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बिहार को अनीमिया मुक्त बनाने के लिए अभियान की हुई शुरुआत, गांव में लगाए जाएंगे कैंप

इस अभियान के तहत सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आने वाले विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के कार्यालय के सहयोग से गांव गांव कैंप लगाकर महिलाओं और बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने की कार्यक्रम की शुरुआत
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Published : Jul 31, 2019, 3:25 PM IST

पटना : बिहार में महिलाओं और बच्चों में खतरनाक हद तक बढ़ चुकी अनीमिया की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मिशन मोड पर एक कार्यक्रम की शुरुआत की है. अनीमिया मुक्त भारत के नाम से इस अभियान को शुभारंभ किया गया है. ऐसे में राजधानी पटना के गर्दनीबाग स्थित कन्या मध्य विद्यालय से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.

अनीमिया मुक्त बिहार बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने शुरु किया अभियान

गांव में लगाए जाऐंगे कैंप
इसके तहत गांव-गांव जाकर 5 वर्ष तक के बच्चों से लेकर 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं की रक्त जांच की जाएगी. अनीमिया पाए जाने पर उन्हें जरूरी उपचार दिया जाएगा. इस अभियान के तहत सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आने वाले विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के कार्यालय के सहयोग से गांव गांव कैंप लगाकर महिलाओं और बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी. लोगों को कैंप तक लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और फील्ड में काम करने वाले अन्य लोगों की रहेगी. बच्चों को सिरप के रूप में अनीमिया का खुराक दिया जाएगा. वहीं 5 वर्ष से ऊपर के लोगों को आयरन की गोली समेत अन्य जरूरी दवाएं दी जाएंगी. साथ ही उन्हें खाने में क्या क्या घरेलू चीजें लेनी है, यह भी बताया जाएगा.

अनीमिया से होने वाली परेशानी
अनीमिया से रक्त में ऑक्सीजन की कमी आपूर्ति से अंदरूनी अंग जैसे किडनी लीवर आदि को क्षति पहुंच सकती है. गर्भवती महिलाओं में एनीमिया समय पूर्व प्रसव और कई बार बच्चे की मौत का भी कारण बन जाता है. अनीमिया से बच्चे प्रायः अल्प पोषण, कुपोषण और ठीगनापन का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है. बिहार में 63.5 प्रतिशत अनीमिया से ग्रसित बच्चे हैं. वहीं 60.3 प्रतिशत अनीमिया से ग्रसित महिलाएं हैं. बच्चों के रक्त में प्रति डेसीलीटर 11 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन और महिलाओं के रक्त में प्रति डिसिलिटर 12 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन होने की स्थिति को एनीमिया कहा जाता है.

mangal pandey
मंगल पांडे सहित कई मंत्री रहे मौजुद

अभियान का लक्ष्य
इस अभियान के तहत 6 से 59 माह के बच्चों को आयरन सिरप तथा 5 साल से 9 साल तक के बच्चों को आयरन की पिंक गोली दी जाएगी. जिसमें 3.2 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 15 से 49 वर्ष की महिलाओं के लिए एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाना लक्ष्य रखा गया है.


कई अधिकारी रहे मौजूद
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जन्म के पहले साल के अलावा किशोरावस्था वह समय होता है, जब सबसे ज्यादा विकास होता है. इस आयु वर्ग में पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती हैं. एनीमिया किशोरावस्था में विकास को सीमित करता है, संक्रमण एवं विद्यालय छोड़ने की दर को बढ़ाता है. जीवन में उत्पादकता और कमाई को कम करता है. लड़कियों की कम उम्र में शादी होने और मां बनने पर गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है. और नवजात शिशु का वजन कम हो जाता है. बहरहाल आज के कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक मनोज कुमार,सिविल सर्जन आरके चौधरी, खालिद अरशद कार्यक्रम पदाधिकारी, विजय प्रकाश राय यूनिसेफ के बिहार प्रमुख सुदूर रहमान समेत स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे.

पटना : बिहार में महिलाओं और बच्चों में खतरनाक हद तक बढ़ चुकी अनीमिया की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मिशन मोड पर एक कार्यक्रम की शुरुआत की है. अनीमिया मुक्त भारत के नाम से इस अभियान को शुभारंभ किया गया है. ऐसे में राजधानी पटना के गर्दनीबाग स्थित कन्या मध्य विद्यालय से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.

अनीमिया मुक्त बिहार बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने शुरु किया अभियान

गांव में लगाए जाऐंगे कैंप
इसके तहत गांव-गांव जाकर 5 वर्ष तक के बच्चों से लेकर 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं की रक्त जांच की जाएगी. अनीमिया पाए जाने पर उन्हें जरूरी उपचार दिया जाएगा. इस अभियान के तहत सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आने वाले विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के कार्यालय के सहयोग से गांव गांव कैंप लगाकर महिलाओं और बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी. लोगों को कैंप तक लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और फील्ड में काम करने वाले अन्य लोगों की रहेगी. बच्चों को सिरप के रूप में अनीमिया का खुराक दिया जाएगा. वहीं 5 वर्ष से ऊपर के लोगों को आयरन की गोली समेत अन्य जरूरी दवाएं दी जाएंगी. साथ ही उन्हें खाने में क्या क्या घरेलू चीजें लेनी है, यह भी बताया जाएगा.

अनीमिया से होने वाली परेशानी
अनीमिया से रक्त में ऑक्सीजन की कमी आपूर्ति से अंदरूनी अंग जैसे किडनी लीवर आदि को क्षति पहुंच सकती है. गर्भवती महिलाओं में एनीमिया समय पूर्व प्रसव और कई बार बच्चे की मौत का भी कारण बन जाता है. अनीमिया से बच्चे प्रायः अल्प पोषण, कुपोषण और ठीगनापन का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है. बिहार में 63.5 प्रतिशत अनीमिया से ग्रसित बच्चे हैं. वहीं 60.3 प्रतिशत अनीमिया से ग्रसित महिलाएं हैं. बच्चों के रक्त में प्रति डेसीलीटर 11 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन और महिलाओं के रक्त में प्रति डिसिलिटर 12 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन होने की स्थिति को एनीमिया कहा जाता है.

mangal pandey
मंगल पांडे सहित कई मंत्री रहे मौजुद

अभियान का लक्ष्य
इस अभियान के तहत 6 से 59 माह के बच्चों को आयरन सिरप तथा 5 साल से 9 साल तक के बच्चों को आयरन की पिंक गोली दी जाएगी. जिसमें 3.2 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 15 से 49 वर्ष की महिलाओं के लिए एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाना लक्ष्य रखा गया है.


कई अधिकारी रहे मौजूद
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जन्म के पहले साल के अलावा किशोरावस्था वह समय होता है, जब सबसे ज्यादा विकास होता है. इस आयु वर्ग में पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती हैं. एनीमिया किशोरावस्था में विकास को सीमित करता है, संक्रमण एवं विद्यालय छोड़ने की दर को बढ़ाता है. जीवन में उत्पादकता और कमाई को कम करता है. लड़कियों की कम उम्र में शादी होने और मां बनने पर गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है. और नवजात शिशु का वजन कम हो जाता है. बहरहाल आज के कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक मनोज कुमार,सिविल सर्जन आरके चौधरी, खालिद अरशद कार्यक्रम पदाधिकारी, विजय प्रकाश राय यूनिसेफ के बिहार प्रमुख सुदूर रहमान समेत स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे.

Intro:एनीमिया मुक्त बिहार कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का किया शुभारंभ


Body:बिहार में महिलाओं और बच्चों में खतरनाक हद तक बढ़ चुकी अनीमिया की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय मिशन मोड पर एक कार्यक्रम की शुरुआत किया है, जहां अनीमिया मुक्त भारत के नाम से इस अभियान को शुभारंभ किया गया है,ऐसै मे आज राजधानी पटना के गर्दनीबाग कन्या मध्य विद्यालय से इस कार्यक्रम की शुरुआत कि गयी है इसके तहत गांव-गांव जाकर 5 वर्ष तक के बच्चों को 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं की रक्त जांच की जाएगी और अनीमिया पाए जाने पर उन्हें जरूरी उपचार दिया जाएगा, इस अभियान के तहत सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आने वाले विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के कार्यालय के सहयोग से गांव गांव कैंप लगाकर महिलाओं और बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी लोगों को कैंप तक लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और फील्ड में काम करने वाले अन्य लोगों की रहेगी बच्चों को सिरप के रूप में अनीमिया का खुराक दिया जाएगा, वहीं 5 वर्ष से ऊपर के लोगों को आयरन की गोली समेत अन्य जरूरी दवाएं दी जाएगी साथ ही उन्हें खाने में क्या क्या घरेलू चीजें लेनी है यह भी बताया जाएगा। अनीमिया से होने वाली परेशानी:-- रक्त में ऑक्सीजन की कमी आपूर्ति से अंदरूनी अंग जैसे किडनी लीवर आदि को क्षति पहुंच सकती है रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी पूरी करने के लिए हृदय से ज्यादा मेहनत करना है इससे उसे नुकसान पहुंचता है गर्भवती महिलाओं में एनीमिया समय पूर्व प्रसव और कई बार बच्चे की मौत का भी कारण बन जाता है अनीमिया से बच्चे प्रायः अल्प पोषण, कुपोषण और ठीगनापन का शिकार हो जाते हैं जिससे उनका पूरा जीवन प्रभावित हो जाते हैं बिहार में 63.5% अनीमिया से ग्रसित बच्चे हैं वहीं 60.3% अनीमिया से ग्रसित महिलाएं हैं बच्चों के रक्त में प्रती डेसीलीटर 11 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन और महिलाओं के रक्त में प्रति डिसिलिटर 12 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन होने की स्थिति को एनीमिया कहा जाता है।


Conclusion: 6 से 59 माह के बच्चों को आयरन सिरप तथा 5 साल से 9 साल तक के बच्चों को आयरन की पिंक गोली दी जाएगी जिसमें 3.2 करोड़ लाभार्थियों को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है 15 से 49 वर्ष की महिलाओं के एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाना लक्ष्य रखा गया है स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जन्म के पहले साल के अलावा किशोरावस्था वह समय होता है, जब सबसे ज्यादा विकास होता है इस आयु वर्ग में पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती हैं, एनीमिया किशोरावस्था में विकास को सीमित करता है, संक्रमण एवं विद्यालय छोड़ने की दर को बढ़ाता है, एवं जीवन में उत्पादकता और कमाई को कम करता है, लड़कियों की कम उम्र में शादी होने एवं मां बनने पर गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है एवं नवजात शिशु का वजन कम हो जाता है। बहरहाल आज के कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक मनोज कुमार,सिविल सर्जन आरके चौधरी, खालिद अरशद कार्यक्रम पदाधिकारी, विजय प्रकाश राय यूनिसेफ के बिहार प्रमुख सुदूर रहमान समिति स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे। बाईट-मंगल पांडेय स्वास्थ्य मंत्री(सभा को संबोधित करते हूए) बाईट-मनोज कुमार, निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार
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