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Patna High Court: लोहार को कमार जाति के साथ कोड जारी करने पर राज्य सरकार से जवाब-तलब

पटना हाईकोर्ट ने लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में सुनवाई की है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जबाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 20 जून को की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

राज्य सरकार से जवाब तलब
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Published : Apr 25, 2023, 8:52 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने लोहार को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में सुनवाई की है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जबाब तलब किया (response from state government) है. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राधेश्याम ठाकुर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 20 जून तक जवाब देने का मोहलत दी है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है जबकि राज्य में कमार जाति नहीं के बराबर है.

ये भी पढ़ें: HIV मरीजों के दवा के मामले पर HC में सुनवाई, राज्य सरकार और BSACS को तीन हफ्ता में जवाब देने को कहा

लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया: याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में लोहार जाति होने की बात मानी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के लिए पहली मार्च को अधिसूचना जारी की थी. जिसके तहत जाति सर्वेक्षण का दूसरा चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू कर 15 मई तक पूरा करना है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से जारी जाति कोड में लोहार जाति के लिए कोई कोड निर्धारित नहीं किया गया है. लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है.


'लोहार सबसे कमजोर जातियों में से एक है': याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि 1941 की जनगणना में लोहार को अलग जाति के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन इस जाति जनगणना में इस जाति को अपना जाति कोड नहीं दिया गया, जबकि राज्य में लोहार जाति सबसे कमजोर जातियों में से एक है. इसी कारण राज्य सरकार ने 2016 में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने की सिफारिश केंद्र से की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 342 का हवाला देते हुए लोहार को अनुसूचित जनजाति में रखने के सरकारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया था.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने लोहार को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में सुनवाई की है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जबाब तलब किया (response from state government) है. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राधेश्याम ठाकुर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 20 जून तक जवाब देने का मोहलत दी है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है जबकि राज्य में कमार जाति नहीं के बराबर है.

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लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया: याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में लोहार जाति होने की बात मानी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के लिए पहली मार्च को अधिसूचना जारी की थी. जिसके तहत जाति सर्वेक्षण का दूसरा चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू कर 15 मई तक पूरा करना है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से जारी जाति कोड में लोहार जाति के लिए कोई कोड निर्धारित नहीं किया गया है. लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है.


'लोहार सबसे कमजोर जातियों में से एक है': याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि 1941 की जनगणना में लोहार को अलग जाति के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन इस जाति जनगणना में इस जाति को अपना जाति कोड नहीं दिया गया, जबकि राज्य में लोहार जाति सबसे कमजोर जातियों में से एक है. इसी कारण राज्य सरकार ने 2016 में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने की सिफारिश केंद्र से की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 342 का हवाला देते हुए लोहार को अनुसूचित जनजाति में रखने के सरकारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया था.

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