम्बन्धी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के समय भी दी जाती है. जातियां समाज का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग-अलग जातियां होती है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसीको बाध्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकार में है.


महाधिवक्ता पी के शाही ने क्या कहा?: उन्होंने कोर्ट को बताया कि इससे सर्वेक्षण से किसी के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. महाधिवक्ता शाही ने कहा कि बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक होती हैं. इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या!

हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक: पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है. ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?: अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है.उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतिका रानी,अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया.

पटना: पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई अधूरी रही. जातीय गणना पर लगातार पांचवें दिन 8 जुलाई को सुनवाई होगी. इस मामले में दायर याचिकायों पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना. जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के किया जाना है.



ये भी पढ़ें: Bihar Caste Census : राज्य सरकार ने HC में कहा- 'जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा'

'सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा' : महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि जाति सम्बन्धी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के समय भी दी जाती है. जातियां समाज का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग-अलग जातियां होती है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसीको बाध्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकार में है.


महाधिवक्ता पी के शाही ने क्या कहा?: उन्होंने कोर्ट को बताया कि इससे सर्वेक्षण से किसी के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. महाधिवक्ता शाही ने कहा कि बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक होती हैं. इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या!

हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक: पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है. ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?: अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है.उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है. इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, ऋतिका रानी,अभिनव श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया.

Last Updated : Jul 6, 2023, 8:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.