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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अस्पतालों की रजिस्ट्री का मामला, पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई - चीफ जस्टिस संजय करोल

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अस्पतालों की रजिस्ट्री कराने के मामले की पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से अगली सुनवाई में कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया है.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Mar 31, 2021, 9:50 AM IST

पटनाः क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अस्पतालों की रजिस्ट्री कराने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी व निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य अस्पतालों के बिहार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्री कराने के मामले पर सुनवाई की.

इसे भी पढ़ेंः पटना में सिर्फ 587 नर्सिंग हॉस्पिटल हैं रजिस्टर्ड, 4 हजार से ज्यादा का हो रहा संचालन

राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से अगली सुनवाई में कार्रवाई की रिपोर्ट तलब किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों व नर्सिंग होम को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाए.

इसे भी पढ़ेंः पटना हाईकोर्ट में पेंडिंग केस की भरमार, जजों की संख्या रह गई आधी

क्या हैं प्रावधान ?
याचिकाकर्ता अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि एक्ट के तहत सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन कराया जाना है. लेकिन अब तक रजिस्ट्रेशन कराने की रफ्तार काफी धीमी है. उन्होंने बताया कि अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाएं, उपलब्ध चिकित्सक, कर्मचारी, सेवाएं और अन्य जानकारियां सार्वजनिक तौर पर देनी हैं.

लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

पटनाः क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अस्पतालों की रजिस्ट्री कराने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी व निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य अस्पतालों के बिहार क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्री कराने के मामले पर सुनवाई की.

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राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से अगली सुनवाई में कार्रवाई की रिपोर्ट तलब किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले अस्पतालों व नर्सिंग होम को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाए.

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क्या हैं प्रावधान ?
याचिकाकर्ता अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि एक्ट के तहत सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन कराया जाना है. लेकिन अब तक रजिस्ट्रेशन कराने की रफ्तार काफी धीमी है. उन्होंने बताया कि अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाएं, उपलब्ध चिकित्सक, कर्मचारी, सेवाएं और अन्य जानकारियां सार्वजनिक तौर पर देनी हैं.

लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

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