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Patna High Court : 'पुलिस स्टेशनों की स्थिति में लगातार हो रहा सुधार'.. अगले साल 4 अप्रैल को सुनवाई

बिहार में पुलिस स्टेशनों की दयनीय स्थिति के मामले में पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. कोर्ट को बताया गया कि लगातार सुधार किया जा रहा है. मामले की अगली सुनवाई अगले साल 4 अप्रैल को की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 30, 2023, 4:20 PM IST

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ के समक्ष एडीजी, पुलिस ने पुलिस थानों के भवनों के निर्माण व प्रगति का रिपोर्ट प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि पुलिस थानों के भवनों के निर्माण व सुधार के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court : बिहार में मॉडल पुलिस थाने के निर्माण, सरकार को कमिटी गठित करने का निर्देश

4 अप्रैल 2024 को अगली सुनवाई : कोर्ट ने इस मामले पर एडीजी पुलिस को 31 मार्च 2024 तक इस सम्बन्ध में की गयी कार्रवाईओं का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2024 को होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस स्टेशन भवनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मॉडल पुलिस थाने के सम्बन्ध में जानकारी : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को मॉडल पुलिस थाने के निर्माण पर विचार करने के लिए राज्य के विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित करने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार की ओर से बिहार व अन्य राज्यों के मॉडल पुलिस थाने के सम्बन्ध में जानकारी दी गई. कोर्ट ने जानना चाहा कि पुलिस स्टेशनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में कितने दिनों में जानकारी दी जा सकती है. राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि पंद्रह दिनों में इस सम्बन्ध ब्यौरा प्रस्तुत कर दिया जाएगा.

कोर्ट ने मामले को काफी गंभीरता से लिया : कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 17 अक्टूबर 2023 को विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक की गयी. बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम की ओर से बैठक में इस सम्बन्ध में की गयी कार्रवाईयों का ब्योरा प्रस्तुत किया गया. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम में काफी पद के रिक्त होने को काफी गम्भीरता से लिया था. उन्होंने राज्य सरकार को इन रिक्त पदों को शीघ्र भरने को कहा, ताकि पुलिस थाना भवनों का निर्माण कार्य तेजी से हो सके.

एडीजी कमल किशोर सिंह हैं कॉर्डिनेटर : पिछली सुनवाई में पुलिस थाना भवनों के निर्माण के लिए उपलब्ध फंड के उपयोग और वितरण पर भी कोर्ट में चर्चा हुई. कोर्ट ने अगली सुनवाई में इस बारे में जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य सरकार ने एडीजी कमल किशोर सिंह का नाम कॉर्डिनेटर के रूप में दिया था. यही पुलिस अधिकारी कोर्ट और राज्य सरकार के बीच समन्वयक का कार्य कर रहे हैं.

471 पुलिस स्टेशन किराये के भवन में : पूर्व की सुनवाइयों में कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1263 थाना है, जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य में पुलिस स्टेशन भवनों का निर्माण और पुनर्निर्माण का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक दूसरे भवन में चल रहे पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करते रहेंगे.

जो थाने सरकारी भवन में उनकी भी हालत अच्छी नहीं : इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इनमें सुधार लाने का वादा किया था, लेकिन ठोस परिणाम नहीं मिल पाया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

थाने में कई सुविधाओं के अभाव : कोर्ट को बताया गया था कि पुलिस स्टेशन में बिजली, पेय जल, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे हैं, सरकारी भवनों में चल रहे हैं लेकिन उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है.उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है.

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ के समक्ष एडीजी, पुलिस ने पुलिस थानों के भवनों के निर्माण व प्रगति का रिपोर्ट प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि पुलिस थानों के भवनों के निर्माण व सुधार के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है.

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4 अप्रैल 2024 को अगली सुनवाई : कोर्ट ने इस मामले पर एडीजी पुलिस को 31 मार्च 2024 तक इस सम्बन्ध में की गयी कार्रवाईओं का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2024 को होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस स्टेशन भवनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मॉडल पुलिस थाने के सम्बन्ध में जानकारी : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को मॉडल पुलिस थाने के निर्माण पर विचार करने के लिए राज्य के विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित करने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार की ओर से बिहार व अन्य राज्यों के मॉडल पुलिस थाने के सम्बन्ध में जानकारी दी गई. कोर्ट ने जानना चाहा कि पुलिस स्टेशनों के निर्माण व सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में कितने दिनों में जानकारी दी जा सकती है. राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि पंद्रह दिनों में इस सम्बन्ध ब्यौरा प्रस्तुत कर दिया जाएगा.

कोर्ट ने मामले को काफी गंभीरता से लिया : कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 17 अक्टूबर 2023 को विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक की गयी. बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम की ओर से बैठक में इस सम्बन्ध में की गयी कार्रवाईयों का ब्योरा प्रस्तुत किया गया. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम में काफी पद के रिक्त होने को काफी गम्भीरता से लिया था. उन्होंने राज्य सरकार को इन रिक्त पदों को शीघ्र भरने को कहा, ताकि पुलिस थाना भवनों का निर्माण कार्य तेजी से हो सके.

एडीजी कमल किशोर सिंह हैं कॉर्डिनेटर : पिछली सुनवाई में पुलिस थाना भवनों के निर्माण के लिए उपलब्ध फंड के उपयोग और वितरण पर भी कोर्ट में चर्चा हुई. कोर्ट ने अगली सुनवाई में इस बारे में जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य सरकार ने एडीजी कमल किशोर सिंह का नाम कॉर्डिनेटर के रूप में दिया था. यही पुलिस अधिकारी कोर्ट और राज्य सरकार के बीच समन्वयक का कार्य कर रहे हैं.

471 पुलिस स्टेशन किराये के भवन में : पूर्व की सुनवाइयों में कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1263 थाना है, जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य में पुलिस स्टेशन भवनों का निर्माण और पुनर्निर्माण का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक दूसरे भवन में चल रहे पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करते रहेंगे.

जो थाने सरकारी भवन में उनकी भी हालत अच्छी नहीं : इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इनमें सुधार लाने का वादा किया था, लेकिन ठोस परिणाम नहीं मिल पाया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

थाने में कई सुविधाओं के अभाव : कोर्ट को बताया गया था कि पुलिस स्टेशन में बिजली, पेय जल, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे हैं, सरकारी भवनों में चल रहे हैं लेकिन उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है.उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है.

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