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बिहार की है यह अनूठी परंपरा, मौत पर मातम के बदले जश्न मनाते हैं लोग

राजधानी के सड़कों पर एक बुजुर्ग की शव यात्रा में उसके परिजन डीजे बजाते दिखे. यह हैरत अंगेज नजारा देख हर कोई सोच में पड़ जा रहा था.

पटना
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Published : Jul 27, 2019, 10:57 PM IST

पटना: बदलते वक्त के साथ समाज की परंपरा भी बदल रही है. किसी अपने की मौत के बाद आमतौर पर लोग मातम मनाते हैं. लेकिन राजधानी की सड़कों पर एक अलग ही दृष्य देखने को मिला. एक शव यात्रा में उसके परिजन डीजे के धुन पर थिरकते नजर आएं.

मामला राजधानी का है. यहां एक बुजुर्ग की शव यात्रा में उसके परिजन डीजे बजाते दिखे. यह हैरतअंगेज नजारा देख कर हर कोई सोच में पड़ जा रहा था. लोग डीजे शादी और खुशी के अन्य समारोह में बजाते हैं. लेकिन इस बदलते परिवेश में लोग मातम में भी डीजे बजाना शुरू कर दिया है.

मृतक के परिजन का बयान

95 वर्ष के बुजुर्ग की मौत पर खुशी
मृतक के परिजन ने बताया कि बुजुर्ग की मृत्यु लगभग 95 वर्ष में हुई है. अपने परिवार के पोता, परपोता सहित सभी के छोटे बच्चे को देखने के बाद उनकी मौत हुई है. उनकी मृत्यु सही समय पर हुआ है. इसलिए ऐसा कर खुशी जाताई जा रही है.

पटना: बदलते वक्त के साथ समाज की परंपरा भी बदल रही है. किसी अपने की मौत के बाद आमतौर पर लोग मातम मनाते हैं. लेकिन राजधानी की सड़कों पर एक अलग ही दृष्य देखने को मिला. एक शव यात्रा में उसके परिजन डीजे के धुन पर थिरकते नजर आएं.

मामला राजधानी का है. यहां एक बुजुर्ग की शव यात्रा में उसके परिजन डीजे बजाते दिखे. यह हैरतअंगेज नजारा देख कर हर कोई सोच में पड़ जा रहा था. लोग डीजे शादी और खुशी के अन्य समारोह में बजाते हैं. लेकिन इस बदलते परिवेश में लोग मातम में भी डीजे बजाना शुरू कर दिया है.

मृतक के परिजन का बयान

95 वर्ष के बुजुर्ग की मौत पर खुशी
मृतक के परिजन ने बताया कि बुजुर्ग की मृत्यु लगभग 95 वर्ष में हुई है. अपने परिवार के पोता, परपोता सहित सभी के छोटे बच्चे को देखने के बाद उनकी मौत हुई है. उनकी मृत्यु सही समय पर हुआ है. इसलिए ऐसा कर खुशी जाताई जा रही है.

Intro:हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक मौत के बाद मोक्ष की कामना की जाती है मृतक को मोक्ष मिले इसके लिए कई तरह के विधि-विधान हैं बदली परिस्थितियों में लोगों ने विधि-विधान को ताक पर रख दिया है और नई परंपरा की शुरुआत होती दिख रही है मौत पर लोग मातम मनाने के बजाय जश्न भी मनाने लगे हैं


Body:आमतौर पर आप शादी विवाह के मौके पर डीजे की धुन पर थिरकते लोगों को देख सकते हैं लेकिन अब लोगों ने नई परंपराओं की शुरुआत की है यार अब मौत पर भी जश्न मनाया जाने लगा है हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक जन्म लेने पर जहां खुशियां मनाई जाती है वहीं मौत पर मातम मनाने की परंपरा है आधुनिकता के इस दौर में लोग मौत पर मातम मनाने के बजा है डीजे के धुन पर थिरकते भी देखे जा सकते हैं


Conclusion:गरुड़ पुराण में मरने के बाद कैसे दाह संस्कार किया जाए इसकी पूरी विधि बताई गई है प्रीति और नियम से किए गए दाह संस्कार से ही आत्मा को शांति मिलती है और अगले जन्म अर्थात नए शरीर में उसके प्रवेश के द्वार खुलते हैं या वह स्वर्ग में चला जाता है गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अंतिम संस्कार में शामिल होना पुण्य कर्म है जिस घर में किसी का देहांत हुआ उस घर से 100 गज दूर तक के घरों के लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए अंतिम संस्कार में शामिल होकर प्रत्यक्ष सक्षम व्यक्ति को कंधा देना भी जरूरी बताया गया है ।
हिंदू धर्म के अनुसार सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाना चाहिए यदि किसी की मौत सूर्यास्त के बाद हुई है तो उसे अगले दिन सुबह के समय ही दाह संस्कार किए जाने का नियम है ऐसी मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक की आत्मा को परलोक में भी भारी कष्ट सहना पड़ता है और अगले जन्म में उसे किसी अंग में दोष भी हो सकता है ।
दाह संस्कार के बारे में कहा गया है कि पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से संपन्न करना चाहिए मृतकों के साथ पेश किए जाने वाले तरीकों से हमारे सब यह सभ्य होने का पता चलता है संपूर्ण सम्मान और आदर के साथ ही उसका दाह संस्कार किया जाना चाहिए इस दौरान लोगों को अनुशासन में रहना चाहिए और उसमें शान से जाने से पूर्व मृतक के प्रति संवेदना के 2 शब्द भी कहने चाहिए ।
आधुनिकता के दौर में लोगों ने परंपराओं और विधि-विधान को तिलांजलि देना शुरू कर दिया है और आप मौत पर मातम के वजह है जस्ट मनाया जाने लगा है दाह संस्कार के लिए सब को ले जाने के क्रम में डीजे के धुन भी बजाई जाने लगे हैं शव यात्रा में शामिल लोगों का नृत्य करना भी परंपरा को मुंह चिढ़ा रहा है
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