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नदियों को जोड़कर सैलाब के दंश से उबरेगा बिहार, समझें.. क्या है सरकार का प्लान?

बिहार अब अपने स्तर से प्रदेश में बाढ़ की समस्या से निजात पाने में जुट गया है. आपस में छोटी-छोटी नदियों को जोड़कर सैलाब से निजात पाने की रणनीति पर काम चल रहा है. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने ईटीवी भारत से इस बारे में विशेष बात की है. पढ़ें पूरी खबर...

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जल संसाधन मंत्री संजय झा
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Published : Sep 10, 2021, 5:41 PM IST

पटनाः बिहार में बाढ़ से निजात (Flood In Bihar) दिलाने के लिए सरकार अब छोटी-छोटी नदियों को आपस में जोड़ने (River Linking) को लेकर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए विशेषज्ञों (Experts) की मदद ली जा रही है. इनकी मदद से फीजिबिलिटी रिपोर्ट (Feasibility Report) तैयार की जाएगी. रिपोर्ट आने के बाद उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की नदियों को सबसे पहले आपस में जोड़ा जाएगा.

इसे भी पढ़ें- कोसी-मेची नदी जोड़ योजना पर सियासत, संजय झा बोले- जल शक्ति मंत्रालय को लिखेंगे पत्र

ईटीवी भारत को जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि इस योजना को नेशनल प्रोजेक्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार की छोटी नदियों को आपस में जोड़ने के निर्देश पर कार्य प्रगति पर है.

देखें वीडियो

"इस परियोजना को लेकर विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है. यह टीम फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर रही है. रिपोर्ट अगह ठीक रही तो उसपर विभाग जल्द काम शुरू कर देगा. दक्षिण बिहार में सकरा नाला पर काम किया जाएगा. उत्तर बिहार में चार-पांच लोकेशन पर काम चल रहा है. ग्लोबली भी हमलोग विशेषज्ञों से वेबिनार के माध्यम से संपर्क किया है, जिसमें उन्होंने अपनी राय बताई है. मुख्यमंत्री ने भी इसपर तेजी से काम करने का निर्देश दिया है."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

इसे भी पढ़ें- कोसी का कहर: सरकार की ठोस नीति के अभाव में हर साल बसना और उजड़ना बन गई है लोगों की नियति

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि शुरूआती दौर का यह प्रोजेक्ट अगर सफल रहा तो उसके बाद अन्य नदियों को जोड़ने पर काम को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कोसी-मेची नदी जोड़ योजना पर कहा कि यह मामला भी केन्द्र के पास है. इस मामले में सबकुछ एप्रूव हो गया है. इस योजना पर पांच हजार करोड़ की राशि खर्च होगी. इस योजना को हमलोग नेशनल प्रोजेक्ट में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बिहार में बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल में भी डैम बनाने की चर्चा साल 2004 से ही हो रही है, लेकिन अब तक डीपीआर भी नहीं तैयार हुआ है. इस स्थिति में बिहार सरकार अपने स्तर पर छोटी नदियों को आपस में जोड़कर बाढ़ से निजात पाने की कोशिश में लगी हुई है. हालांकि, अभी इस परियोजना के धरातल पर उतरने में काफी समय लगने की उम्मीद है.

पटनाः बिहार में बाढ़ से निजात (Flood In Bihar) दिलाने के लिए सरकार अब छोटी-छोटी नदियों को आपस में जोड़ने (River Linking) को लेकर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए विशेषज्ञों (Experts) की मदद ली जा रही है. इनकी मदद से फीजिबिलिटी रिपोर्ट (Feasibility Report) तैयार की जाएगी. रिपोर्ट आने के बाद उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की नदियों को सबसे पहले आपस में जोड़ा जाएगा.

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ईटीवी भारत को जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि इस योजना को नेशनल प्रोजेक्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार की छोटी नदियों को आपस में जोड़ने के निर्देश पर कार्य प्रगति पर है.

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"इस परियोजना को लेकर विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है. यह टीम फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर रही है. रिपोर्ट अगह ठीक रही तो उसपर विभाग जल्द काम शुरू कर देगा. दक्षिण बिहार में सकरा नाला पर काम किया जाएगा. उत्तर बिहार में चार-पांच लोकेशन पर काम चल रहा है. ग्लोबली भी हमलोग विशेषज्ञों से वेबिनार के माध्यम से संपर्क किया है, जिसमें उन्होंने अपनी राय बताई है. मुख्यमंत्री ने भी इसपर तेजी से काम करने का निर्देश दिया है."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

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जल संसाधन मंत्री ने कहा कि शुरूआती दौर का यह प्रोजेक्ट अगर सफल रहा तो उसके बाद अन्य नदियों को जोड़ने पर काम को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कोसी-मेची नदी जोड़ योजना पर कहा कि यह मामला भी केन्द्र के पास है. इस मामले में सबकुछ एप्रूव हो गया है. इस योजना पर पांच हजार करोड़ की राशि खर्च होगी. इस योजना को हमलोग नेशनल प्रोजेक्ट में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. बिहार में बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल में भी डैम बनाने की चर्चा साल 2004 से ही हो रही है, लेकिन अब तक डीपीआर भी नहीं तैयार हुआ है. इस स्थिति में बिहार सरकार अपने स्तर पर छोटी नदियों को आपस में जोड़कर बाढ़ से निजात पाने की कोशिश में लगी हुई है. हालांकि, अभी इस परियोजना के धरातल पर उतरने में काफी समय लगने की उम्मीद है.

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