पटना: देशभर में जनसंख्या के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक बिहार कोरोना संक्रमण की जांच के मामले में सबसे पीछे है. करीब 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अब तक महज 6200 लोगों की जांच हुई है. जिनमें 61 लोग कोरोना पोजिटिव पाए गए हैं. जांच में तेजी लाने के लिए जब पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष ने रैपिड किट की मांग की तो सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया.
सरकार ने किया सस्पेंड
पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने ईटीवी भारत संवाददाता के साथ खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि जब मैंने सरकार से रैपिड किट की मांग की तो मुझे सरकार ने सस्पेंड कर दिया. आखिर मेरी गलती क्या है. साथ ही कहा कि अब तक जिस तकनीक से कोरोना की जांच चल रही है. वह काफी लंबी प्रक्रिया है. जिसमें जांच रिपोर्ट आने में 6 से 8 घंटे लगते हैं. जबकि रैपिड किट से यह जांच महज कुछ मिनटों में हो जाती है.
डॉ. सत्येंद्र ने की रैपिड किट की मांग
डॉ. सत्येंद्र ने कहा कि पीएमसीएच में जांच शुरू होने से पहले सीएम नीतीश कुमार के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भी रैपिड किट की डिमांड की थी. उन्होंने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 27 मार्च को ही रैपिड किट को सर्टिफाइ किया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने 5 लाख रैपिड किट के आर्डर दिए थे. वहीं, कई राज्यों ने भी बड़ी संख्या में रैपिड किट मंगवाए हैं. इसलिए बिहार को भी रैपिड किट से जांच करनी चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच तुरंत हो सके.