पटना: बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है. शराबबंदी को लागू करने के लिए सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं. लेकिन शराबबंदी योजना को सरकार में बैठे अधिकारी ही ठेंगा दिखा रहे हैं. जहरीली शराब मामले में जिस व्यक्ति को कोर्ट ने सजा सुना दी है, उसे स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस दिया हुआ है.
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शराबबंदी कानून का मखौल
बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून मजाक बनकर रह गया है. जिनके कंधों पर शराबबंदी कानून को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी है, वही शराबबंदी कानून की हवा निकाल रहे हैं. जहरीली शराब मामले में जिन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया है, उसे भी बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कारोबार के लिए लाइसेंस दिया जा रहा है.
जहरीली शराब से 21 की मौत
साल 2012 में जहरीली शराब पीने से बिहार के आरा जिले में 21 लोगों की मौत हो गई थी और पूरे बिहार में हाय-तौबा मची थी. निचली अदालत ने 14 लोगों को सजा सुनाई थी. जिसमें एक नाम भास्कर सिन्हा का है. 24 जुलाई 2018 को एडीशनल सेशन जज फर्स्ट के कोर्ट में नवादा कांड संख्या 353 /2012 की सुनवाई पूरी हुई थी और इस मामले में 15 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था. उसमें एक भास्कर सिन्हा का नाम है.
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भास्कर सिन्हा स्प्रिट का कारोबारी है और सजाफ्ता होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें कारोबार के लिए लाइसेंस दिया हुआ है. रिकॉर्ड के मुताबिक बिहार नेशनल फार्मा के मालिक भास्कर सिन्हा ही हैं.
"जहरीली शराब मामले में जो कोई दोषी हैं, उन्हें किसी तरह की सरकारी सुविधा नहीं दी जा सकती है. अगर कोई लाइसेंस या अन्य दूसरी सुविधा उन्हे है, तो उनसे शीघ्र लिया जाएगा"- सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री
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शराबबंदी को लेकर सवाल
पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने शराबबंदी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि जबसे नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की है, तब से बिहार में माफिया राज हो गया है. शराब का अवैध कारोबार चल रहा है और पुलिस के लिए कमाई का जरिया बन गया है सरकार के अधिकारी जहरीली शराब मामले में सजा पा चुके लोगों को लाइसेंस देने में जुटे हैं.