पटना: राजधानी पटना के प्रसिद्ध महावीर मन्दिर में (Famous Mahavir Temple of Patna) कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन रविवार को हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. मुख्य पूजा मन्दिर प्रांगण में स्थित हनुमान ध्वज स्थल पर होगी, सुबह 10:30 बजे महावीर मन्दिर के मुख्य पुरोहित पंडित जटेश झा के निर्देशन में ध्वज पूजा होगी. मुख्य ध्वज और शनि भगवान के समीप स्थित ध्वज बदले जाएंगे. दिन के 12 बजे हनुमानजी की जन्म आरती होगी. इस अवसर पर हनुमानजी को सवामनी नैवेद्यम का विशेष भोग लगाया जाएगा. आरती के बाद मन्दिर परिसर में उपस्थित भक्तों के बीच सवामनी नैवेद्यम और हलवा प्रसाद का वितरण होगा. हनुमान जयंती के पूर्व महावीर मन्दिर में विगत वर्षों की भांति गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस का नवाह पाठ भी किया जा रहा है.
पढ़ेःपटना महावीर मंदिर में अब साल में 2 बार मनायी जाएगी हनुमान जयंती: आचार्य कुणाल किशोर
11 सदस्यीय मंडली कर रही पाठ: विगत शनिवार 15 अक्टूबर को कलश स्थापन के साथ 9 दिवसीय रामचरितमानस नवाह पाठ की शुरुआत हुई थी. महावीर मन्दिर के ऊपरी तल्ले पर मधुबनी जिले से आई 11 सदस्यीय मंडली विगत शनिवार से रामचरितमानस का नवाह पाठ कर रही है. हनुमान जयंती के दिन आज नवाह पाठ का समापन होगा. रामानन्द परंपरा अनुसार उत्तर भारत में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है हनुमान जयन्ती. इसे पूरे देश में अत्यंत श्रद्धा और धार्मिक भक्ति के साथ मनाया जाता है. परम्परानुसार यह पर्व दो अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है. देश के कई हिस्सों में यह चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जबकि अयोध्या में और रामानंद संप्रदाय के लगभग सभी केंद्रों में यह कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष के 14वें दिन मनाया जाता है.
क्या लिखते हैं रामानंदाचार्य: वास्तव में हनुमान-जयन्ती मनाने के संबंध में केवल एक प्रामाणिक ग्रन्थ है रामानंदाचार्य रचित वैष्णव-मताब्ज-भास्कर. महान क्रांतिकारी संत, जिन्होंने “जात पांत पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि को होई” का नारा दिया. रामानन्दाचार्य ने संत कबीर, संत रैदास और समाज के कमजोर वर्गों से अपने शिष्यों के रूप में अपनाया. उन्होंने हिंदू के कई पहलुओं पर चर्चा की, वैष्णव-मताब्ज-भास्कर अंतिम सहस्राब्दी का सबसे क्रांतिकारी संस्कृत ग्रन्थ माना जाता है. स्वामी रामानंदजी ने अपनी पुस्तक में राम-नवमी, जन्माष्टमी और हनुमान जयंती जैसे कई व्रतों (व्रत) की चर्चा की है. हनुमत-जन्म-व्रतोत्सव पर चर्चा करते हुए उन्होंने लिखा है.
स्वात्यां कुजे शैवतिथौ तु कार्तिके
कृष्णेऽञ्जनागर्भत एव मेषके।
श्रीमान् कपीट् प्रादुरभूत् परन्तपो
व्रतादिना तत्र तदुत्सवं चरेत्।।
इस श्लोक का अर्थ है: कपियों में श्रेष्ठ हनुमानजी का जन्म अंजना के गर्भ से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के 14 वें दिन हुआ था. उनके जन्म दिन के अवसर पर व्रत, उत्सव आदि करना चाहिए. जगद्गुरु रामानन्दाचार्य के द्वारा समर्थित होने के कारण सम्पूर्ण उत्तर भारत में प्राचीन काल से कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जयंती मनाने की परम्परा रही है.
पढ़ेंःपटना: महावीर मन्दिर न्यास को अयोध्या में मिला जनोपयोगी अस्पताल खोलने का प्रस्ताव