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बिहार नगर पालिका एक्ट 2007 की वैधता को चुनौती वाली याचिका की सुनवाई दो सप्ताह टली - Bihar Municipal Validity Postponed

पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 (Bihar Municipal Act 2007) के Chapter 5 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है. इस मामले में एडवोकेट जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था.

Chief Justice Sanjay Karol
पटना हाईकोर्ट
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Published : Nov 24, 2021, 11:03 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 (Bihar Municipal Act 2007) के Chapter 5 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह (Bihar Municipal Validity Postponed ) के लिए टाल दी है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ के समक्ष डा.आशीष कुमार सिन्हा और अन्य के द्वारा दायर याचिका पर एडवोकेट जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय लिया है.

ये भी पढ़ें- अधिवक्ता हत्या मामले में अभियुक्त की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई, जज ने मांगी केस डायरी

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि यह नगरपालिका संगठनात्मक संरचना से सम्बंधित कानून है. नगरपालिका के इस कानून में श्रेणी ए और बी पदों पर नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है. जबकि श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति पर नगरपालिका का बहुत सीमित अधिकार था, लेकिन 31 मार्च 2021 को कानून में संशोधन कर श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति के सीमित अधिकार को राज्य सरकार ने नगरपालिका से ले लिया.

जिस पर याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा इस कानून में किये गए संशोधन को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने 31 मार्च 2021 को कानून में संशोधन कर राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से नगरपालिका के शक्ति प्राप्त कमिटी के नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार को लिए जाने को गम्भीरता से लिया.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि कानून के तहत अन्य राज्यों में नगरपालिका के कर्मचारियों की नियुक्ति नगर निगम करती है. उन्होंने कहा कि नगर निगम स्वायत्तशासी संस्था है. इसके लिए जरूरी है कि प्रतिदिन के कार्य में सरकारी हस्तक्षेप न हो और ये इकाई स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य कर सके.

कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है, जबकि ये पैसा निगम के फंड से दिया जाता है. निगम के कर्मचारियों के कैडर का केंद्रीयकृत होना नगरपालिका संस्थाओं के स्वायतता के मूल भावना के विरूद्ध है.

ये भी पढ़ें- जज पर हमला मामला: हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने पर झंझारपुर पहुंचे IG और DM, न्यायिक हिरासत में आरोपी

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पटना: पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 (Bihar Municipal Act 2007) के Chapter 5 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह (Bihar Municipal Validity Postponed ) के लिए टाल दी है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ के समक्ष डा.आशीष कुमार सिन्हा और अन्य के द्वारा दायर याचिका पर एडवोकेट जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय लिया है.

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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि यह नगरपालिका संगठनात्मक संरचना से सम्बंधित कानून है. नगरपालिका के इस कानून में श्रेणी ए और बी पदों पर नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है. जबकि श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति पर नगरपालिका का बहुत सीमित अधिकार था, लेकिन 31 मार्च 2021 को कानून में संशोधन कर श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति के सीमित अधिकार को राज्य सरकार ने नगरपालिका से ले लिया.

जिस पर याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा इस कानून में किये गए संशोधन को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने 31 मार्च 2021 को कानून में संशोधन कर राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से नगरपालिका के शक्ति प्राप्त कमिटी के नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार को लिए जाने को गम्भीरता से लिया.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि कानून के तहत अन्य राज्यों में नगरपालिका के कर्मचारियों की नियुक्ति नगर निगम करती है. उन्होंने कहा कि नगर निगम स्वायत्तशासी संस्था है. इसके लिए जरूरी है कि प्रतिदिन के कार्य में सरकारी हस्तक्षेप न हो और ये इकाई स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य कर सके.

कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है, जबकि ये पैसा निगम के फंड से दिया जाता है. निगम के कर्मचारियों के कैडर का केंद्रीयकृत होना नगरपालिका संस्थाओं के स्वायतता के मूल भावना के विरूद्ध है.

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