पटना: कोर्ट ने रोहतास के एएन लॉ कॉलेज को चालू करने के लिए अनुमति मांगे जाने पर अनुमति देने से इंकार कर दिया. पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है,उन कॉलेजों में ही लॉ की पढ़ाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों की स्थिति काफी खराब है. इन कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
लॉ कॉलेजों की दयनीय हालत पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: उन्होंने बताया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं. इस कारण उन कॉलेजों में स्तरीय लॉ की पढ़ाई नहीं होती है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन कॉलेजों में से अधिकतर के पास अपने भवन नहीं है. छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. लाइब्रेरी,शुद्ध पेय जल,साफ शौचालयों आदि की व्यवस्था नहीं है.
'योग्य शिक्षक नहीं': अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कॉलेजों में पढ़ाने के पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक नहीं है. इन शिक्षकों का तय मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं है. इन शिक्षकों को पीएचडी डिग्री प्राप्त होना चाहिए, लेकिन इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों में से अधिकतर के पास ये योग्यता नहीं है.
बीसीआई के समक्ष निरीक्षण के लिए आवेदन: कोर्ट ने इन कॉलेजों को बीसीआई के समक्ष निरीक्षण के लिए आवेदन करने को कहा. यदि बीसीआई कॉलेजों की निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तभी उसे कॉलेज चालू करने व छात्रों के एडमिशन की अनुमति प्रदान किया जाएगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गया के अनुग्रह नारायण कॉलेज और बक्सर के जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के सम्बन्ध में बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से जवाब मांगा था. शुक्रवार को बीसीआई ने इस सम्बन्ध में कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया.
स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है.बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे हैं. उन्होंने इन कॉलेजों की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने का कोर्ट से अनुरोध किया.कोर्ट ने कहा कि अगर निर्धारित अवधि में इन कॉलेजों की स्थिति में सुधार नहीं किया जाता, तो जांच कराई जा सकती है.
17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी: इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण 2021- 22 की सत्र के लिए राज्य के 17 लॉ कॉलेजों को दाखिले के लिए अनुमति दी थी.हाई कोर्ट ने पिछले 23 मार्च 2021 के उस आदेश , जिसके अंतर्गत बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी गयी थी. इस आदेश में आंशिक संशोधन किया गया. इसके तहत इन 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी.
नवंबर में मामले की सुनवाई: हाई कोर्ट ने साफ किया कि नया दाखिला सिर्फ 2021-22 के लिए ही होगा. अगले साल के सत्र के लिए बार काउंसिल से फिर मंजूरी लेनी होगी. पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन कॉलेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था.कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन लॉ कॉलेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई थी, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जाए. इस मामले पर अगली सुनवाई नवंबर,2023 में होगी.