पटना: राज्य में प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर लगाने के लिए लोगों को बाध्य किये जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चंद्र किशोर परासर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
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प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर मामले में सुनवाई: याचिकाकर्ता का कहना था कि स्मार्ट प्री पेड मीटर की वजह से उपभोक्ताओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस सिस्टम में बिलिंग भी अधिक आ जाता है. कुछ उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत किये जाने पर इसका निराकरण भी नहीं किया गया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह का यह भी कहना था कि बिजली कनेक्शन काटने से पहले उपभोक्ता के शिकायत को दूर किया जाना चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 8 सितम्बर,2023 को की जाएगी.
स्मार्ट प्रीपेड का विरोध क्यों?: दरअसल पूरे बिहार में 2024-2025 तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. देश में बिहार पहला राज्य है, जहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना की शुरुआत की गई है. बिहार के बाद अब कई राज्यों में इस योजना को लागू किया जा रहा है. वहीं बिहार के उपभोक्ताओं का कहना है कि इस मीटर के कारण बिल में बहुत गड़बड़ी हो रही है. ज्यादा बिल तो आ ही रहा है. कई बार गलत बिल भी थमा दिया जा रहा है. उपभोक्ताओं की शिकायत है कि रिचार्ज कराने के बाद पैसे कट जाते हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आए जहां बिना मैसेज या जानकारी के ही पैसे काट लिए गए.