पटना: फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामले में 28 अगस्त को पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई करेगी. पहले की सुनवाई में राज्य सरकार और निगरानी विभाग ने हलफनामा दायर किया था. जिसको कोर्ट को बताया था कि 77 हजार ऐसे शिक्षक हैं, जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है.
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फर्जी डिग्री के आधार पर बने हैं शिक्षक: सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें, जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपनी डिग्री और अन्य कागजात प्रस्तुत कर सके. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि निर्धारित समय के भीतर कागजात और रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. साथ ही वे वेतन भी उठा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने क्या कहा था?: इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें. अगर ऐसा करेंगे तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी. 26 अगस्त 2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं.
28 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई: कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था. उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया था. 31 जनवरी 2020 की सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है, लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था. अब मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त 2023 को होगी.