पटना: पटना हाईकोर्ट ने रजौली के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहर लोमस ऋषि तथा यज्ञवलक ऋषि पर्वत की गुफाओं को संरक्षित कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने के बारे में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर अपना निर्णय दिया. कोर्ट ने इसके साथ ही इस क्षेत्र को विकसित करने के लिये नवादा डीएम की ओर से पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव को भेजी गई पत्र के आलोक में कार्रवाई करने का आदेश दिया.
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'यह क्षेत्र ऋषियों का तपोस्थल रहा' : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बृषकेतू पांडेय ने कोर्ट को बताया कि रजौली के पौराणिक धार्मिक ऐतिहासिक एंव पुरातात्विक धरोहर लोमस ऋषि तथा यज्ञवलक ऋषि पर्वत की गुफाओं के साथ साथ एक प्राचीन शिव मंदिर है. यह क्षेत्र ऋषियों का तपोस्थल रहा है. उनका बताया था कि 1871 में स्थानीय राजा जयमंगल प्रसाद शाही ने इस आस्था के केंद्र पर पूजा पाठ के लिए एक पुजारी की नियुक्ति की थी. उनका यह भी बताया था कि पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना, बरसाती नदी और वन क्षेत्र है.
कोर्ट ने मामला किया निष्पादित : बृषकेतू ने कोर्ट को बताया कि इन सब के बावजूद पहाड़ पर खनन किया जा रहा है. उनका कहना था कि नवादा के डीएम ने इस स्थल को रामायण कालीन स्थल मान रामायण सर्किट से जोड़ने तथा संरक्षित करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए पर्यटन विभाग के संयुक्त सचिव तथा खान एंव भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजा है. ऐसे स्थानों को संरक्षित करने के बजाए इसे समाप्त करने के लिए खनन कार्य किया जा रहा है. सभी पक्षों का दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था. आज कोर्ट ने ये आदेश पारित करने के बाद निष्पादित कर दिया.